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Updated: 06 जनवरी, 2020 01:52 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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जेएनयू में एक बार फिर हिंसा (JNU Violence) भड़की है. रविवार शाम को कुछ नकाबपोश बदमाशों ने जेएनयू में तोड़फोड़ की. इस हमले में न सिर्फ कैंपस की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि स्टूडेंट्स और शिक्षकों पर भी लाठी-डंडे और रॉड से हमला किया गया (JNU mob attacked). कई छात्र-छात्राएं और शिक्षक बुरी तरह से घायल हुए हैं. कई वीडियो और फोटोज भी सामने आ रहे हैं, जिसमें हमलावर हाथों में हॉकी-डंडे लिए घूमते दिख रहे हैं. एबीवीपी (ABVP) और लेफ्ट (Left) दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. इस बवाल के बाद अब दिल्ली पुलिस (Delhi Police) भी हरकत में आ गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है, ताकि दोषियों को पकड़ा जा सके. यहां एक अहम सवाल ये उठता है कि आखिर ये सब हुआ क्यों? सवाल ये भी है कि अचानक रविवार का ऐसा क्या हुआ, जिसके बाद ऐसी हिंसात्मक घटना (JNU Mob Violence) हुई? खैर, जेएनयू के वीसी (JNU VC Statement) ने एक प्रेस नोट के जरिए बीती रात और उससे पहले के पूरे घटनाक्रम को उजागर किया है, जिससे एक बात तो साफ हो जाती है कि कुछ भी अचानक नहीं हुआ.

JNU Violence VC Statementरविवार शाम को जेएनयू कैंपस में कुछ नकाबपोश लोगों ने घुसकर तोड़फोड़ की और छात्रों और शिक्षकों से बुरी तरह पीटा.

3 जनवरी से पक रहा था ये सब

अगर आपको लग रहा है कि रविवार को अचानक जेएनयू में कुछ हो गया, तो आप गलत सोच रहे हैं. कुछ भी अचानक नहीं हुआ. जेएनयू में रविवार की शाम को जो नजारा देखने को मिला, वो 3 जनवरी से ही पक रहा था. इसका खुलासा खुद यूनिवर्सिटी के वीसी ने प्रेस नोट जारी कर के किया है.

रही बात वजह की, तो इसकी वजह है रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया. इस सारी तोड़फोड़ और मारपीट का मकसद सिर्फ यही था कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को रोका जा सके और ये सब रविवार को शुरू नहीं हुआ, बल्कि 3 जनवरी से ही शुरू हो चुका था.

वीसी ने खोलीं घटना की परतें

जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार ने रविवार शाम को हुई घटना की निंदा करते हुए एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें कई अहम खुलासे किए. उन्होंने बताया कि 1 जनवरी से विंटर सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी. हालांकि, 3 जनवरी को छात्रा का एक समूह चेहरे पर मास्क लगाकर कम्युनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन सर्विसेस (CIS) की बिल्डिंग में घुस आया जबरन टेक्निकल स्टाफ को बाहर निकालकर सर्वर को नुकसान पहुंचाया, ताकि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया रुक सके. यूनिवर्सिटी की तरफ से तुरंत ही पुलिस में इसका शिकायत दर्ज करा दी गई थी.

JNU Violence VC Statementजेएनयू के वीसी ने घटना को लेकर एक प्रेस नोट जारी किया है और बताया है कि ये सब 3 जनवरी से शुरू हो गया था.

4 जनवरी को टेक्निकल स्टाफ ने सर्वर सही कर दिए और एक बार फिर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई. छात्रों ने नए हॉस्टल रूम रेंट देकर रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर दिया, लेकिन फिर से कुछ छात्रों का समूह CIS की बिल्डिंग में घुसा और सर्वर को नुकसान पहुंचाया, फाइबर ऑप्टिक केबल भी काट दी, पावर सप्लाई भी काट दी. यूनिवर्सिटी की तरफ से दोबारा पुलिस में शिकायत की गई, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ.

5 जनवरी यानी रविवार की शाम को करीब 4.30 बजे एक बार फिर छात्रों का एक समूह नकाब पहन कर अंदर घुसा और तोड़फोड़ मचा दी. इस बार सिर्फ सर्वर या प्रॉपर्टी के साथ तोड़फोड़ नहीं की गई, बल्कि छात्र-छात्रों और शिक्षकों को भी मारा गया. वीसी के अनुसार कुछ नकाबपोश तो पेरियार हॉस्टल के कमरों में भी जा घुसे और वहां स्टूडेंट्स को डंडों से पीटा. सिक्योरिटी गार्ड्स को भी बुरी तरह से मारा गया है.

अब सवाल ये कि जिम्मेदार कौन?

JNU में जो कुछ हुआ वो अचानक नहीं हुआ ये तो साफ हो गया है, लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर उसके लिए जिम्मेदार कौन है? यूनिवर्सिटी, जो अपने छात्रों और कैंपस की सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं कर सकी? या पुलिस, जिसे एक नहीं बल्कि दो बार नकाबपोशों की शिकायक की, लेकिन उसने उचित कार्रवाई करने में देर कर दी? या एबीवीपी की बात मानें और लेफ्ट समर्थक छात्रों को जिम्मेदार मानें? या लेफ्ट की बात मानें कि एबीवीपी वाले ही नकाब पहनकर आए और तोड़फोड़ और मारपीट की? खैर, जिम्मेदारी तो जांच के बाद ही तय होगी, लेकिन इस सवाल का जवाब देने किसी न किसी को तो आगे आना होगा कि उन छात्रों का क्या कसूर था, जो किसी पार्टी के समर्थक नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्हें बुरी तरह पीटा गया है?

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