एनकाउंटर में मारे गए बदमाश की बेटी की परवरिश करता एनकाउंटर करने वाला!
फिल्म 'जय हो' में सलमान खान एक ऐसे मददगार के रोल में थे, जो लोगों की मदद करने के बाद मदद पाने वाले से तीन और लोगों की मदद करने को कहता था. इंसानियत के लिहाज से फिल्म का प्लॉट बहुत अच्छा था.
-
Total Shares
2014 में सलमान खान की एक फिल्म आई थी, 'जय हो'. फिल्म अपने प्लॉट की वजह से बॉक्स ऑफिस पर कुछ ज्यादा सफल नहीं रही थी. इस फिल्म में सलमान खान एक ऐसे मददगार के रोल में थे, जो लोगों की मदद करने के बाद मदद पाने वाले से तीन और लोगों की मदद करने को कहता था. इंसानियत के लिहाज से फिल्म का प्लॉट बहुत अच्छा था. मददगारों की ह्यूमन चेन बनाने का ये आइडिया दर्शकों को कुछ खास पसंद नहीं आया था. दरअसल, ये आजकल के लोगों का नजरिया दिखाता है. मैं यहां किसी को नसीहत या प्रवचन देने नहीं दूंगा. हर व्यक्ति की अपनी मजबूरियां होती हैं. कोरोनाकाल में लाखों लोगों ने लाखों लोगों की निस्वार्थ भाव से मदद और सेवा की थी. जो इंसानियत का सबसे बड़ा गुण है. मैं ये सब बातें क्यों कर रहा हूं, जरूरी बात ये है.
बीते साल जनवरी में फर्रुखाबाद के गांव करथिया में एक सनसनीखेज वारदात हुई थी. गांव के ही रहने वाले एक अपराधी सुभाष बाथम ने गांव के 25 बच्चों को बंधक बना लिया था. सुभाष ने अपनी बेटी गौरी के जन्मदिन के बहाने बच्चों को अपने घर बुलाकर बंधक बना लिया. करीब 12 घंटों तक पुलिस और अपराधी के बीच स्थिति को संभालने के लिए बातचीत चलती रही. आखिर में पुलिस ने बच्चों की जान बचाने के लिए सुभाष का एनकाउंटर कर दिया. पुलिस का ये रेस्क्यू ऑपरेशन कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में चलाया गया था.
इन 12 घंटों में सुभाष की जान तो गई ही थी. उसकी पत्नी को भी ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. लोगों ने सुभाष की पत्नी को पीट-पीटकर मार दिया था. उनके घर में केवल ढाई साल की वो बच्ची गौरी बची थी, जिसके बर्थडे का बहाना कर बच्चों को सुभाष ने घर बुलाया था. सभी लोग यही सोच रहे थे कि अब बच्ची का क्या होगा? सारी परिस्थितियों को जानते हुए भी मदद को कोई हाथ आगे नहीं बढ़ रहे थे. ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन के मुखिया रहे कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने आगे बढ़कर बच्ची को गोद में लिया. मोहित अग्रवाल ने बच्ची के बालिग होने तक का सारा खर्च उठाने की बात कही थी और इसे अभी तक निभा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आईजी मोहित अग्रवाल हर महीने गौरी के खर्च के लिए पांच हजार रुपये भेजते हैं. त्योहारों पर गौरी के लिए कपड़े और खिलौने व अन्य गिफ्ट भी भेजते हैं. फिलहाल बच्ची अपनी बुआ के परिवार के साथ रहती है. मोहित अग्रवाल महीने में एक बार गौरी से मिलने भी जाते हैं. वहीं, इस एनकाउंटर के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईजी मोहित अग्रवाल को एक लाख रुपए का इनाम दिया था. जिसे उन्होंने बच्ची के ही नाम से बैंक में जमा करा दिया था.
आज के दौर में जहां लोग एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में इंसानियत को पीछे छो़ड़ते जा रहे हैं. ऐसी खबरें दिल को बहुत सुकून देती हैं. इंसानियत का पहला उद्देश्य है, दूसरों की मदद करना. मदद छोटी हो या बड़ी, इससे फर्क नहीं पड़ता है. अगर आप इस लायक हैं कि किसी की मदद कर सकें, तो आपको जरूर करनी चाहिए.
आपकी राय