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Updated: 18 जून, 2020 07:00 PM
सर्वेश त्रिपाठी
सर्वेश त्रिपाठी
  @advsarveshtripathi
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अपने पड़ोसी देशों से सीमा विवाद को लेकर चीन की लिस्ट (China Border Dispute) बहुत लंबी है. दक्षिणी चीन सागर में उसकी दादागिरी सब को याद है. भारत (India) के प्रति भी उसकी दोहरी नीति रही है. यानी व्यापारिक साझेदारी के झुनझुने के साथ सीमा पर तनाव बनाए रखना है. भारत के साथ एक बड़ा युद्ध सन 1962 में हो ही चुका है. भारत और चीन के बीच हालिया सीमा विवाद पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी (Galwan Valley) में हो रहा है जो कि भारत चीन (India China) के मध्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अवस्थित है. हालांकि इससे पूर्व मई में दोनों देशों के सैनिक पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पेगोंग झील (Pangong Tso) इलाके में, 9 मई को नॉर्थ सिक्किम में नाथूला सेक्टर में आपस में उलझे. बाद में वरिष्ठ अफसरों के हस्तक्षेप से सामान्य स्थिति बहाल की जा सकी. भारत और चीन की सीमा तनाव की वजह मूल रूप से चीन की चौधराहट से जुटा मसला भी है. भारत के पांच राज्य क्रमशः जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणांचल चीन के साथ भौगोलिक सीमा बनाते है जो लगभग 3500 कि मी लंबी है. 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद युद्ध विराम की स्थिति में अरूणांचल एवं सिक्किम का पूर्वी हिस्सा, उत्तराखंड एवं हिमाचल का मध्य भाग और लद्दाख का पश्चिमी भाग उसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा समझा जाता है.

India, China, Economy, Investment, PM Modi, Xi Jinpingजो गलवान घाटी में हुआ है उस पर इस लिए भी हैरत नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस तरह का धोखा चीन की फितरत में है

लेकिन हालिया विवाद का क्षेत्र कभी भी विवादित नहीं रहा. अब चीन द्वारा इस क्षेत्र में विवाद को जन्म देना उसकी उस विशिष्ट रणनीति का हिस्सा ही प्रतीत होता है. जहां से वह युद्ध किसी स्थिति पर भारत की सामरिक स्थिति को नियंत्रित कर सके. लद्दाख और अक्साई चिन  के बीच स्थित गलवान घाटी के पास चीन अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर चुका है और भारत को यहां किसी भी सैन्य और सामरिक निर्माण से रोकना चाहता है. इस प्रकार स्पष्ट है चीन की खुली मंशा यही है कि गलवान घाटी को भी विवादित क्षेत्र बना दिया जाए. भारत के संदर्भ में चीन सीमावर्ती क्षेत्र में प्रायः सड़क, पुल,सैन्य ठिकाने बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करने के क्रम में एक नए क्षेत्र को विवादास्पद बनाता रहता है.

आखिर चीन की मूल मंशा क्या है? इस प्रश्न के जवाब में विशेषज्ञ कहते है कि चीन भारत को पहला तो G-219 राजमार्ग से दूर रखना चाहता है जो शिंजियांग और तिब्बत के बीच है और अक्साई चिन से गुजरता है. दूसरा चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास सभी महत्वपूर्ण सामरिक अड्डों पर अपनी मजबूत स्थिति को दिखाना चाहता है. तीसरा जो अभी के तनाव का कारण है कि गलवान में भारत की मजबूत स्थिति अक्साई चिन और लद्दाख में चीन के सामरिक सुरक्षा पर खतरा है.

फ़िलहाल इन कारणों के अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी के वैश्विक प्रसार में चीन की भूमिका को कई देश संदिग्ध मान रहे है. ट्रंप का बार बार कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहना इसी का उदाहरण है. अब चूंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड जिसके अध्यक्ष अभी भारत के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बनाए गए हैं, ने इन दावों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है. तो चीन की मौजूदा हरकत भारत पर जांच को प्रभावित करने की दबाव की कार्यवाही भी हो सकती है.

भारत की तरफ से सैन्य जवाब के साथ वर्तमान में कूटनीतिक जवाब भी दिया जा रहा. सोशल मीडिया पर चीन के सामानों के बहिष्कार आदि उपाय पर भी मीम और मैसेज की भरमार है. लेकिन इन परिस्थिति में जोश से ज्यादा होश की जरूरत पड़ती है. हमें अपनी सैन्य और कूटनीतिक क्षमता पर विश्वास करते हुए इसे चीन की कोरोना महामारी के प्रति उसकी नैतिक जिम्मेदारी और खिसियाहट साथ भारत की अमेरिका के साथ अच्छे सम्बन्धों के परिप्रेक्ष्य में भी देखना होगा.

भारत की मजबूत स्थिति से चीन हमेशा वाकिफ रहा है. धारा 370 के मुद्दे पर हम उसके रुख को देख चुके है. हालांकि वर्तमान विवाद को कुछ लोग युद्धक एक्शन के रूप में पेश कर रहे हैं लेकिन ये युद्ध इतना आसान नहीं है. दोनों देश लगभग 100 अरब डॉलर के व्यापारिक साझीदार है और किसी भी स्थिति में इस महामारी में कोई भी अपना आर्थिक नुक़सान नहीं करना चाहेगा. 

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लेखक

सर्वेश त्रिपाठी सर्वेश त्रिपाठी @advsarveshtripathi

लेखक वकील हैं जिन्हें सामाजिक/ राजनीतिक मुद्दों पर लिखना पसंद है.

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