कमलनाथ की कर्ज माफी के साथ छुपा हुआ है 'शर्तें लागू' वाला कॉलम
कांग्रेस ने कर्ज माफी तो करवा दी, लेकिन किसानों के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं. फैसले को लेकर किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले ये शर्तें जान लें.
-
Total Shares
मध्य प्रदेश में कमलनाथ और कांग्रेस का सिक्सर है कर्ज माफी. सीएम बनने के तुरंत बाद कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी की फाइल पर दस्तखत तो कर दिए लेकिन इसी के साथ शुरू कर दी एक नई बहस. वो बहस जो ये तय करेगी कि आखिर किस किसान का कर्ज माफ होगा और किसका नहीं.
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान में भी कर्ज माफी को लेकर बैठक होने वाली है और ये कहा जा रहा है कि वहां भी किसानों का कर्ज माफ होगा. सोचकर अच्छा लगता है कि अन्नदाता को कर्ज माफी मिलेगी, लेकिन आखिर कांग्रेस की इस स्कीम का फायदा किसे मिलेगा? ऑर्डर की कुछ शर्तें ऐसी हैं जिनसे कुछ को तो फायदा मिलेगा, लेकिन कई को नुकसान भी हो सकता है.
1. दो लाख तक का लोन माफ होगा..
यानी अगर किसी किसान ने दो लाख से ऊपर लोन लिया है तो उसे ये फायदा नहीं मिलेगा. ये अपर लिमिट रखी गई है और ये लिमिट यकीनन ज्यादा कर्ज के बोझ तले दबे हुए किसानों के लिए नहीं है. साथ ही, एक बात गौर करने वाली है कि इसका फायदा सबसे ज्यादा जरूरत मंद किसानों को नहीं मिलेगा. ये वो किसान हैं जो साहूकार या किसी धनी व्यक्ति से कर्ज लेते हैं. सरकार ने उनके लिए कोई नई योजना नहीं बनाई है.
मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ द्वारा साइन किया गया ऑर्डर
2. सिर्फ 31 मार्च 2018 तक के कर्ज पर लागू-
अब यहां इस बात को समझने की जरूरत है कि जबसे राहुल गांधी ने कर्ज माफी का वादा किया था तब से ही किसानों ने कर्ज माफी की बात सोचकर कर्ज चुकाना बंद कर दिया था. ये आंकड़े कहते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब से राहुल गांधी के भाषण के बाद से उन किसानों की संख्या में 10% कमी आई है जो अपना कर्ज चुका रहे थे. रिपोर्ट कहती है कि राहुल के भाषण के बाद लोगों ने कर्ज वापस चुकाना बंद कर दिया था. अब उन लोगों को समस्या होगी क्योंकि ये कर्ज माफी सिर्फ 31 मार्च तक के लोन पर ही होगी.
3. सिर्फ कम अवधि वाले लोन पर असर-
केवल खेती के लिए उठाए कर्ज पर माफी मिलेगी, यानी वो कर्ज जो फसल के लिए दिया गया है. कम अवधि वाला कर्ज. यानी अगर किसी किसान ने लंबे समय के लिए कोई कर्ज लिया है तो उसका फायदा नहीं मिलेगा.
4. फसल के अलावा लिया कर्ज किसी मोल का नहीं-
फसल के अलावा किसी अन्य चीज़ के लिए लिया गया कर्ज जैसे ट्रैक्टर खरीदना, कुआं खुदवाना, खेती के लिए अन्य सामान खरीदना, या पूरा का पूरा खेत खरीदना. ये सब कर्ज माफी के मापदंड में नहीं आता है. अगर किसी ने अपने खेत में सिंचाई के लिए कोई मशीन खरीदी है तो उसका कर्ज भी माफ नहीं होगा, यहां तक कि गाय-बैल लेने वाला कर्ज भी माफ नहीं होगा.
5. बैंक का भी ध्यान रखना होगा-
अगर किसी किसान ने एक से ज्यादा बैंक से लोन ले रखा है तो वो कर्ज माफ किया जाएगा जो सहकारी बैंक का होगा. कर्जमाफी 2009 के बाद के कर्जदार किसानों की होगी. इसमें करीब 33 लाख किसान शामिल हैं.
6. अभी और भी कुछ हो सकता है-
कांग्रेस का जो नियम और शर्तें लागू कर रही है उसमें लग रहा है कि अभी आने वाले समय में और भी कई क्लॉज जुड़ सकते हैं. अभी कर्ज माफी पर और उससे जुड़ी शर्तों पर मंथन चल रहा है. कांग्रेस का कहना है जो लोग पात्र होंगे उन्हें ही इसका फायदा मिलेगा.
कितने किसानों को कर्ज माफी से फायदा मिलेगा ये जान लेना भी जरूरी है
इस कर्ज माफी से सरकार पर लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा. स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) के मुताबिक, 31 मार्च, 2018 तक किसानों का करीब 75,000 करोड़ कर्ज बकाया था. 2017-18 में 40 लाख किसानों को 46,000 करोड़ रुपये ऋण दिया गया था जिसमें 20,000 करोड़ इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ही दिए गए. वित्त विभाग के गजट के मुताबिक मध्य प्रदेश इस समय 1,60,871.9 करोड़ रुपये के कर्जे में डूबा हुआ है.
जब कर्नाटक में कांग्रेस इलेक्शन के लिए प्रचार कर रही थी तब भी किसानों की कर्ज माफी का वादा किया गया था. जब कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनी तो लंबे समय तक इस वादे को भुला दिया गया. जब ये हुआ भी तो भी बहुत कम किसानों को फायदा पहुंचा. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया कि 44000 करोड़ किसानों के लोन माफी के वादे के बाद सिर्फ 800 किसानों को फायदा पहुंचा है. और अभी सरकार इसपर कह रही है कि किसानों से 43 लाख आवेदनों का इंतजार किया जा रहा है. ऐसे में कहीं मध्यप्रदेश का हाल भी वैसा ही न हो जाए.
ये भी पढ़ें-
बीजेपी की हार के बाद मोदी सरकार अपनी किसान नीति बदलेगी क्या?
आखिर क्यों कांग्रेस या कमलनाथ की कर्जमाफी 'आत्मघाती' मास्टर स्ट्रोक है
आपकी राय