Karim Lala-Indira Gandhi का रिश्ता खोजा, बाल ठाकरे वाला भी निकल आया!
शिवसेना (Shivsena) प्रवक्ता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधते हुए कहा है कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) मुंबई के पुराने डॉन करीम लाला (Karim Lala) से मिलने आती थीं. अब वह कह रहे हैं कि कई नेता उनसे मिलते थे, तो क्या बाल ठाकरे (Bal Thackeray) भी उनमें से एक थे?
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महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के बाद से ही हलचल जारी है. पहले ये हलचल सरकार बनाने को लेकर थी और अब सरकार चलाने को लेकर हो गई है. करीब 30 सालों तक भाजपा (BJP) के साथ गठबंधन में रही शिवसेना ने वो रिश्ता तोड़कर एनसीपी-कांग्रेस (NCP-Congress) के गठबंधन के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार तो बना ली, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) मुख्यमंत्री भी बन गए, लेकिन अभी भी अंदरखाने कुछ मन-मुटाव जरूर चल रहा है. तभी तो शिवसेना (Shivsena) प्रवक्ता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कांग्रेस (Congress) पर निशाना साध दिया है. राउत ने कहा है कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) मुंबई के पुराने डॉन करीम लाला (Karim Lala) से मिलने आती थीं. अब राउत कह रहे हैं कि कई नेता उनसे मिलते थे, तो क्या बाल ठाकरे (Bal Thackeray) भी उनमें से एक थे?
संजय राउत के इंदिरा गांधी पर दिए बयान के बाद कांग्रेस और शिवसेना में बयानबाजी का दौर चल पड़ा है.
क्या कहा है कि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने?
बुधवार को संजय राउत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुंबई में पुराने डॉन करीम लाला से मिलती थीं. उन्होंने ये भी कहा कि वही तय करते थे कि मुंबई का कमिश्नर कौन होगा. दावा ये भी किया कि हाजी मस्तान के मंत्रालय आने पर पूरा मंत्रालय उन्हें देखने के लिए नीचे आ जाता था. इंदिरा गांधी पाइधोनी में करीम लाला से मिलने आती थीं. जब कांग्रेस ने इस पर जवाब दिया तो सफाई देते हुए संजय राउत ने एक और बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि सिर्फ इंदिरा गांधी ही नहीं, बल्कि समस्याएं जानने के उनसे बाकी नेता भी मिलते थे.
राउत के इस बयान के बाद जहां एक ओर कांग्रेस और शिवसेना के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है, वहीं एक सवाल है जो लोगों के दिमाग के झुंझोड़ने लगा है. क्या वाकई इंदिरा गांधी मुंबई के डॉन करीम लाला से मिलती थीं? क्या उन दोनों में दोस्ती थी? या फिर किसी खास राजनीतिक वजह से ये मुलाकात होती थी? सारे नेताओं में कौन थे? क्या बाल ठाकरे भी थे?
करीम लाला का रिश्ता इंदिरा गांधी से या बाल ठाकरे से ?
एक पत्रकार ज्योति पुनवानी ने बाल ठाकरे पर एक जर्नल आर्टिकल लिखा है, जिसका शीर्षक है बाल ठाकरे: हिंसा की राजनीति (Bal Thackeray: A Politics of Violence). इस आर्टिकल के दूसरे पेज पर उन्होंने लिखा है- 1984 के दंगों ने मुंबई नगर पालिका में शिवसेना की एंट्री को आसान बना दिया. उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे वसंतदादा पाटिल, जिन्होंने शिवसेना की खूब मदद की. उसी बीच उन्होंने बयान दिया था कि केंद्र सरकार मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की योजना बना रही है, जो वह खुद भी जानते थे कि नहीं होने वाला. 1984 के दंगों में 258 लोगों की मौत हुई, लेकिन पाटिल ने बाल ठाकरे के भाषण को लेकर उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया. ठाकरे पर आरोप था कि उन्होंने मोहम्मद पैगंबर का अपमान किया है, जिसे ठाकरे ने नकार दिया था. उन्होंने तो इस मामले में न्यायिक जांच भी नहीं होने दी. हालांकि, उन्होंने शाखा प्रमुख मधुकर सरपोतदार के नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत गिरफ्तार जरूर कर लिया. उनके साथ ही हाजी मस्तान और करीम लाला को भी गिरफ्तार किया गया. हालांकि, शिवसेना द्वारा महाराष्ट्र विधान परिषद के स्पीकर की नियुक्ति में कांग्रेस की मदद किए जाने के बाद तीनों को आजाद कर दिया गया. ज्योति पुनवानी का ये आर्टिकल पढ़कर तो ये नहीं लगता कि इंदिरा गांधी के करीम लाला से करीबी रिश्ते रहे होंगे. हां, ये जरूर लग रहा है कि बाल ठाकरे के उनसे करीबी रिश्ते थे. खैर, संजय राउत ने अब तक सिर्फ बयानबाजी की है, ना कि अपने बयानों को समर्थन देने के लिए कोई सबूत पेश किया है.
ज्योति के आर्टिकल में लिखा है कि शिवसेना ने कांग्रेस की मदद की और करीम लाला रिहा हो गए.
एक तस्वीर ने मामले को दे दी है तूल
वहीं दूसरी ओर एक ऐसी तस्वीर भी सामने आ रही है जो इंदिरा गांधी और करीम लाला के बीच किसी न किसी तरह से संबंध होने का दावा कर रही है. इस तस्वीर में वह करीम लाला और हृदयनाथ चटोपाध्याय के साथ खड़ी दिख रही हैं. बताया जा रहा है कि ये तस्वीर 1973 की है, जब कवि हृदयनाथ चटोपाध्याय को भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था.
करीम लाला के साथ ह्रदयनाथ चटोपाध्याय और इंदिरा गांधी (बाएं से दाएं).
राउत के बयान पर क्या बोली कांग्रेस?
राउत ने इंदिरा गांधी पर जैसे ही करीम लाला से मिलने वाला बयान दिया, वैसे ही कांग्रेस ने शिवसेना पर निशाना साध दिया. कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कहा- 'बेहतर होगा कि शिवसेना के मिस्टर शायर (संजय राउत) दूसरों की हल्की-फुल्की शायरी सुनाकर महाराष्ट्र का मनोरंजन करते रहें. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के खिलाफ दुष्प्रचार करेंगे तो उन्हें पछताना पड़ेगा. कल उन्होंने इदिराजी के बारे में जो बयान दिया है वो वापस ले लें.'
संजय निरूपम के अलावा मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट किया, 'इंदिरा जी सच्ची देशभक्त थीं जिन्होंने देश की सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया. मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के रूप में मैं संजय राउत से उनके गलत जानकारी वाले बयान को वापस लेने की मांग करता हूं.'
कांग्रेस के हमले के बाद संजय राउत ने सफाई दे दी है और कहा है कि नेहरू और इंदिरा गांधी का वह बहुत सम्मान करते हैं और करीम लाला से पठाने के नेता होने के नाते कई नेता मिला करते थे. अब बयानबाजियों का ये दौर कहां जाकर रुकेगा, ये देखने वाली बात होगी, लेकिन यहां एक अहम सवालों लोगों के मन में ये जरूर उठ रहा है कि आखिर करीम लाला कौन था, जिसका इतना दबदबा था?
कौन था करीम लाला?
60 से 80 के दशक पर मुंबई पर तीन डॉन राज किया करते थे- हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार और करीम लाला. आपसी टकराव से बचने के लिए करीम लाला ने बाकी दोनों डॉन से एक डील कर के मुंबई को आपस में बांट लिया था. करीम लाला का जन्म अफगानिस्तान के कुनार जिले में एक पहाड़ी गांव में हुआ था, जिसका पूरा नाम अब्दुल करीम शेर खान था. वह पेशावर के रास्ते 1940 की शुरुआत में मुंबई डॉक पर काम करने आया था और भिंडी बाजार में बस गया. इसके बाद वह पठानों के एक गैंग में शामिल हो गया और धीरे-धीरे गैर कानूनी धंधे शुरू कर दिए. अपहरण, फिरौती, वसूली, सुपारी से लेकर नकली नोट तक फैलाने का काम पठान गैंग के गुर्गे करते थे. पहले पठान गैंग के साथ काम करते-करते करीम लाला पठान गैंग का सरगना बन बैठा और करीब दो दशकों तक सरगना बना रहा.
करीम लाला कई बार गिरफ्तार भी हुआ, लेकिन कभी भी उसे किसी भी अपराध में दोषी साबित नहीं किया जा सका, जबकि बाकी के दो डॉन हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार कुछ मामलों में दोषी ठहराए गए. 1980 के दशक में दाऊद इब्राहिम के आने के बाद पठान और दाऊद गैंग में टकराव होने लगे. करीम लाला ने फिर से सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सका. इसी बीच दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या के बाद मुंबई में गैंगवॉर और हिंसा का दौर चला. धीरे-धीरे दाऊद गैंग ने पठान गैंग का सफाया करना शुरू किया और 1986 में करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या के साथ पठान गैंग खत्म हो गया.
शेर खान 'प्राण' याद हैं आपको?
1973 में अमिताभ बच्चन की एक सुपरहिट फिल्म आई थी, जंजीर. उस फिल्म में शेर खान का किरदार निभाया था प्राण ने, जो करीम लाला के किरदार से काफी मिलता जुलता था. 60-80 के दशक के इन तीनों डॉन की एक खासियत थी, ये गरीबों के लिए मसीहा बताए जाते थे. लोगों की शिकायतें सुनते थे, पैसे बांटते थे, मदद करते थे. बॉलीवुड की कई हस्तियों से भी करीम लाला के संबंध थे और वह अपनी पार्टियों में बॉलीवुड हस्तियों को न्योता भी दिया करता था. नेताओं के साथ ऐसे डॉन के रिश्ते भी किसी से छुपे नहीं है. ऐसे रिश्तों के सार्वजनिक होने की भी लंबी कहानी है.
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