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Updated: 19 फरवरी, 2019 06:02 PM
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पुलवामा अटैक जिसने भारत को एक गहरा दर्द दे दिया है वो कोई भी भारतीय भुला नहीं सकता. इस आतंकी हमले के बाद जहां एक ओर देश धीरे-धीरे अपनी जिंदगी को आम बनाने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार देश की सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश कर रही है. कई दिनों से इमर्जेंसी हेल्पलाइन नंबर 112 की बातें चल रही थीं. 19 फरवरी से ये नंबर शुरू हो जाएगा. राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में इस नंबर को लॉन्च किया. 16 राज्य और यूनियन टेरेटरी अब एक साथ इस इमर्जेंसी हेल्पलाइन नंबर को लॉन्च कर रही हैं. अगर आपको लग रहा है कि ये नंबर तो 2017 में लॉन्च हो चुका है, तो मैं बता दूं कि भले ही आधिकारिक तौर पर इस नंबर को लॉन्च किया गया था, लेकिन राज्यों ने इसे अपनाया नहीं था. 2018 तक सिर्फ हिमाचल प्रदेश और नागालैंड ने ही इस नंबर को अपनाया था, लेकिन अब 14 अन्य राज्य इस नंबर को अपना रहे हैं.

what is emergency no 112

ये एक इमर्जेंसी नंबर अमेरिका के 911 की तरह है. ये बाकायदा इमर्जेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम है जिसमें पुलिस (100), आग (101), स्वास्थय (108) और महिलाओं की सुरक्षा (1090) की रिपोर्ट लिखवा सकते हैं. सभी सर्विस एक आसान कॉल में मिल जाएगी. इस इमर्जेंसी नंबर का इस्तेमाल पहले भी कुछ राज्यों में होता है, लेकिन अब 14 और राज्य इस सुपर इमर्जेंसी नंबर को अपना लेंगे.

112, इमर्जेंसी नंबर, पुलिस, स्वास्थ्य, भारतइमर्जेंसी कॉन्टैक्ट नंबर 112 कई सुविधाएं एक साथ देगा

कैसे इस्तेमाल होगा ये नंबर-

इमर्जेंसी सर्विस को एक्सेस करने के लिए कोई इंसान अपने फोन से 112 डायल कर सकता है या फिर अगर कोई बहुत बड़ी इमर्जेंसी है तो फोन का पावर बटन तीन बार प्रेस करने पर भी 112 नंबर डायल हो जाएगा. अगर फीचर फोन है तो 5 या फिर 9 बटन को थोड़ी देर तक दबाया जाए तो काम हो जाएगा.

लोग अपने राज्य की ERSS वेबसाइट पर भी लॉगइन कर सकते हैं. या फिर ERSS होम मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर भी लॉगइन किया जा सकता है. यहां से इमर्जेंसी ईमेल और SoS अलर्ट भेजी जा सकती है. इसी के साथ, 112 मोबाइल एप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ये एप 112 India नाम से गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है.

112 ही क्यों?

112 नंबर दरअसल न सिर्फ भारत का बल्कि पूरी दुनिया का इमर्जेंसी नंबर बन सकता है. सभी GSM स्टैंडर्ड और GSM आधारित मोबाइल फोन 112 लॉक मोड में भी डायल कर सकते हैं. कुछ देशों में तो अगर सिम कार्ड नहीं है तो भी मोबाइल फोन से इस नंबर पर कम्युनिकेट किया जा सकता है. कई यूरोपी देशों में भी ये नंबर काम करता है और इसे इमर्जेंसी नंबर स्थापित किया गया है.

जैसे ही 112 पर कॉल किया जाएगा वैसे ही पुलिस ये कॉल देखेगी और तुरंत एक्शन लेगी. कॉल डिस्ट्रिक्ट कमांड सेंटर द्वारा रिसीव की जाएगी और तुरंत ही इमर्जेंसी गाड़ियां भेज दी जाएंगी.

महिला और बच्चों के लिए 112 खास 'SHOUT' फीचर देता है. अगर ये फीचर एक्टिवेट है तो नजदीकी जगहों पर मौजूद वॉलेंटियर मदद के लिए पहुंचेंगे. इस सिस्टम की देखरेख Centre for Development of Advanced Computing (C-DAC) द्वारा की जा रही है. C-DAC ने ERSS को इस तरह से डिजाइन किया है कि सभी राज्य और यूनियन टेरेटरी इसका फायदा उठा सकें. केंद्र सरकार 321.69 करोड़ रुपए निर्भया स्कीम के तहत राज्यों और यूनियन टेरेटरी को देगी जिससे ERSS और मजबूत हो सके.

कौन से राज्य लॉन्च कर रहे हैं ये इमर्जेंसी नंबर?

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, पुद्दुचेरी, लक्ष्यद्वीप, अंडमान, दादर नागर हवेली, दमन और दीव, जम्मू-कश्मीर.

ये इमर्जेंसी नंबर मुंबई के लिए भी उपलब्ध होगा, लेकिन महाराष्ट्र के बाकी शहरों को अभी इसका इस्तेमाल करना पड़ेगा. नागालैंड और हिमाचल प्रदेश के लिए तो ये पहले से ही मौजूद है.

अगर फेक कॉल किया तो?

112 एक इमर्जेंसी नबंर है और सिर्फ इमर्जेंसी के लिए ही इस्तेमाल होना चाहिए. अगर कोई इस नंबर पर प्रैंक कॉल करता है या फिर बिना किसी मतलब बार-बार डायल करता है तो इसे एक तरह का जुर्म माना जाएगा. 112 का गलत इस्तेमाल करने वाले को पुलिस ट्रैक करेगी और निर्धारित सज़ा भी दी जाएगी. पुलिस इमर्जेंसी कॉल सेंटर से डेटा लेकर कॉलर को आसानी से ट्रैक कर सकती है.

इमर्जेंसी नंबर जो काम आएगा-

भारत में अधिकतर लोगों को ये शिकायत रहती है कि सरकारी इमर्जेंसी नंबर कभी काम नहीं करते और इन नंबरों पर फोन लगाने से भी कोई फायदा नहीं है. पर ऐसा 112 के साथ नहीं होगा. कम से कम सरकार तो यही दावा कर रही है. ये इमर्जेंसी नंबर हमारे फायदे के लिए है और इसका इस्तेमाल भी वैसे ही होना चाहिए. अगर किसी को लगता है कि ये काम नहीं करेगा तो भी इमर्जेंसी के वक्त इसका इस्तेमाल करना सही होगा. पिछले कुछ सालों में भारत की इमर्जेंसी सर्विसेज काफी अच्छी तरह से काम कर रही हैं.

यहां एक एक्सपीरियंस मेरा भी है जहां 100 नंबर डायल करने के 20 मिनट के अंदर ही पुलिस आ गई थी. ये अनुभव मेरे जैसे कई भारतीयों को हुआ होगा. 112 नंबर भी इसी तरह रिस्पॉन्सिव बनाया गया है और इसका इस्तेमाल भी उसी तरह होना चाहिए.

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