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Updated: 24 दिसम्बर, 2019 01:23 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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झारखंड चुनाव के नतीजों (Jharkhand Election Results) ने ये साफ कर दिया है कि अब वहां हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ही मुख्यमंत्री (Next CM of Jharkhand) बनेंगे. बता दें कि उन्होंने दुमका और बरहेट दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों ही सीटों से जीत चुके हैं. वहीं दूसरी ओर, मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghubar Das) ने जमशेदपुर ईस्ट (Jamshedpur East) सीट से चुनाव लड़ा था, जहां से वह हार गए हैं. उनके विरोध में खड़े हुए थे सरयू राय, जो भाजपा के ही बागी नेता हैं और कई मौकों पर रघुवर दास के खिलाफ दिखे हैं. झारखंड की राजनीति में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी है और जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी का महागठबंधन ये चुनाव जीत गया है. अब लोग हेमंत सोरेन के बारे में अधिक से अधिक जानना चाह रहे हैं. जैसे हेमंत सोरेन कौन हैं? हेमंत सोरेन कि जिदंगी के बारे में, उनके परिवार के बारे में और सबसे अधिक उनके पिता शिबु सोरेन (Shibu Soren) के बारे में. बता दें कि शिबु सोरेन ने झारखंड बनाने में अहम रोल अदा किया है और झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी (JMM) की स्थापना भी उन्होंने ही की थी. हेमंत सोरेन की जीत के साथ ही लोग उनकी राजनीति और उनके पिता शिबु सोरेन की राजनीति में तुलना करने लगे हैं.

Who is Hemant Soren and Shibu Sorenहेमंत सोरेन का परिवार राजनीति में काफी सक्रिय रहा है, पिता शिबु सोरेन के तो राजनीतिक विवाद भी हैं.

हेमंत सोरेन का राजनीतिक करियर

अगर हेमंत सोरेन के राजनीतिक करियर (Political career of Hemant Soren) पर एक नजर डालें तो पता चलेगा कि वह राजनीति में पूरी तैयारी से नहीं, बल्कि मजबूरी में आए. वह चाहते तो थे इंजीनियर बनना, लेकिन भाई दुर्गा सोरेन (Durga Soren) की मौत के बाद 2009 में उन्होंने राजनीति में कदम रख दिया. कदम ऐसा जमकर रखा कि वह राज्य से सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. जून 2009 में उन्हें राज्यसभा में भेजा गया. जनवरी 2010 तक वह राज्यसभा सदस्य रहे, जिसके बाद उन्होंने अर्जुन मुंडा की सरकार में डिप्टी सीएम पद के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, झामुमो और भाजपा का गठबंधन दो साल ही चल सका, जिसके बाद ये गठबंधन टूट गया. 2013 में जब दोबारा चुनाव हुआ तो कांग्रेस और आरजेडी के समर्थन से हेमंत सोरेन जीते और मुख्यमंत्री बने. एक बार फिर कांग्रेस और आरजेडी के समर्थन से जीतकर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बन गए हैं.

कैसी थी शिबु सोरेन की राजनीति?

शिबु सोरेन ने राजनीति (Politics of Shibu Soren) में कदम तो 1977 में ही रख दिया था, लेकिन झारखंड की राजनीति में एक बड़ा रुतबा उन्हे 2005 में मिला. 2 मार्च 2005 को वह मुख्यमंत्री बने, लेकिन महज 10 दिन बाद 12 मार्च 2005 को उनकी सरकार गिर गई. 27 अगस्त 2008 को वह दोबारा मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भी उनकी सरकार चंद महीने चलने के बाद 18 जनवरी 2009 को गिर गई. 30 दिसंबर 2009 को तीसरी बार वह मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भी 31 मई 2010 तक ही वह सत्ता पर काबिज रह सके. इन्हीं की तरह हेमंत सोरेन भी 13 जुलाई 2013 को मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 23 दिसंबर 2014 को उनकी भी सरकार गिर गई. चार बार सोरेन परिवार से मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन एक भी बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. अब पांचवीं बार सोरेन परिवार का मुख्यमंत्री बना है. देखना दिलचस्प रहेगा कि इस बार हेमंत सोरेन अपना कार्यकाल पूरा कर पाते हैं या नहीं. लेकिन आलोचक ये कह रहे हैं कि हेमंत सोरेन अपने पिता की राजनीति के साए से बाहर निकलना चाहते हैं. यहां एक सवाल ये जरूर उठता है कि आखिर हेमंत सोरेन के पिता शिबु सोरेन की राजनीति में ऐसा क्या था, जिससे हेमंत सोरेन दूर होना चाहते हैं?

शिबु सोरेन और विवाद

शिबु सोरेन को आदिवासियों को मसीहा माना जाता है, जिन्होंने उनके लिए काफी संघर्ष किया. लेकिन उनकी आलोचना करने वाले ये भी कहते हैं कि शिबू सोरेन ने ही आदिवासी इलाकों में अपराध को राजनीतिक हित के लिए इस्तेमाल किया. उनकी जिंदगी में ऐसे ही कई विवाद (Controversy of Shibu Soren) हुए. 28 नवंबर 2006 को शिबू सोरेन 12 साल पुराने एक मामले में दोषी पाए गए, जिसमें उन्होंने अपने ही सेक्रेटरी शशिनाथ झा को अगवा कर के उसकी हत्या कर दी थी. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि 1993 में नरसिम्हा राव की सरकार को समर्थन के बदले उन्होंने पैसे लिए थे और उनके सेक्रेटरी शशिनाथ झा को गैर-कानूनी तरीके से किए गए सारे ट्रांजैक्शन की जानकारी थी. बताया जता है कि झा भी उस काले पैसे में अपना हिस्सा मांग रहे थे, जिसके चलते उनकी हत्या हुई. 5 दिसंबर 2006 को जिला कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई. 25 जून 2007 को जेल ले जाते समय उनके काफी पर बम से हमला भी हुआ. 23 अगस्त 2007 को दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट का फैसला पलट दिया और पर्याप्त सबूत नहीं होने की वजह से शिबु सोरेन को बरी कर दिया. हेमंत सोरेन राजनीति में नौसिखिए तो नहीं हैं, लेकिन अभी बहुत पुराने भी नहीं हुए हैं. अब तक उन्हें लेकर कोई विवाद नहीं है. देखना दिलचस्प रहेगा कि उनका आगे का सफर कैसा रहता है.

Who is Hemant Soren and Shibu Sorenउनके दो बेटे निखिल और अंश हैं. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल की संचालक हैं.

परिवार में और कौन-कौन?

इनके अलावा उनके परिवार में उनके दो बेटे निखिल और अंश हैं. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल की संचालक हैं. उनकी मां रूपी सोरेन भी अपने बेटे की तरक्की देखकर खुश होती हैं. हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनना तय होने के साथ ही उनके परिवार की चर्चा तेज हो चली है. लेकिन सोरेन परिवार का मुख्यमंत्री चंद महीनों या अधिक से अधिक एक-डेढ़ साल में ही ढेर हो गया. वैसे देखा जाए तो रघुवर दास राज्य के पहली ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है. अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि हेमंत सोरेन भी कार्यकाल पूरा करते हैं या फिर उनकी सत्ता किसी विवाद की भेंट चढ़ जाती है.

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