अभिनंदन को वापस भेजना कोई पैगाम नहीं, इमरान की लाज बचाने की कोशिश है
F-16 विमानों के इस्तेमाल को लेकर पाकिस्तान बुरी तरह फंसा हुआ है. भारत ने सबूत पेश कर दिया है और अब उसे अमेरिका को जवाब देना होगा. अभिनंदन को छोड़कर इमरान खान ने फजीहत से खुद को बचाने की कोशिश की है.
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विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान भारत लौट चुके हैं. पूरे देश को अभिनंदन की वापसी का बेसब्री से इंतजार था. पूरे भारत में इस वक्त खुशी का जबरदस्त माहौल है और लोग जगह जगह जश्न मना रहे हैं.
अभिनंदन को छोड़े जाने की घोषणा के साथ ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के लिए अमन का पैगाम बताया था. वैसे अभिनंदन को छोड़ने के ऐलान से पहले पाकिस्तान ने ब्लैकमेल से लेकर सौदेबाजी तक की कोशिशें की, लेकिन भारत ने दो टूक मना कर दिया.
अभिनंदन के भारत पहुंचने के बाद भारत की ओर से पहला रिएक्शन है - पाकिस्तान ने कोई एहसान नहीं किया है.
F-16 को इस्तेमाल कर फंसा पाकिस्तान
भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान पर हमले में F-16 विमानों का इस्तेमाल करके पूरी तरह फंस चुका है. अमेरिकी नियमों के तहत पाकिस्तान F-16 विमानों का ऐसा इस्तेमाल कर ही नहीं सकता. यही वजह है कि पाकिस्तान साफ तौर पर इंकार कर रहा है कि हमले में उसने एफ 16 विमानों का इस्तेमाल किया है. हालांकि, भारत के पास इस बात के पक्के सबूत मौजूद हैं और उनमें से कुछ तो मीडिया के सामने पेश भी कर दिये गये हैं.
ये विंग कमांडर अभिनंदन ही हैं जो पाकिस्तान के हमलावर F-16 को मार गिराये थे. मिग-21 पर सवार अभिनंदन जब जवाबी एक्शन में पाकिस्तानी आक्रमण को नाकाम कर रहे थे उसी दौरान वो लाइन ऑफ कंट्रोल को पार कर गये - और पाकिस्तानी फौज ने आकर उन्हें कब्जे में ले लिया. अभिनंदन ने पाक फौज की कस्टडी में जो दिलेरी दिखायी उसकी तारीफ तो हर जबान पर है, पाकिस्तानी मीडिया ने भी उनकी बहादुरी के किस्से छापे हैं.
अब सवाल ये है कि इमरान खान ने अभिनंदन को छोड़ने के नाम पर अमन के पैगाम की जो बात कही है उसके पीछे असली वजह क्या है? सच तो ये है कि इमरान खान ने पाकिस्तान की बढ़ती फजीहतों से निजात पाने का रास्ता खोजा है. दरअसल, एफ-16 विमानों की पूरी कहानी के केंद्र में अभिनंदन ही हैं जिन्होंने डॉग-फाइट में उसे मार गिराया.
पाकिस्तान इसे मिग-21 का मलबा बता रहा है, जबकि ये F-16 का है
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी फौज की ओर से जिसे मिग-21 का मलबा बताया है, वो भी एफ-16 का ही मलबा है. जानकारी के मुताबिक मलबे में जो बाहरी कवर है वो एफ-16 का ही है.
File picture of cross section of F16 engine and wreckage of downed Pakistani F16 jet pic.twitter.com/Mq78QkLTz9
— ANI (@ANI) February 28, 2019
एफ-16 लड़ाकू विमान है जो अमेरिका में बना है. ये लड़ाकू विमान देते वक्त अमेरिका की शर्तें होती हैं कि इनका इस्तेमाल किसी मुल्क पर हमले के लिए नहीं हो सकता. ये अमेरिकी नियमों के तहत गैरकानूनी गतिविधि हुई. अमेरिका ने पाकिस्तान को ये विमान इस शर्त पर दी होगी कि वो इनका इस्तेमाल आंतकवाद के खिलाफ कार्रवाई में करेगा.
भारतीय सेना की साझा प्रेस कांफ्रेंस में सैन्य अधिकारियों ने यही समझाने की कोशिश की थी कि एमराम मिसाइल का इस्तेमाल बगैर एफ-16 के संभव नहीं है. पाकिस्तान के पास ऐसा कोई दूसरा लड़ाकू विमान है भी नहीं जो एमराम मिसाइल छोड़ने में इस्तेमाल की जा सके. भारत ने रडार से एफ-16 के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर भी डिटेक्ट किये थे - और प्रेस कांफ्रेंस में ये बात भी बतायी गयी थी.
अगर अभिनंदन को पाकिस्तान नहीं छोड़ता तो बवाल बढ़ना तय था. ऐसे में अमेरिका को उसे एफ-16 के इस्तेमाल को लेकर भी जवाब देने पड़ते. बुरी तरह घिर चुके इमरान खान ने बचाव का रास्ता तो निकाला - लेकिन बात इतने से ही खत्म नहीं हो जाती.
अभी तो इमरान खान को पाकिस्तानी अवाम को इस बात का जवाब भी देना होगा कि जिस विमान को भारत ने मार गिराया उसका पायलट कहां है? सोशल मीडिया पर ये सवाल जोर शोर से उठ रहा है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने जिस दूसरे घायल पायलट को भारतीय बताया था वो वास्तव में पाकिस्तानी ही रहा. अगर वो घायल था तो उसका इलाज कहां चल रहा है और वो किस हालत में है - इमरान खान को मुल्क को ये बात भी बतानी ही होगी.
वैसे सोशल मीडिया पर ही ये भी चर्चा है कि एफ-16 के पायलट पर हमला कर पाकिस्तान के लोगों ने ही जख्मी कर दिया था और अस्पताल में उसकी मौत हो गयी. तो क्या इमरान सरकार अपने पायलट को शहादत भी नहीं बख्शेगी? अगर ये सही है तो इमरान खान और पाक फौज का एक चेहरा ये भी है जो दुनिया की आंखों के सामने औपचारिक रूप से आना बाकी है.
क्या ये इमरान की छवि सुधारने की कोशिश है?
भारत ने पहले ही साफ कर दिया था कि अभिनंदन को पाकिस्तान हमलावर न समझे. जेनेवा समझौते के चलते पाकिस्तान से वैसे भी अभिनंदन के साथ अच्छे सलूक की अपेक्षा थी, हालांकि, दोनों मुल्कों में से किसी ने भी युद्ध की औपचारिक घोषणा नहीं की है. फिर भी किसी फौजी का इतने कम वक्त में दुश्मन फौज की कस्टडी से छूट कर आना अपनेआप में बहुत बड़ी बात है. ये भारत की कूटनीतिक जीत है. जिस तरह से भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ विश्व जनमत तैयार किया है - ये उसी का नतीजा है.
वैसे भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर साफ कर दिया है कि अभिनंदन को छोड़ कर उसने कोई एहसान नहीं किया है. जैसे ही अभिनंदन को भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने की खबर आयी, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने ट्वीट कर पाकिस्तान को यही मैसेज देने की कोशिश की.
It must be understood that #Pakistan has not done us a favor by returning #WingCommanderAbhinandan. Under the #GenevaConvention, a serving soldier captured during conflict has to be returned.We must not forget that after 1971, we released over 90,000 PoW from Pakistan.
— Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) March 1, 2019
एक अन्य ट्वीट में विदेश मंत्री वीके सिंह ने ये भी कहा कि अभिनंदन की वापसी एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन शांति स्थापित करने लिए पाकिस्तान को अभी बहुत कुछ करना होगा और उनमें ये पहला कदम हो सकता है. भारत पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ सकारात्मक और हकीकत में नजर आने वाले एक्शन की अपेक्षा रखता है.
आखिर पाकिस्तान की किस बात पर यकीन किया जाये? जिस दहशतगर्द मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है, पाकिस्तान अब भी उसे बचाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री मसूद अजहर को बहुत बीमार बता रहे हैं. पाक मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि मसूद अजहर इतना बीमार है कि वो अपने घर से बाहर निकलने की स्थिति में भी नहीं है.
तो क्या पाकिस्तानी विदेश मंत्री मसूद अजहर के खिलाफ कोई एक्शन न लेने के लिए ऐसी बहानेबाजी पर उतर आये हैं?
अगर यही इरादा है तो इमरान खान ने मसूद अजहर के खिलाफ पुलवामा हमले को लेकर डॉजियर क्यों मांगा था - और जब वो सौंप दिया गया तो एक्शन की बजाये उनके मंत्री गुमराह करने लगे हैं.
अभिनंदन को छोड़ने में एक वजह और भी हो सकती है - इमरान खान की खराब होती छवि. पाकिस्तान में हुए आम चुनावों के दौरान ही ये धारणा बनने लगी थी कि इमरान खान फौज की कठपुतली बनने जा रहे हैं - और धीरे धीरे ये तस्वीर पूरी तरह साफ ही होती गयी.
ऐसा भी हो सकता है कि अभिनंदन को छोड़ने के बहाने इमरान खान ये मैसेज भी देने की कोशिश कर रहे हों कि ये फैसला राजनैतिक नेतृत्व का है - और मुल्क की कमान उनके ही हाथ में है न कि पाकिस्तानी फौज के.
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