JNU VC को हटा देना हल मगर सरकार नहीं चाहेगी, क्योंकि...
JNU में हुए दो छात्र संगठनों के बीच हुए Violence के बाद जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. जैसे हालात हैं यूनिवर्सिटी का माहौल तभी दुरुस्त किया जा सकता है जब वहां से वाइस चांसलर को हटाया जाए मगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती. यदि ऐसा हुआ तो सरकार कर खूब जमकर किरकिरी हो जाएगी.
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CAA protest को देखें तो दिलचस्प बात ये है कि प्रदर्शन के शुरूआती दौर में JNU स्टूडेंट्स का नाम नहीं आया. देश को लगा कि विश्वविद्यालय के छात्र पढ़ने लिखने में लग गए हैं. मगर हकीकत, हकीकत है फ़साना भ्रम ही रहता है. JNU सुर्ख़ियों में है. कारण वही पुराना, विचारधारा की लड़ाई. बीते दिनों परिसर में जो उपद्रव हुआ है वो हमारे सामने हैं. छात्रसंघ अध्यक्ष आयशी घोष (JNUSU president injured in JNU Violence) समेत तमाम छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं और मामले की जांच की जा रही है. बात अगर इस पूरे मामले की हो तो दिल्ली पुलिस से लेकर लेफ्ट और एबीवीपी के छात्र और वाइस चांसलर सब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं.
जैसी कार्यप्रणाली रही है इतना तो साफ़ हो गया है कि एम जगदीश कुमार जेएनयू संभालने में नाकाम रहे
एम जगदीश कुमार जेएनयू परिवार के मुखिया हैं. तो आगे कुछ भी कहने से पहले हमारे लिए उन बातों को रखना जरूरी है जो उन्होंने घटना को लेकर कही हैं. मामले पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और परिसर में हुई मारपीट और गुंडागर्दी को लेकर कहा है कि जेएनयू अपने डिबेट और डिस्कशन के लिए जाना जाता है. रविवार को जो हुआ वह हम सभी के लिए पीड़ादायी था.
अपने बयान में वीसी ने ये भी माना है कि पुलिस के आने के बाद ही स्थिति को नियंत्रित किया जा सका. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि पुलिस जांच कर रही है कि नकाबपोश बाहर से आए थे या नहीं ? इसके तथ्य जल्द ही सामने आएंगे. जेएनयू में हुए बवाल पर उन्होंने ये भी कहा कि यूनिवर्सिटी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को मामले की रिपोर्ट दे दी है.
JNU VC M Jagadesh Kumar: The registration process has been restarted. Students can register for the winter semester now. Let us make a new beginning and put the past behind. https://t.co/fRukfsGK8A
— ANI (@ANI) January 7, 2020
जेएनयू मामले में हिंसा फैलाने के लिए हथियारों का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया है. पुलिस को हथियारों के बारे में जांच करने दें. हमारा प्राथमिक उद्देश्य सामान्य स्थिति को वापस लाना है. सर्वर शुरू हो गया है और स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. वहीं बात अगर लेफ्ट और एबीवीपी छात्रों की हो तो दोनों ही एक दूसरे को घटना के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वीसी और स्टूडेंट्स के बाद सवाल दिल्ली पुलिस से भी हो रहे हैं. तमाम ऐसे वीडियो हमारे सामने हैं जिनमें साफ़ दिख रहा है कि जिस वक़्त परिसर में अराजकता हुई पुलिस मौजूद थी और मूकदर्शक बन सब कुछ चुप चाप देख रही थी.
मामले को लेकर जांच क्या होती है? दोषी कौन है? निर्दोष कौन है? क्या पुलिस नकाबपोश गुंडों को पकड़ने में कामयाब होगी? इस सभी सवालों का जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है. मगर पूरे जेएनयू विवाद का जो एक समाधान हमें दिखाई देता है. वो ये है कि अब वो वक़्त आ गया है जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एम जगदीश कुमार को परिसर से निकाल कर किसी दूसरे व्यक्ति को वहां की जिम्मेदारी दे देनी चाहिए.
हो सकता है कि हमारा ये तर्क आपको थोड़ा अजीब लगे. लेकिन सत्य यही है कि अगर वाकई सरकार ये चाहती है कि परिसर में शांति बनी रहे तो उसे वीसी एम जगदीश कुमार को नमस्ते कर देना चाहिए. मगर इस बात से हम भी वाक़िफ है कि ऐसा कुछ होने वाला नहीं है. हम ऐसा सिर्फ इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यदि वीसी हटते हैं तो ध्रुवीकरण का वो धुरी जो सत्ता धारी दल द्वारा जेएनयू के जरिये देश भर में स्थापित की गई है वो न तो प्रभावित होगी. या फिर हट जाएगी जो कहीं से भी देश की सरकार के लिए फायदेमंद नहीं है.
साथ ही सत्ताधारी दल इस बात को भी समझता है कि अगर इस मुश्किल वक़्त में सारा ठीकरा वाइस चांसलर पर फोड़ते हुए उन्हें हटा लिया जाता है तो इससे उन लेफ्ट छात्रों को बल मिलेगा जिनके आंदोलन का मकसद ही एम जगदीश कुमार को वापस भेजना है. बात सीधी और एकदम साफ़ है हो सकता है अचानक से बढ़ी हुई फीस इस पूरे आंदोलन की एक बड़ी वजह हो मगर ये कहना कि यही वो कारण था जिसने छात्रों को वीसी के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए बाध्य किया न तो हालात को जस्टिफाई करता है और न ही जेएनयू की आब ओ हवा को.
इस बात में कोई शक नहीं है कि वाम का मजबूत किला होने के अलावा जेएनयू विमर्श के लिए भी जाना जाता है. साथ ही परिसर के छात्र पढ़ाई को कम तरजीह देते हुए विमर्श को महत्त्व देते थे. जनवरी 2016 में जब एम जगदीश कुमार को विश्व विद्यालय का वाइस चांसलर नियुक्त किया गया उन्होंने तमाम प्रयास ऐसे किये जिनका उद्देश्य छात्रों को विमर्श से हटाकर क्लासरूम तक लाना था.
छात्रों को ये अनुशासन रास नहीं आया और उन्होंने वीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. तब से लेकर आज तक ये टकराव बना हुआ है. इन तमाम बातों के बाद खुद ये साफ़ हो जाता है कि आखिर परिसा में लड़ाई किस बात की है और इस पूरे बवाल की जड़ कहां हैं.
बहरहाल बात हमने ये कहकर शुर की थी कि JNU VC को हटा देना हल मगर सरकार उन्हें इसलिए भी नहीं हटाएगी क्योंकि NRC को लेकर वो पहले ही तमाम तरह की आलोचना का शिकार हो चुकी है. अब जबकि JNU भाजपा के लिए वोट जुटाने और ध्रुवीकरण की मशीन है यहां से अगर एम जगदीश कुमार हटते हैं तो इसका सीधा असर भाजपा के वोटों पर पड़ेगा जो छिटक कर कहीं दूर चले जाएंगे.
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