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Updated: 09 अगस्त, 2016 02:21 PM
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एक दिन पहले ही 'आत्महत्या' को 'अपराध' के दायरे से बाहर कर दिया जाता है - और 16 साल तक आत्महत्या के प्रयास में गिरफ्तार और रिहा होती रहीं इरोम शर्मिला के अनशन तोड़ने के ऐन पहले कलिखो पुल की खुदकुशी की खबर आती है. वाकई, क्या इत्तेफाक है!

कलिखो पुल

आज तक के ब्रेकिंग न्यूज पर नजर पड़ी - कलिखो पुल का घर में शव मिला.

बड़ा अजीब लगा. कोई पॉलिटिशियन ऐसा कैसे कर सकता है. वो भी जो बागी हो. व्यवस्था के खिलाफ बगावत कर सीएम की कुर्सी हथियाने वाला आखिर आत्महत्या कैसे कर सकता है?

जो शख्स छह साल की उम्र में पिता के साये से मरहूम हो गया. 13 साल के होते होते मां भी साथ छोड़ कर चली गयी. ईश्वर के अस्तित्व में कोई आस्था न होने के बावजूद मैदान में पूरी शिद्दत से डटा रहा. वो आखिर आत्महत्या कैसे कर सकता है?

जिसने पढ़ाई पूरी करने के लिए बीड़ी-पान बेचा हो. जिसने बढ़ई बन कर रोजी रोटी शुरू किया हो. जिसने राजनीति में आने से पहले चौकीदारी भी की हो. वो आखिर आत्महत्या कैसे कर सकता है?

मन में ये बातें घूम ही रही थीं कि ट्विटर पर गया. टॉप ट्रेंड लिस्ट में भी दिखा - कलिखो पुल. इस बार वजह न तो कांग्रेस से बगावत की बात रही न अरुणाचल के सीएम की कुर्सी पर कब्जे की. बल्कि, कलिखो पुल की खुदकुशी ट्रेंड की वजह थी.

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कलिखो पुल का मतलब होता है - आने वाला बेहतर कल. एक ट्वीट में भी इसी बात का जिक्र था.

#आत्महत्या

डिजिटल दुनिया में कीवर्ड सांस की तरह है, जिसका ट्रेंड करना सांस चलने की तरह है - और ताजा ट्रेंड होने जा रहा है #आत्महत्या.

गूगल में आत्महत्या या SUICIDE टाइप करने पर उसकी परिभाषा या उससे संबंधित खबर से भी पहले एक नंबर आता है जिसके ठीक नीचे लिखा है - आसरा.

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आत्महत्या पर गूगल का आसरा

माना जाने लगा है कि आत्महत्या करने वालों में से कई लोग पहले गूगल करके इसके आसान तरीके खोजते हैं. इसीलिए गूगल ने ये इंतजाम किया है. इसी की सराहना की जानी चाहिये.

...और कानून

मानसिक स्वास्थ्य विधेयक 2013 के मुताबिक आत्महत्या की कोशिश करने वाला तब तक अपराधी नहीं होगा जब तक ये साबित न हो जाये कि खुदकुशी की कोशिश करते वक्त वो शख्स मानसिक तौर पर पूरी तरह स्वस्थ था.

पत्रकार खालिद अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं, "कानून के छात्र के तौर पर मुझे धारा 309 हमेशा अजीब लगती थी. आत्महत्या इकलौता अपराध जिसे करना अपराध नहीं है, लेकिन जिसका प्रयास करना अपराध है. सरकार ये कदम सराहनीय है."

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AFSPA के खिलाफ 2000 से अनशन भूख हड़ताल कर रहीं, इरोम शर्मिला चानू ने हाल ही में घोषणा की कि 9 अगस्त को वो अपना अनशन खत्म करेंगी. फिर शादी रचाएंगी और संघर्ष की रणनीति बदलते हुए इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ कर राजनीतिक पारी की शुरुआत करेंगी.

एक ही दिन पहले, राज्य सभा से आत्महत्या पर कानून को मंजूरी मिली - और अगली सुबह ऐसे हुई जैसे शाम ढल रही हो.

गजब इत्तेफाक है - आत्महत्या पर कानून में बदलाव होना, इरोम का तब के कानून की नजर में आत्महत्या के प्रयास वाले दौर को अलविदा कह देना - और कलिखो पुल की आत्महत्या.

इत्तेफाक महज इत्तेफाक होते हैं - मगर, कई बार ये अजीब से होते हैं. कई बार, किसी अबूझ पहेली की तरह. मौत तो अंतिम सच है, लेकिन आत्महत्या! कहीं आत्महत्या भी कोई अबूझ पहेली तो नहीं?

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