तमिलनाडु की राजनीति में दिग्गजों का जमावड़ा
क्या रजनीकांत और कमल की राह सचमुच इतनी आसान है? क्या राजनीति में उनकी कामयाबी के लिए उनके शुभचिंतक, मित्र और फैन क्लब ही काफी हैं? तो बता दें कि ऐसा नहीं है.
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सुपरस्टार कमल हसन ने ऐलान किया है कि 26 जनवरी से वो पूरे तमिलनाडु का दौरा शुरू करेंगे. गौरतलब है कि कुछ ही दिनों पहले ही उन्होंने राजनीति में आने की घोषणा थी. यानी की वो गणतंत्र दिवस से सक्रिय राजनीति में कूद पड़ेंगे. 21 फरवरी को वो अपनी पार्टी के नाम की घोषणा करेंगे. उन्होंने कहा है कि वह यात्रा के अलावा इसी महीने एक मोबाइल एप्लीकेशन ‘मय्यम व्हिसिल’ भी जारी करेंगे. इसपर भ्रष्टाचार की शिकायतों सहित कमल हसन के बारे में प्रतिक्रियाएं दी जा सकेंगी, साथ ही उनसे बात भी की जा सकेगी.
हाल ही में रजनीकांत ने भी राजनीति में आने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि 2021 में तमिलनाडु की सभी 234 विधानसभा सीटों पर वो चुनाव लड़ेंगे. एक एंड्रॉयड मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट शुरू कर उन्होंने इस दिशा में अपना पहला कदम भी बढ़ा दिया है. उन्होंने ऐसा इसलिए किया है ताकि लोग उनसे जुड़ सकें. इसे ही आगे चलकर पार्टी के रूप में बदला जायेगा, साथ ही जो सदस्य इससे जुड़े होंगे वो उनके राजनीतिक दल में शामिल हो जायेंगे.
तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के बाद से उनकी पार्टी में उथल-पुथल देखने को मिल रही है. इससे प्रदेश की राजनीति में अस्थिरता देखने को मिली है. लेकिन इसका फायदा मुख्य विपक्षी दल डीएमके नहीं उठा पाया है, जिससे नयी पार्टियों के लिए वहां एक उम्मीद है. दोनों ही सुपर स्टारों ने कहा है कि वो राजनीति में लोगों की सेवा करने के लिए आये हैं. उन्होंने कहा है कि सियासत के जरिए कुछ पाने के लिए वो इस क्षेत्र में नहीं आ रहे हैं. इससे इतना तो साफ़ है की उनके चहेते इस मुहीम में उनके साथ आएंगे. क्योंकि हमने देखा है कि पहले भी फ़िल्मी सितारों ने इस प्रदेश की राजनीति में अहम् भूमिका निभाई है.
दिनाकरन जीत तो गए पर तमिल जनता पर पैठ नहीं बना पाए हैं
हाल के आरके नगर उपचुनाव में शशिकला के भतीजे दिनाकरन ने जीत दर्ज कर सभी को झटका दिया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनमें अभी इतनी क्षमता नहीं है कि वो पूरे प्रदेश में इस तरह का प्रदर्शन कर पाएं. उन्होंने भी नयी पार्टी बनाने की ओर इशारा किया है. कह सकते हैं कि राज्य की दोनों ही बड़ी पार्टियों की मौजूदा स्थिति पहले जैसी नहीं है. एक विभाजन से जूझ रही है तो वहीं दूसरी पार्टी के नेता स्टालिन कुछ खास प्रभाव छोड़ने में फ़िलहाल नाकाम रहे हैं. इससे इन दोनों ही अभिनेताओं के लिए राह कुछ आसान दिख रही है.
लेकिन क्या रजनीकांत और कमल की राह सचमुच इतनी आसान है? क्या राजनीति में उनकी कामयाबी के लिए उनके शुभचिंतक, मित्र और फैन क्लब ही काफी हैं? तो बता दें कि ऐसा नहीं है. उनके सामने कई चुनौतियां जैसे की उन्हें कई स्तर पर पार्टी को आकार देने के लिए काबिल कार्यकर्ताओं की जरुरत पड़ेगी. साथ ही इतने बड़े प्रदेश के हर कोने में अपनी पहुंच बनाने में वक़्त और मेहनत दोनों की दरकार होगी.
इन दोनों को ये भी देखना होगा की ये दोनों ही पार्टियां नई हैं और कहीं ये राज्य में आने वाले चुनाव को चौतरफा न बना दें. अगर ऐसा होता है तो वहां किसे फायदा होगा इसका अनुमान लगाना कठिन होगा. यही नहीं प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी भी अपनी मौजूदगी दर्ज करने की पूरी कोशिश करेंगे. लेकिन ऐसा माना जा रहा है की दोनों दल किसी ना किसी के साथ गठबंधन कर सकते हैं.
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