जम्मू-कश्मीर का अगला गवर्नर बनने की दौड़ में 10 नाम हैं, जिसमें दसवां पक्का है
जम्मू-कश्मीर के अगले गवर्नर के रूप में नाम तो कई चर्चा में हैं, लेकिन कुर्सी पर तो वही बैठेगा जो किस्मतवाला होगा. यहां हमने संभावित नामों की एक सूची तैयार की है. हमें भी यकीन है कि मुहर उसी के नाम पर लगेगी जो 10वें स्थान पर है.
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अमरनाथ यात्रा की भूमिका इन दिनों कुछ ज्यादा ही लग रही है. अमरनाथ यात्रा ही वो बड़ा फैक्टर रहा जिसकी वजह से सीजफायर नहीं बढ़ाया जा सका और बीजेपी-पीडीपी के तलाक का कारण बना. ये अमरनाथ यात्रा ही है जिसके चलते मौजूदा गवर्नर एनएन वोहरा का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद भी पद पर बने रहने के आसार लग रहे हैं.
दरअसल, वोहरा का दूसरा कार्यकाल 28 जून को खत्म हो रहा है - और उसी दिन अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है. अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी वोहरा ही हैं, ऐसे में उनकी जगह किसी और की तत्काल नियुक्ति संभव नहीं लगती क्योंकि वो अमरनाथ यात्रा को भी प्रभावित कर सकती है. सवाल ये है कि आगे भी वोहरा ही राज्यपाल बने रहेंगे या फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसी और को कुर्सी पर बिठाएगी? मीडिया से लेकर चर्चाओं तक कई नाम सुझाये जा रहे हैं. ऐसे ही 10 नाम और उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी हम यहां दे रहे हैं - पर हमें तो पक्का दसवां ही नाम लगता है.
1. एनएन वोहरा तीसरी बार
1959 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी नरिंदर नाथ वोहरा 2008 से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं. वोहरा का दूसरा कार्यकाल इसी महीने की 28 तारीख को खत्म हो रहा है. सवाल भी है और चर्चा भी कि क्या 'अबकी बार, एनएन वोहरा तीसरी बार' जैसा कुछ हो सकता है क्या?
एनएन वोहरा : तीसरी पारी का क्या?
वोहरा को 2003 में जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की ओर से वार्ताकार बनाया गया था और तब उन्होंने कश्मीरी नेताओं से लेकर अलगाववादियों तक से बातचीत की, ताकि घाटी में शांति बहाल हो सके. वोहरा को राज्यपाल बनाये जाने के बाद दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार बनाया गया जो अब तक वो भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में दिनेश्वर शर्मा को भी उनका उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है, ऐसी संभावना जतायी जा रही है.
अमरनाथ यात्रा समाप्त होने के बाद ही सही, सवाल ये है कि क्या ऐसे माहौल में केंद्र सरकार नया गवर्नर नियुक्त करना चाहेगी? जब एक चुनी हुई सरकार ने अभी अभी सत्ता छोड़ी हो, जब कुछ ही महीनों में देश में आम चुनाव होनेवाले हों - और जब घाटी में हालात सामान्य न हों.
कुछ भी हो, रोजाना की गवर्नेंस से जुड़ी तमाम बातों से जिस कदर वोहरा वाकिफ होंगे, क्या कोई नया व्यक्ति आसानी से स्थिति को संभाल लेगा?
2. दिनेश्वर शर्मा
अगर ऐसी कोई सफल थ्योरी मान्यता प्राप्त है कि वार्ताकार रहा शख्स ही अच्छा गवर्नर साबित होता है, फिर तो दिनेश्वर शर्मा को ही सबसे बड़ा दावेदार समझा जाना चाहिये.
वोहरा की ही तरह दिनेश्वर शर्मा नौकरशाह रहे हैं और ऊपर से वो खुफिया विभाग आईबी के चीफ भी रहे हैं. वोहरा से 20 साल जूनियर शर्मा के साथ प्लस प्वाइंट है कि वो अब भी सूबे के उन सभी तबकों से कॉनटैक्ट में होंगे जिनकी अमन चैन कायम करने में महती भूमिका हो सकती है.
दिनेश्वर शर्मा : वार्ताकार के चलते दावेदार
अलावा इन सबके, शर्मा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी काम कर चुके हैं और जम्मू कश्मीर का मामला विशेष रूप से देख रहे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के यूपी के मुख्यमंत्री रहते गृह सचिव भी का काम संभाल चुके हैं.
3. जनरल दलबीर सिंह सुहाग
जहां तक जम्मू कश्मीर के अगले गवर्नर के तौर पर नये नाम की चर्चा है तो पूर्व आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग रेस में सबसे आगे बताये जा रहे हैं. फिलहाल जम्मू कश्मीर में सबसे बड़ा रोल आर्मी का ही है और इस लिहाज से पूर्व सेना प्रमुख रह चुके दलबीर सिंह सुगाह सबसे सुटेबल कैंडिडेट हो सकते हैं. सुहाग के राज्यपाल होने की स्थिति में सेना को ऑपरेशन चलाने में उनके साथ सामन्जस्य भी अच्छा होगा और उनके अनुभवों का भी फायदा मिलेगा.
जनरल सुहाग : पहला संपर्क फॉर समर्थन
तात्कालिक तौर पर खास बात ये भी जुड़ी है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने 'संपर्क फॉर समर्थन' अभियान के तहत जिन दो लोगों से पहले दिन मुलाकात की उनमें एक दलबीर सिंह सुहाग ही रहे. जाहिर है शाह यूं ही घर से निकल कर किसी से भी मिल तो लिए नहीं होंगे, निश्चित तौर पर कुछ नामों पर विचार हुआ होगा और आखिरकार उनका नाम फाइनल हुआ होगा.
4. ले. ज. (रिटा.) सैय्यद अता हसनैन
आर्मी बैकग्राउंड से ही एक नाम ले. ज. (रिटा.) सैय्यद अता हसनैन भी है जो जम्मू-कश्मीर के नये गवर्नर के रूप में चर्चा में है. जो खास बातें पूर्व आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग पर लागू होती हैं वही हसनैन के मामले में भी प्लस प्वाइंट हैं. जनरल हसनैन ने 2010-2011 में जम्मू-कश्मीर में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में ऑपरेशन सद्भावना को लीड कर चुके हैं - और उसके लिए काफी तारीफ बटोर चुके हैं.
ले. ज. (रिटा.) हसनैन: कश्मीर में ऑपरेशन सद्भावना को लीडर रह चुके हैं
कश्मीर में लंबे अरसे तक काम करने के कारण वो घाटी के रग रग से अच्छे से वाकिफ हैं. कश्मीर को लेकर जिस 'हीलिंग टच' को इतना असरदार माना जाता है उसमें तो उनकी महारत है और नये सिरे से एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को उसका फायदा मिल सकता है - अगर हसनैन को सरकार गवर्नर बनाने का फैसला करती है.
5. जीडी बक्शी
सेना की पृष्ठभूमि से ही जम्मू-कश्मीर के गवर्नर पद के लिए एक और भी नाम हवाओं में तैर रहा है - मेजर जनरल (रिटा.) गगनदीप बख्शी. बाकी लोगों से अलग जीडी बख्शी की खासियत ये है कि उनकी पैदाईश भी जम्मू कश्मीर की ही है.
जीडी बख्शी: खांटी कश्मीरी...
सेना में रहते वो कश्मीर में कई आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन की अगुवाई कर चुके हैं - और सबसे खास बात कारगिल वॉर में उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा जा चुका है.
6. ए एस दुल्लत
कश्मीर के मामले में नौकरशाही और सेना की पृष्ठभूमि वालों के अलावा एक और बैकग्राउंड काफी सूट करता है - खुफिया विभाग. रॉ यानी रिसर्ज एंड एनलिसिस विंग के प्रमुख रह चुके अमरजीत सिंह दुल्लत अपनी किताब को लेकर हाल फिलहाल खासे चर्चित रहे हैं.
एएस दुल्लतः खुफिया खबरों से लैस रहने की खासियत
दुल्लत श्रीनगर में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर रह चुके हैं, जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही. वही सरकार जिसकी नीतियों - कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत का जिक्र कश्मीर के संदर्भ में आज भी वैसे ही लिया जा रहा है जैसे जीवन की उत्पत्ति के मामले में डार्विन के सिद्धांत मायने रखते हैं. लगता है कुछ लोग वाजपेयी की थ्योरी में भी डार्विन की सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट का अक्स देखते हों. साथ ही, दुल्लत वाजपेयी सरकार में कश्मीर पर सलाहकार भी रह चुके हैं.
अगर दुल्लत के ये दुर्लभ अनुभव कश्मीर के काम आ सकते हैं तो उन्हें राज्य का अगला गवर्नर बनाया जाना भी बेहतरीन फैसला साबित हो सकता है.
7. राजीव महर्षि
सत्ता के गलियारों में उड़ती चिड़ियों को हल्दी लगाने जैसे हुनर की तरह अंदर की खबर रखने वालों की ओर से एक और भी नाम सुझाया गया है - राजीव महर्षि. गृह सचिव रह चुके महर्षि फिलहाल देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी CAG हैं. बतौर नौकरशाह महर्षि का 40 साल का कार्यकाल रहा है. सीएजी के अलावा फिलहाल वो संयुक्त राष्ट्र बोर्ड ऑफ ऑडिटर्स के अध्यक्ष भी हैं.
राजीव महर्षिः डार्क हॉर्स तो नहीं?
महर्षि के नाम की चर्चा तो ज्यादा नहीं है, मगर डार्क हॉर्स चर्चा में होता ही कितना है?
8. राम माधव
नाम ही काफी है - राम माधव. बीजेपी के लिए काम करने वाले या कंट्रीब्यूट करने वालों की मोदी काल की कोई सूची बनी तो राम माधव को टॉप टेन से बाहर करना किसी के बूते के बाहर ही होगा. नॉर्थ ईस्ट में असम से लेकर त्रिपुरा तक भगवा लहराते हुए बीजेपी को एक के बाद एक सूबों की सत्ता की कुर्सी थमाते चले गये राम माधव की काबिलियत लोगों के सिर चढ़ कर बोलती है. जम्मू कश्मीर में भी गठबंधन की स्थापना से लेकर मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री बनने के लिए समझाने और सौदेबाजी पक्की करने और आखिर में सपोर्ट वापस लेने की घोषणा, इन सारे कामों को अंजाम देने वाले अकेली शख्सियत राम माधव ही हैं.
राम माधव : हर फन मौला माधव के क्या कहने!
राम माधव की सबसे बड़ी तारीफ ये है कि योग्यता के मामले में वो अभी काफी पीछे हैं - न तो 75 पार हैं और न ही इस लायक कि कहीं ऐडजस्ट करना पार्टी की मजबूरी हो. आने वाले कई साल तक वो किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री बनने की हैसियत और काबिलियत रखते हैं. प्रधानमंत्री बनने की कौन कहे, खुद नरेंद्र मोदी ही कहते हैं कि जब एक चायवाला पीएम बन सकता है तो बाकियों की कौन कहे?
9. सुब्रह्मण्यन स्वामी
एक तरफ जहां जम्मू-कश्मीर के अगले गवर्नर के नाम पर अटकलें लगायी जा रही हैं, वहीं जानी मानी लेखक और शिक्षाविद् मधु किश्वर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी ओर से एक नाम पहले ही सुझा डाला है - डॉ. सुब्रह्मण्यन स्वामी. कट्टर हिंदूवादी बीजेपी नेता स्वामी की तारीफ में मधु किश्वर के ट्वीट से तो ऐसा ही लगता है कि अगर उन्हें गवर्नर बना दिया जाये तो पलक झपकते ही सूबे की सारी समस्याएं सुलझा सकते हैं. स्वामी की तारीफ में मधु किश्वर का ट्वीट काबिले गौर है.
4. @PMOIndia should seriously consider appointing clear sighted, @Swamy39 as Governor of J&K. His no nonsense approach can fix the Kashmir Problem better & swifter than molycoddling separatists-- whether of PDP/NC vintage or Hurriyat.
— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) June 19, 2018
10. 'फलाने' भाईवाला?
एक बात तो पक्की है. ऊपर दिये गये नामों में से कोई भी जम्मू-कश्मीर का अगला गवर्नर बनाया जा सकता है. मगर, उससे भी पक्का उस शख्स का नाम है जो इस सूची के 10वें पायदान को सुशोभित कर रहा है.
जब आंतरिक सुरक्षा मामलों के एक्सपर्ट समझे जाने वाले बीवीआर सुब्रह्मण्यम को छत्तीसगढ़ से लाकर जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव बनाया जा सकता है - और चंदन तस्कर वीरप्पन को ढेर करने वाले आईपीएस अधिकारी विजय कुमार को राज्यपाल का सलाहकार बनाया जा सकता है, फिर तो नया गवर्नर भी काफी कुछ वैसा ही होना चाहिये.
वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी नये आइडिया और अनुप्रासीय स्टाइल के फॉर्मूले देने में महारत रखते हैं. सरप्राइज देना तो उनका मोस्ट फेवरेट शगल है. महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में मुख्यमंत्रियों के नाम से आश्चर्यचकित करने वाले मोदी की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लेटेस्ट तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही नाम है.
अब जम्मू-कश्मीर का अगला गवर्नर कौन होगा, किसी भी नाम पर आखिरी फैसला तो मोदी ही करेंगे - और वो सरप्राइज न दें ऐसा हो सकता है क्या?
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