पायलट ने तो बच्चों की मौत पर CM गहलोत को ही कठघरे में खड़ा कर दिया
राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिया है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के रवैये को लेकर नाराज सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के कहने पर पायलट कोटा पहुंचे थे.
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अशोक गहलोत (Ashok Gehlot on Kota Hospital death) पहले बीजेपी और बीएसपी के निशाने पर थे. अब तो उनके डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot questions own govrnment) ने ही मुख्यमंत्री को घेर लिया है. कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महज मामूली बात बता रहे थे, लेकिन अस्पताल पहुंच कर सचिन पायलट उसे दिल दहला देने वाली घटना बताया है.
सचिन पायलट से पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी कोटा और आस-पास के इलाकों में रहने वाले उन परिवारों के पास पहुंचे जिनके बच्चों की अस्पताल में हाल में मौत हो गयी. स्पीकर ओम बिरला कोटा-बूंदी लोक सभा सीट से ही सांसद हैं.
सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान (Sonia Gandhi) के निर्देश पर कोटा अस्पताल का दौरा किया और जान गंवाने वाले बच्चों के परिवारवालों से भी मुलाकात की. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी रिपोर्ट तलब की है.
मामूली और दिल दहला देने वाली घटना में राजनीतिक फर्क
बेशक सचिन पायलट को अशोक गहलोत के खिलाफ राजनीतिक पलटवार के लिए मौके का इंतजार रहा होगा, लेकिन कोटा की घटना पर खुद कोई पहल नहीं की थी. सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं. बताते हैं कि वो दिल्ली में थे और सोनिया गांधी के कहने पर जयपुर पहुंचे और फिर कोटा. ये तो विपक्ष हमलों से परेशान होकर सोनिया गांधी ने राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे के माध्यम से अशोक गहलोत के प्रति नाखुशी जाहिर की और रिपोर्ट मांगी. सचिन पायलट अब सोनिया गांधी को रिपोर्ट भी देनी है.
रिपोर्ट तो बाद की बात है, सचिन पायलट ने कोटा में मीडिया के सामने जो कुछ कह दिया है, उससे तो अशोक गहलोत के लिए अपनी सरकार का बचाव करना ही मुश्किल हो गया है. बीजेपी के हमले या बीएसपी नेता मायावती के सवाल अपनी जगह, लेकिन अपनी ही सरकार के जूनियर साथी का सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाना ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है.
सचिन पायलट ने बच्चों की मौत को अशोक गहलोत के खिलाफ राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने से पहले ही डिस्क्लेमर भी पेश किया था - 'मैंने इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया है.'
सचिन पायलट को मालूम था कि उनकी बातों का कितना और कहां तक असर होने वाला है, फिर भी बोले और खुल कर बोले, 'मैं यहां आया हूं, मेरे साथ कोई नारे लगाने वाला नहीं आया. न मैंने नारे लगाने दिये हैं. मैंने जवाबदेही और जिम्मेदारी की बात की है.'
राजनीति के साथ साथ सचिन पायलट ने भावनाओं की ओर ध्यान दिलाते हुए अपनी बात और हर शब्द को सही ठहराने की भी पूरी कोशिश की, 'जिस मां ने अपनी कोख में नौ माह बच्चे को रखा... उसे खोने की पीड़ा वही जानती है. इस मामले में हमारी प्रतिक्रिया ज्यादा संवेदनशील और ज्यादा सहानुभूतिभरी होनी चाहिए थी.'
सचिन पायलट ने मौके का राजनीतिक फायदा उठा लिया
दरअसल, अशोक गहलोत का कहना रहा कि ये कोई नयी बात नहीं है क्योंकि प्रदेश के हर अस्पताल में रोज तीन-चार बच्चों की मौत होती ही है. ऊपर से दावा ये भी कि बीते छह साल के मुकाबले सबसे कम बच्चे मरे हैं. अशोक गहलोत ने कहा था, 'एक भी बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन मौतें 1400 भी हुई हैं... 1500 भी... इस साल करीब 900 मौतें हुई हैं.'
अशोक गहलोत की बातों का सपोर्ट करते हुए राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने भी कहा था कि अगर बीजेपी अपने कार्यकाल के दौरान इस अस्पताल में हुए बच्चों की मौत का आंकड़ा देख ले तो शायद आलोचना नहीं करेगी.
सचिन पायलट की बातों से साफ था कि वो अशोक गहलोत के बयान के हर शब्द का हिसाब-किताब कोटा में ही कर देना चाहते हैं. बोले भी, 'हमें आंकड़ों के जाल में नहीं फंसना है. हम लोगों का जो रिस्पॉन्स रहा है पूरे मामले को लेकर वो किसी हद तक संतोषजनक नहीं है,'
वैसे तो सोनिया ने भी ये सोच कर सचिन पायलट को नहीं भेजा होगा कि वो कांग्रेस की अपनी ही सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर देंगे, लेकिन सचिन पायलट को अशोक गहलोत ने जो जख्म दिये थे वे मौका पाते ही हरे भरे हो गये लगते हैं. कांग्रेस की कमान मिलने के बाद सचिन पायलट राजस्थान की पिछली वसुंधरा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और खूब मेहनत की. नतीजा ये होने लगा कि कई उपचुनावों की जीत कांग्रेस के हिस्से में ला दिये, लेकिन ऐन मौके पर अशोक गहलोत फैल गये और कांग्रेस नेतृत्व को राजी कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जा बैठे. अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रति जो भी समर्पण दिखाते आये हों, लेकिन राहुल गांधी ने CWC की मीटिंग में ही साफ कर दिया की उनकी असलियत क्या है.
प्रियंका गांधी का मायावती पर पलटवार
स्पीकर ओम बिड़ला ने अपने स्तर से कोटा के अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने की बात कही है. NHRC ने भी मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर खुद संज्ञान लेते हुए राजस्थान सरकार को नोटिस भेजा है और चार हफ्ते में जवाब मांगा है. नोटिस में NHRC ने कहा है कि राजस्थान सरकार सुनिश्चित करे कि बच्चों की मौत स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते न हो.
राजस्थान तो राजस्थान, यूपी में भी कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत को लेकर काफी शोर मचा था. जब 2017 में गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की मौत हुई तो भी खूब राजनीति हुई थी. तब राहुल गांधी भी गोरखपुर के दौरे पर गये और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी. मायावती ने उसी वाकये की ओर इशारा करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को चैलेंज किया था कि वो कोटा में जिन माताओं की कोख उजड़ गयी उनसे भी मिलने जाएंगी क्या? मायावती यूपी में प्रियंका गांधी की राजनीतिक सक्रियता से बेहद खफा हैं और नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ पुलिस एक्शन के शिकार लोगों के परिवार वालों से जा जाकर मिल रही हैं. मायावती को प्रियंका गांधी का ये राजनीतिक पैंतरा फूटी आंख भी नहीं सुहा रही है.
चुनावों में तो मायावती कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ हमले बोलती ही रहीं, हाल फिलहाल प्रियंका गांधी वाड्रा को खूब निशाना बना रही हैं. वो प्रियंका गांधी वाड्रा का सीधे सीधे नाम लेने की जगह 'कांग्रेस की महिला महासचिव' कह कर हमले करती हैं. वैसे प्रियंका गांधी को अब तक मायावती को लेकर परहेज करते ही देखा गया है - लेकिन मुजफ्फरनगर में जब मीडिया ने सवाल किया तो जवाब भी देना पड़ा.
मायावती के चैलेंज पर प्रियंका गांधी वाड्रा कोटा तो नहीं गयीं, लेकिन CAA-NRC का विरोध करने वालों के खिलाफ पुलिस एक्शन पर यूपी दौरा जारी रखा और उसी क्रम में मुजफ्फरनगर पहुंची थीं. मुजफ्फरनगर में भी प्रियंका गांधी ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार और उनकी पुलिस की कार्रवाई को बर्बर बताया. प्रियंका गांधी ने कहा कि वो कोटा में बच्चों की हुई मौत के मामले की जानकारी हासिल कर चुकी हैं और ज्यादा जानकारी के लिए कांग्रेस की एक टीम गयी हुई है.
जब मायावती के बयान पर सवाल हुआ तो प्रियंका गांधी का छोटा सा जवाब था, 'उनको निकलना चाहिए. उनको जाना चाहिए मिलने पीड़ितों से.' प्रियंका गांधी के कहने का मतलब रहा कि मायावती को सिर्फ ट्विटर से काम चलाने की बजाये फील्ड में भी निकलना चाहिये. अब गेंद मायावती के पाले में पहुंच गयी है.
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