जया बच्चन की बात के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना एक दूसरे से घिर गईं
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना (BJP and Shiv Sena) की तकरार में जया बच्चन (Jaya Bachchan) के समर्थन में हेमा मालिनी भी खड़ी हो गयी हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए शिवाजी के नाम पर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बल्ला थाम लिया है - क्योंकि शिवसेना को घेरने के बाद बीजेपी खुद भी फंस गयी है.
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पहले सुशांत सिंह राजपूत केस और फिर बॉलीवुड में ड्रग्स का मामला - ये ऐसे दो मसले रहे जहां महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना घिरी हुई महसूस कर रही है. ये दोनों ही मामले ऐसे हैं जिसमें शिवसेना बीजेपी (BJP and Shiv Sena) के ट्रैप में फंस चुकी है - लेकिन शिवसेना ने बीजेपी को जिस मुद्दे के साथ पलटवार किया है वो भी काफी जोरदार है. जोरदार भी इतना कि बीजेपी को बाहरी मदद की जरूरत पड़ने लगी है. लिहाजा बीजेपी महाराष्ट्र की लड़ाई के लिए सूबे से बाहर के मैदानों का इस्तेमाल करने को मजबूर हो रही है.
दरअसल, शिवसेना के मुंबई और मराठा अस्मिता का मुद्दा आगे कर देने से बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा है - क्योंकि बीजेपी के लिए कंगना रनौत इस मामले में दोधारी तलवार साबित हुई हैं. कंगना ने शिवसेना पर धावा बोल कर बीजेपी की जो मदद की है, वो मुंबई को पीओके बताकर पार्टी को फंसा भी दिया है - अब बीजेपी जैसे तैसे उबरने के लिए तरकीबें आजमानी पड़ रही हैं.
गोरखपुर से सांसद रवि किशन का लोक सभा में ड्रग्स को लेकर बॉलीवुड को लपेटना और फिर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का छत्रपति शिवाजी को हीरो बताना - ये सब ऐसी ही कवायद है जिनकी बदौलत बीजेपी एक साथ दो मोर्चे पर शिवसेना के साथ दो दो हाथ कर रही है. ऐन उसी वक्त जया बच्चन (Jaya Bachchan) के सपोर्ट में हेमा मालिनी का खड़ा हो जाना बीजेपी की नयी मुसीबत है.
महाराष्ट्र में बने रहने के लिए शिवाजी के सहारे बीजेपी
जब सुशांत सिंह राजपूत केस में जांच की मांग महाराष्ट्र के बाहर से उठी तो स्थानीय बीजेपी नेता बॉलीवुड में ड्रग्स का मामला खूब उछाल रहे थे. नारायण राणे और नितेश राणे को छोड़कर सुशांत सिंह राजपूत केस में बीजेपी नेता सिर्फ जांच और इंसाफ तक सीमित रहा करते रहे, लेकिन ड्रग्स को लेकर राम कदम जैसे नेता खासे आक्रामक नजर आये.
पहले से ही कोरोना संकट और गठबंधन के साथी दलों की आपसी हितों को लेकर जूझ रही उद्धव ठाकरे सरकार पर बीजेपी तब तक भारी रही जब तक कंगना रनौत इधर उधर की बातें करती रहीं, लेकिन जैसे ही कंगना रनौत ने मुंबई को पीओके बताया शिवसेना को पलटवार का मौका मिल गया - और बीजेपी को खामोश हो जाना पड़ा. देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार जैसे नेताओं के सफाई देनी पड़ी कि बीजेपी कंगना रनौत के पीओके वाले बयान का समर्थन नहीं करते.
बॉलीवुड में ड्रग्स को लेकर रवि किशन और हेमा मालिनी आमने सामने
संसद में भोजपुरी स्टार रविकिशन शुक्ला और सड़क पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिल कर ये जिम्मेदारी उठा रहे हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं और मुख्यमंत्री बनने से पहले जिस लोक सभा सीट से वो पांच बार सांसद रहे अब रवि किशन उसी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
योगी आदित्यनाथ कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करते आये हैं जिसकी लाइन बीजेपी से ज्यादा बाल ठाकरे वाली शिवसेना के करीब रही है. अब वही योगी आदित्यनाथ आगरा में बन रहे म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी के नाम पर रखने की घोषणा कर चुके हैं.
आगरा में निर्माणाधीन म्यूजियम को छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा।
आपके नए उत्तर प्रदेश में गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों का कोई स्थान नहीं।
हम सबके नायक शिवाजी महाराज हैं।
जय हिन्द, जय भारत।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 14, 2020
योगी आदित्यनाथ का शिवाजी को नायक बताना बहुत मायने रखता है. मुगलों की याद दिलाते हुए शिवाजी का नाम लेकर बीजेपी की तरफ से योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र के लोगों को मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा करके बीजेपी जताने की कोशिश कर रही है कि शिवाजी उसके लिए कितना मायने रखते हैं.
शिवाजी का हिंदुत्व पक्ष उभार कर बीजेपी ये भी समझाना चाहती है कि शिवसेना के मौजूदा नेतृत्व को हिंदुत्व से अब कोई मतलब नहीं रह गया है. ये बीजेपी ही है जो शिवाजी के हिंदुत्व को आगे बढ़ा सकती है और महाराष्ट्र का गौरव कायम रख सकती है - क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाकर शिवसेना ने तो हिंदुत्व की राजनीति से तौबा ही कर लिया है. अब तो शिवसेना धर्मनिरपेक्षा के रास्ते पर चल पड़ी जिसमें बीजेपी के मुताबिक तुष्टीकरण के सिवा कुछ होता भी नहीं है. हाल ही में अयोध्या के कुछ संतों की तरफ से उद्धव ठाकरे का विरोध भी सुनने को मिला था. कुछ कुछ वैसा ही जैसा पालघर में दो साधुओं की पीट पीट कर हत्या के वक्त सुनाई पड़ा था. तब भी योगी आदित्यनाथ ने उद्धव ठाकरे से बात की थी - और तभी बुलंदशहर के मंदिर में भी वैसी ही घटना हो गयी. उद्धव ठाकरे ने तंज भरे लहजे में योगी आदित्यनाथ को वैसे केस हैंडल करने में अपना अनुभव शेयर करने की बात कही थी.
महाराष्ट्र में पहले स्थिति ये रही कि शिवसेना और बीजेपी दोनों ही एक दूसरे के पूरक थे - दोनों एक ही लाइन की राजनीति करते थे और दोनों का ही एक दूसरे के बगैर काम नहीं चलता था, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों ही दलों के नेतृत्व के बीच जो गुरूर टकराया तो रास्ते बदल गये. बीजेपी तो उसी रास्ते पर आगे बढ़ती रही, लेकिन उद्धव ठाकरे अपना रास्ता बदल चुके थे. बाद में दोनों के सामने दो दो चुनौतियां खड़ी हो गयीं. दोनों के सामने अलग अलग सरवाइवल की चुनौती - और एक दूसरे के खिलाफ मैदान में टिके रहने की भी चुनौती खड़ी हो गयी.
बीजेपी और शिवसेना का आपसी टकराव इस बात को लेकर भी है कि बीजेपी को शिवसेना को सत्ता से बेदखल करना है. शिवसेना की हर संभव कोशिश है कि कैसे बीजेपी को सत्ता से दूर रखा जा सकता है. बीजेपी और शिवसेना की जंग में यही वो जगह है जहां से दोनों ही एक दूसरे को ललकार रहे हैं.
ये तो ऐसा लग रहा है कि बीजेपी शिवसेना के खिलाफ लड़ाई महाराष्ट्र के साथ साथ बाहरी मैदानों से भी हमले कर रही है - बिहार का मैदान तो चुनावी माहौल में रंगा हुआ है ही, योगी आदित्यनाथ ने शिवाजी को हीरो बता कर यूपी में भी चुनाव के दो साल पहले से ही माहौल बनाने लगे हैं. बीजेपी चाहती है कि शिवाजी फिलहाल महाराष्ट्र में मददगार बनें और बाद में यूपी चुनाव में. राम मंदिर के अलावा भी आखिर कुछ चाहिये कि नहीं?
महाराष्ट्र की लड़ाई संसद में भी
सुशांत सिंह राजपूत के की सीबीआई जांच हो रही है और बीजेपी बिहार में स्टीकर बांट रही है - ना भूले हैं, ना भूलने देंगे. रिया चक्रवर्ती का बंगाली ब्राह्मण होना पश्चिम बंगाल की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हो गया है. नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक को जेल भेज ही दिया है. ऐसा होने से बिहार में लोगों का गुस्सा कुछ कम हो गया है और बीजेपी अपने साथ साथ जेडीयू के लिए चुनावों में फायदा उठाने में जुट गयी है.
सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती का मुद्दा उछालने वालों में कंगना रनौत आगे रही हैं और अब उनके ही नये बयान के चलते ये थोड़ा पीछे छूटता लग रहा है. कंगना रनौत के मुंबई को पीओके बताने को लेकर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ट्विटर पर बयान देकर और सामना में लेख लिख कर कैंपेन चला रहे हैं.
सामना के जरिये ही शिवसेना ने बॉलीवुड की खामोशी पर सवाल उठाया था और खास तौर पर अक्षय कुमार की चुप्पी को मुद्दा बनाया था. हो सकता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेने के कारण शिवसेना अक्षय कुमार को बीजेपी की तरफ मानती हो. संसद में रवि किशन का ड्रग्स को लेकर बॉलीवुड को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश भी इसी प्रसंग में एक सोची समझी रणनीतिक प्रतिक्रिया लगती है.
जया बच्चन को भी शायद ऐसे ही एक मौके की जरूरत रही होगी. वजह ये है कि कंगना रनौत को लेकर अमिताभ बच्चन की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे थे और ट्विटर पर #महानायक_नहीं_महानालायक ट्रेंड कर रहा था. जया बच्चन के लिए ये बच्चन परिवार की तरफ से चुप्पी तोड़ने का भी मौका था और बीजेपी विरोध के नाम पर हाजिरी भी लगानी थी. जया बच्चन ने बोल दिया कि जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो. सुनते ही कंगना रनौत ने कह दिया कि सुशांत सिंह की जगह कभी अभिषेक को रख कर क्यों नहीं देखा - और रवि किशन ने भी बोल दिया कि अगर थाली में जहर भरी हो तो छेद तो करने ही पड़ेंगे.
Jaya ji would you say the same thing if in my place it was your daughter Shweta beaten, drugged and molested as a teenage, would you say the same thing if Abhieshek complained about bullying and harassment constantly and found hanging one day? Show compassion for us also ???? https://t.co/gazngMu2bA
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) September 15, 2020
शिवसेना जया बच्चन के बयान से कितनी खुश है सामना में दिल खोल कर इजहार भी किया है. सामना में जया बच्चन की तारीफ में खूब कसीदे पढ़े गये हैं और बताया गया है कि कैसे वो हमेशा ही महिलाओं जुड़े मुद्दे उठाती रही हैं.
कंगना रनौत के बयान से तो यही लगता है जैसे पूरा बॉलीवुड या तो ड्रग एडिक्ट हो या फिर ड्रग्स के धंधे से किसी न किसी रूप में जुड़ा हो - और इस मुद्दे पर जया बच्चन के पक्ष में बीजेपी की ही मथुरा से सांसद हेमा मालिनी आ गयी हैं. एक इंटरव्यू में हेमा मालिनी ने कहा है - सिर्फ बॉलीवुड की ही बात क्यों हो रही है. कई इंडस्ट्री में ऐसा होता है. हमारी इंडस्ट्री में भी हो रहा होगा - लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी इंडस्ट्री खराब है. जिस तरह बॉलीवुड को निशाना बनाया जा रहा है, वो गलत है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.
हेमा मालिनी की तरह जया बच्चन के प्रति सोनम कपूर, अनुभव सिन्हा, फरहान अख्तर, तापसी पन्नू और काम्या पंजाबी जैसी हस्तियां भी अपना समर्थन जता चुकी हैं. हेमा मालिनी का बयान भी बीजेपी के लिए फजीहत की वजह हो सकता है. ये तो एक ही मसले पर रवि किशन और हेमा मालिनी एक दूसरे के खिलाफ आमने सामने नजर आ रहे हैं.
महाराष्ट्र में बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती खुद को मराठी अस्मिता का आदर करने वाले राजनीतिक दलों शुमार रखते हुए शिवसेना और उद्धव ठाकरे सरकार को घेरना है. देखा जाये तो शिवसेना को काफी हद तक घेर लेने के बाद बीजेपी अब खुद भी घिरी हुई महसूस कर रही है - और उबरने के ताबड़तोड़ उपाय खोजे जा रहे हैं.
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