जानिए, राणा अयूब को एयरपोर्ट पर क्यों रोका गया
स्वतंत्र पत्रकार और एक्टिविस्ट राणा अयूब (Rana Ayyub) को लंदन जाने से रोक दिया गया. कोविड राहत के नाम पर मिली डोनेशन का निजी उपयोग कर मनी लॉडरिंग करने के आरोप की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है. मोदी विरोध के लिए ख्यात राणा पर उनके विरोधी इस्लामिक एजेंडा चलाने का आरोप भी लगाते रहे हैं.
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स्वतंत्र पत्रकार और एक्टिविस्ट राणा अयूब (Rana Ayyub) को लंदन जाने से रोक दिया गया. जिसके बाद एक बार फिर से भारत में पत्रकारों के उत्पीड़न का आवाज उठाई जाने लगी है. राणा अयूब के समर्थन में देश-विदेश के पत्रकारों और एक्टिविस्ट बड़ी संख्या में ट्वीट कर रहे हैं. दरअसल, मुंबई हवाई अड्डे पर अधिकारियों ने राणा अयूब को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी की ओर से जारी किए गए लुक आउट नोटिस के मद्देनजर विदेश रवाना होने से रोक दिया था. वहीं, इस पर राणा अयूब ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि 'भारतीय लोकतंत्र पर भाषण देने के लिए मुझे बाहर जाना था. और, इसकी घोषणा कई हफ्ते पहले ही कर दी थी. उन्हें रोके जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय का समन मिला.' आइए जानते हैं कि आखिर पत्रकार राणा अयूब को क्यों रोका गया?
I was stopped today at Mumbai immigration from travelling to deliver this address & onwards to @journalismfest to deliver d keynote speech on Indian democracy. I had made this announcement public over weeks, yet the ED summon very curiously arrived in my inbox after i was stopped https://t.co/BGNm8pcjlD
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 29, 2022
राणा अयूब पर दर्ज है मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
वॉशिंगटन पोस्ट की कॉलमिस्ट राणा अयूब के खिलाफ पिछले साल सितंबर महीने में एक एनजीओ संस्थापक ने गाजियाबाद में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले (money laundering case) में आरोप लगाया गया था कि एक ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केटो (Ketto) पर राणा अयूब ने अवैध रूप से सार्वजनिक धन इकट्ठा किया था. प्रवर्तन निदेशालय ने इसी मामले में पिछले साल ही राणा अयूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी थी. इसी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय ने पत्रकार राणा अयूब को 1 अप्रैल को तलब किया है. इससे पहले उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया है. इसी लुक आउट सर्कुलर के आधार पर राणा अयूब को मुंबई हवाई अड्डे पर लंदन जाने से रोक दिया गया.
प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त की थी संपत्ति
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राणा अयूब की 1.77 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कहा गया था कि राणा अयूब ने कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केटो पर 2020 से 2021 तक कथित तौर पर 3 अलग-अलग फंडरेजिंग अभियानों के तहत 2.69 करोड़ से ज्यादा रुपये जुटाए थे. राणा अयूब ने दान में मिले इन रुपयों का इस्तेमाल सही उद्देश्य के लिए नहीं किया था. और, इन अभियानों से जुटाए गए दान के रुपयों का इस्तेमाल अपनी निजी जरूरतों और खर्चों के लिए किया था. मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले पर ईडी और आयकर विभाग दोनों ही वित्तीय लेनदेन में की गई खामियों की जांच कर रहे हैं.
राणा अयूब के खिलाफ ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच कर रही है.
मंजूरी के बिना लिया विदेशी चंदा
मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में राणा अयूब पर एफसीआरए (विदेशी योगदान नियमन अधिनियम) की मंजूरी लिए बिना विदेशी चंदा लेने का भी आरोप है. दरअसल, राणा अयूब की ओर से कोरोना पीड़ितों, बाढ़ राहत कार्यों, प्रवासियों के नाम पर चलाए गए क्राउडफंडिंग अभियान को विदेशों से भी चंदा मिला था. जबकि, विदेश से चंदा लिए जाने के लिए एफसीआरए (विदेशी योगदान नियमन अधिनियम) की मंजूरी जरूरी है. हालांकि, ईडी और आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद राणा अयूब ने विदेशी चंदा वापस कर दिया था. लेकिन, विदेशी चंदा वापस किए जाने के बाद भी राणा अयूब के पास एक बड़ी रकम बची थी. जिसका इस्तेमाल उन्होंने नहीं किया था. ईडी के अनुसार, राणा अयूब ने दान के इन रुपयों से 50 लाख रुपए का एक फिक्स डिपोजिट भी खोला था. पूछताछ के दौरान इसे लेकर सफाई देते हुए राणा अयूब ने कहा था कि उन्होंने अस्पताल बनाने के लिए एफडी के जरिये कुछ ब्याज जुटाने की कोशिश की थी.
अयूब को कथित 'न्यायिक प्रताड़ना' से बचाने के लिए यूएन ने किया था ट्वीट
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच का सामना कर रहीं राणा अयूब के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र-जिनेवा ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा गया था कि 'पत्रकार पर हो रहे ऑनलाइन महिला विरोधी और सांप्रदायिक हमलों को संज्ञान में लेकर भारतीय अधिकारियों को इसकी जांच करनी चाहिए. और, राणा अयूब के खिलाफ न्यायिक प्रताड़ना को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए.' गौरतलब है कि अवैध रूप से दान के रुपयों की मनी लॉन्ड्रिंग में फंसने के बाद से ही राणा अयूब के समर्थकों ने उनके लिए लॉबिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
Relentless misogynistic and sectarian attacks online against journalist @RanaAyyub must be promptly and thoroughly investigated by the #Indian ?? authorities and the judicial harassment against her brought to an end at once, stress @UN_SPExperts. https://t.co/scIURjpOdn pic.twitter.com/5jzUWA4V48
— UN Geneva (@UNGeneva) February 21, 2022
वैसे, संयुक्त राष्ट्र-जिनेवा के इस ट्वीट पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी. इस मामले पर भारत की ओर से साफ शब्दों में कहा गया था कि तथाकथित न्यायिक प्रताड़ना के ये आरोप पूरी तरह से निराधार और अनावश्यक हैं. भारत में कानून का राज है, लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. हम आपसे सही जानकारी की उम्मीद करते हैं. इस तरह के भ्रामक नैरेटिव को बढ़ावा देना संयुक्त राष्ट्र-जिनेवा की प्रतिष्ठा को केवल तोड़ता है.
Allegations of so-called judicial harassment are baseless & unwarranted. India upholds the rule of law, but is equally clear that no one is above the law. We expect SRs to be objective & accurately informed. Advancing a misleading narrative only tarnishes @UNGeneva’s reputation https://t.co/3OyHq4HncD
— India at UN, Geneva (@IndiaUNGeneva) February 21, 2022
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