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Updated: 22 अक्टूबर, 2020 11:04 AM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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पाकिस्तान (Pakistan) में इमरान खान सरकार (Imran Khan Govt) पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, पड़ोसी देश में एक बार फिर तख्तापलट की आशंका बढ़ गई है. इमरान खान की सरकार कशमकश में है वह चाहते हुए भी हालात पर काबू नहीं पा पा रही है. देश की सेना (Pakistan Army) और पुलिस (Sindh Police) आमने-सामने आ चुकी हैं. एक दूसरे को लाठीयों से पीटा जा रहा है और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं घट रही हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों की मानें तो अब तक पुलिस और सेना के 10 से अधिक जवानों की मौतें (Karachi violence In Pakistan) भी हो गई हैं. इमरान खान की सरकार मुश्किल की स्थिति में है वह डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में ज़रूर है लेकिन स्थिति अभी तक काबू से बाहर ही नज़र आ रही है. पाकिस्तान में सेना और पुलिस का टकराव कोई नयी बात नहीं है लेकिन इस बार मामला बहुत गर्म नज़र आ रहा है. हाल में सिर्फ पुलिस और सेना के बीच ही नहीं बल्कि देश में कई तरह के विवाद पैदा हो चुके हैं जिसपर इमरान (Imran Khan) सरकार ने सिर्फ चुप्पी ही साधे रखा है.पिछले महीने पाकिस्तान में मुस्लिम धर्म (Muslim)के दो बड़े गुट शिया (Shia Muslims In Pakistan) और सुन्नी समुदाय के बीच बहुत गर्म माहोल हो चुका था. दरअसल कोरोना संक्रमण (Coronavirus Pandemic) के खतरे के बावजूद इमरान सरकार ने शिया समुदाय के लोगों को मोहर्रम (Muharram) के जुलूस में भीड़ जुटाने की परमीशन दे दी थी.

Pakistan, Karachi, Imran Khan, Qamar Javed Bajwa, Maryam Nawazविपक्ष के एकजुट होने से पाकिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति हो गई है

सुन्नी गुट इसका विरोध कर रहे थे. जिन्होंने मोहर्रम के पहले 10 दिन बीत जाने के बाद ही एक बहुत बड़ी रैली कर शियों के विरुद्ध नारेबाजी की थी और खुलेआम चेतावनी दी थी कि चेहलुम के मौके पर किसी भी तरीके का जुलूस शिया समुदाय की ओर से न निकाले जाएं वरना देश में माहोल बिगड़ जाएगा.शिया समुदाय ने इस चेतावनी को रद करते हुए चेहलुम के मौके पर बहुत बड़ा जुलूस निकाल दिया जिसमें लाखों लोग शामिल हो गए इससे दोनों समुदाय के बीच तल्खियां और बढ़ गई.

इमरान सरकार के पास इस स्थिति से निपटने का कोई रास्ता नहीं था वह किसी भी समुदाय के साथ खुलकर खड़ी नहीं हो सकती थी तो सरकार ने चुप्पी ही साधे रखी थी. यह विवाद अभी चल ही रहा था कि पाकिस्तान एक और बड़े विवाद की आग में झुलस गया. ताजा मामला कुछ राजनीति से प्रेरित है, दरअसल हाल ही में पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने एक रैली आयोजित कर इमरान सरकार को घेरा था. इस रैली के खत्म होते ही पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद सफदर अवान को रातोंरात होटल से गिरफ्तार कर लिया गया था.

राजनीतिक माहोल गर्म होते देख अगले ही दिन उन्हें छोड़ दिया गया. इसके बाद सिंध प्रांत के पूर्व गवर्नर मोहम्मद जुबैर ने बहुत बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि सफदर की गिरफ्तारी के लिए राज्य के पुलिस चीफ का अपहरण कर लिया गया था ताकि उनसे जबरन सफदर की गिरफ्तारी के वारंट पर हस्ताक्षर कराया जा सके. इस खुलासे के बाद पुलिस महकमे में गुस्सा पैदा हो गया और अपने आलाधिकारियों के प्रति असम्मान की बात कहते हुए विराध दर्ज कराया.

इसी विरोध के चलते सिंध पुलिस के सभी बड़े पुलिस अफसर छुट्टी पर चले गए हैं. सिंध पुलिस ने ट्वीट कर कहा कि छुट्टी पर जाने का फैसला उनका विरोध दर्ज कराने के लिए है अगर पुलिस के साथ ऐसे ही असम्मान जारी रहा तो सारे पुलिसकर्मी एक साथ इस्तीफा देने को भी तैयार हैं.इस पूरे मामले पर सरकार चुप्पी साधे हुए है और हकीकत भी सामने लाने से बच रही है. इसीलिए सरकार के इशारे पर ही देश के मीडिया ने इस पूरे मामले को दबा कर ही रखा है.

सेना के चीफ कमर जावेद बाजवा ने कहा कि हम इसकी जांच करेंगे. जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान में जब भी सेना किसी से खुले तौर पर टकराती है तो उसको पाकिस्तान सरकार का समर्थन मिल ही जाता है. पाकिस्तान की कोई भी सरकार हो वह सेना को साथ ही लेकर चलती है और हरसंभव उसी को समर्थन देती है. कहते हैं कि अगर पाकिस्तान की सरकार सेना के खिलाफ बोलती है या सेना की गलती निकालती है तो वह तख्तापलट को दावत दे देती है.

पाकिस्तान में तख्तापलट होना कोई नयी बात नहीं है. इमरान सरकार खतरे को देख खुद की सरकार बचाने में जुटी हुयी है जबकि पाकिस्तान के हालात दिनबदिन खराब होते ही जा रहे हैं. बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, तंगहाली, और कर्ज से देश के नागरिकों में हाहाकार मचा हुआ है. इमरान सरकार ने जनता को जो सपने दिखाए थे उनमें से अधिकांश बातें हवाहवाई ही साबित हुयी है.

इमरान सरकार का रवैया कैसा होगा और यह हालात काबू में कैसे आएंगे इसकी जानकारी अभी खुद इमरान खान को ही नहीं होगी. लेकिन इमरान खान ने अगर देरी बरती तो देश के अन्य राज्यों में भी हालात खराब होना शुरू हो जाएगा और फिर इमरान खान अपनी सरकार को बचाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाकर भी नाकाम ही रहेंगे.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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