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Updated: 17 मार्च, 2017 05:34 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. शुरुआत 2014 लोकसभा इलेक्शन से हुई थी जब मोदी को पूर्ण बहुमत मिला था. एक दो राज्य को छोड़ दें तो उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारी विजय के बाद जहां बीजेपी का आत्मविश्वास चरम पर है तो विपक्षी पार्टियों और लीडरों के हौसले पस्त हैं.

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सबके जहन में यही सवाल चल रहा है कि क्या मोदी को आने वाले चुनावों में हराना काफी मुश्किल है. क्या मोदी अजेय हैं? लगता तो यही है तभी तो उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद सभी पार्टियां अब एक स्वर में ये बोलने से भी नहीं कतरा रही हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कोई मुकाबला दे सकता है तो कोई अकेली पार्टी नहीं बल्कि एक महागठबंधन ही मोदी के विजयी रथ को रोक सकता है.

भाजपा से मुकाबले के लिए महागठबंधन तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है. जो खबरें आ रही हैं उससे तो यही निकल के आ रहा है कि कांग्रेस एक महागठबंधन बनाने की तैयारी में लग गयी है जिससे 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती दी जा सके. उसके पार्टी के लीडर अब भली-भांति समझ गए हैं कि अगर सभी विपक्षी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ती हैं तो बीजेपी का बाल भी बांका नहीं कर पाएंगी.

collage650_031717011547.jpgसंग हो सकते हैं सपा, बसपा और कांग्रेस

एक मीडिया रिपोर्ट की बात करें तो उसने कांग्रेस के बड़े लीडरों का हवाला देते हुए बताया कि सपा, बसपा और कांग्रेस का महागठबंधन बीजेपी के खिलाफ बन सकता है क्योंकि कोई भी पार्टी अब ये नहीं सोचती है कि वो अकेले दम पर मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को हरा सकती है.

कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर महागठबंधन बनता है तो अन्य दल भी साथ आ सकते हैं. कांग्रेस के कई नेता मणिशंकर अय्यर, सीपी जोशी, प्रिया दत्त, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और जदयू के संजय सिंह भी मोदी से मुकाबला करने के लिए महागठबंधन की वकालत कर रहे हैं.

ऐसा नहीं है कि मोदी अजेय हैं. बिहार में कांग्रेस, जदयू और राजद के गठबंधन के कारण ही 2015 में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. दिल्ली में भी आप ने 2015 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 3 ही सीट पर सिमेट के रख दिया था. 2017 गोवा चुनाव में भी उसे केवल 13 सीट ही मिली, हालांकि सरकार बनाने में बीजेपी कामयाब रही. जहां-जहां पहले बीजेपी की सरकार रही थी वहां मोदी को हार झेलना पड़ा है.

2018 में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्णाटक और कुछ उत्तर पूर्वी राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. हो सकता है की इन राज्यों में भी रीजनल पार्टियां गठबंधन करें ताकि बीजेपी को हरा सकें. 2019 लोकसभा चुनाव में करीब 2 साल बचे हुए हैं. ऐसा नहीं है कि देश में कुछ प्रॉब्लम नहीं है. कमी है विपक्षी पार्टियों और लीडरों में जो 'टीना' फैक्टर से ग्रसित हो गए हैं. उनको मोदी के अलावा कोई मुद्दा ही नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश में हार के बाद सभी पार्टियां आत्ममंथन में जुटी हुई हैं. मोदी की काट खोजी जा रही है और हो सकता है महागठबंधन रूपी इलाज मिल भी जाये.

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आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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