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Updated: 02 मई, 2017 07:48 PM
नरेन्द्र कुमार
नरेन्द्र कुमार
 
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18 सितम्बर 2016 को सेना के उरी कैंप पर हमला हुआ, 17 जवान मारे गए और 19 घायल हुए और हमले के दस दिन बाद न्यूज़ चैनलों पर सर्जिकल स्ट्राइक की खबर चली. चारों तरफ एक ही माहौल 'मोदी ने बदला ले लिया!' 'पाकिस्तान को उसकी करनी की सजा मिल गयी!' चारों तरफ देशभक्ति की गंगा बहने लगी. कई राजनीतिक पार्टियां खुश थीं तो कई सर्जिकल स्ट्राइक ना होने का दावा करने लगीं, और उसको बल दिया पाकिस्तान के नवाज शरीफ ने, जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बताया. फिर से पाकिस्तान का वही रवैया, फिर से सीज़फायर का उल्लंघन और फिर से 2 जवानों के शवों के साथ बर्बरता.

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पर एक बात समझ नहीं आ रही कि सच मे सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो क्यों पाकिस्तानी सेना या आतंकवादियों की लाशें पाकिस्तानी चैंनलों पर दिखाई नहीं दीं? क्यों पाकिस्तानी बेवाओं का विलाप नहीं दिखा? क्यों मासूम बच्चे अपने पापा के लिए बिलकते नज़र नहीं आए? जैसा कि उरी हमले के बाद भारत में दिखाई दिया. आखिर सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो कहां हुई. क्या पाकिस्तान में या फिर भारतीय सेना के मुख्यालय में इसकी नींव रखी गयी.

मैं उन लाखों सैनिकों को सलाम करता हूं जो दिन रात देश की रक्षा करते हैं पर उतनी ही घृणा उन नेताओं से जो अपने राजनैतिक फायदे के लिए सच्चाई बयान करने वाले तेज बहादुर सिंह, जिसने सेना के जवानों को खराब खाना दिए जाने की बात तो वीडियो के जरिये देश के लोगों तक पहुंचाया और अंततः उसे ससपेंड कर दिया जाता है. क्या सही मायने में यही देशभक्ति है या फिर भ्रष्टाचार को उजागर करने की सजा है.

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हाल ही में सीआरपीएफ के 27 जवान नक्सली हिंसा में मारे जाते हैं और सरकार का फिर से वाही ढुलमुल रवैया साफ देखा जा सकता है.

इन सारी चीजों को देखकर एक बात तो तय है कि जब तक चंद राजनीति करने वाले नेता अपने राजनीति के आईने से देखेंगे तब तक साफ साफ कुछ नहीं दिख पाएगा और आये दिन हमारे देश के सैनिकों की बेवाएं और बच्चे इसी तरह विलाप करते नज़र आएंगे. जिस दिन देश के नेता राजनीति छोड़ देंगे तब सही मायने में पकिस्तान को उनकी भाषा में जवाब भी मिल जाएगा.

आज जरूरत है राजनैतिक इच्छा शक्ति की जो कि राजनैतिक पार्टियां नहीं दिखा पा रहीं. लोगों को मोदी से आशा थी पर मोदी भी पॉलिटीशियन से बढ़कर और कुछ नहीं हैं. समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए. नहीं तो फिर से उरी हमले की तरह एक और हमला और फिर से सरकार की फर्जी सर्जिकल स्ट्राइक की खबर आएगी और एक खबर को दबाने के लिए दूसरी बड़ी खबर का प्लान होगा.

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लेखक

नरेन्द्र कुमार नरेन्द्र कुमार

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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