कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के पाले में किच्चा सुदीप के आने के मायने क्या हैं?
भाजपा की तरफ से सुदीप के ट्विस्ट ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को खासा रोचक बना दिया है. आइये कुछ पॉइंट्स से समझे कि सुदीप का चुनावी दंगल में कूदना कैसे एक ऐसी घटना है जिसे कर्नाटक के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इग्नोर नहीं किया जा सकता.
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जैसे जैसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, कर्नाटक में नेता साम दाम दंड भेद एक कर चुनाव जीतने की जुगत में नजर आ रहे हैं. भाजपा द्वारा चुनावों से ठीक पहले कन्नड़ सुपरस्टार किच्चा सुदीप को चुनावी रण में उतरना इसी स्ट्रेटर्जी का हिस्सा है. कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, सुदीप ने कहा कि मैं मैं सिर्फ प्रचार करूंगा और चुनाव नहीं लड़ूंगा. वहीं उन्होंने ये भी बताया कि वह सीएम बोम्मई के साथ एक गहरा व्यक्तिगत बंधन साझा करते हैं. और क्योंकि वो बोम्मई का बहुत सम्मान करते हैं तो उस नाते भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे. सुदीप ने यह भी कहा कि सीएम बोम्मई ने अपने जीवन में कई बार व्यक्तिगत स्तर पर उनकी मदद की थी. सुदीप ने ये प्रेस कांफ्रेंस ठीक उस वक़्त की है जब ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं और कमल के निशान पर चुनाव लड़ सकते हैं.
चूंकि सुदीप ने ये प्रेस कांफ्रेंस बोम्मई के साथ की है. इस पत्रकार वार्ता की टाइमिंग पर सवाल उठने और इसका मकसद जानना लाजमी है. ध्यान रहे मीडिया से बात करते हुए बार बार सुदीप ने इसी बात को दोहराया कि इसी तरह मैं अपना आभार व्यक्त कर सकता हूं. सुदीप के अनुसार वो यहां (पत्रकारवार्ता में) उनके (सीएम बसवराज बोम्मई) के लिए आए हैं न कि पार्टी के लिए.
सीएम बोम्मई के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस कर सुदीप ने तमाम तरह की बहस पर विराम लगा दिया है
सुदीप का बोम्मई के पक्ष में प्रचार करना कर्नाटक में भाजपा और खुद बोम्मई के लिए कितना फायदेमंद होगा? इसका फैसला तो वक़्त करेगा. मगर इतना तो है कि चुनावों में सुदीप के ट्विस्ट ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को खासा रोचक बना दिया है. आइये कुछ पॉइंट्स से समझे कि सुदीप का चुनावी दंगल में कूदना कैसे एक ऐसी घटना है जिसे कर्नाटक के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इग्नोर नहीं किया जा सकता.
कौन कौन से इलाके में प्रभाव है
जैसा कि ज्ञात है किच्चा सुदीप का शुमार उन एक्टर्स में है जिनके तमाम फॉलोवर्स हैं और जिन्हें कर्नाटक में सिने प्रेमियों का एक बड़ा वर्ग भगवान की तरह पूजता है. बात अगर प्रभाव की हो तो चाहे वो दक्षिण कर्नाटक हो या फिर सेंट्रल कर्नाटक सुदीप का जलवा कायम है. क्योंकि सुदीप खुद शिमोगा में पैदा हुए हैं और बाद में चिक्कमंगलूर रहे हैं इसलिए बैंगलोर के अलावा इन स्थानों पर सुदीप का गहरा प्रभाव है. ऐसे में जब हम बोम्मई को देखते हैं तो हुबली और मैसूर में अपना प्रभाव रखने वाले बोम्मई को सुदीप हर सूरत में फायदा पहुंचाते हुए नजर आ रहे हैं.
क्या किसी जाति विशेष पर असर दिखता है
कर्नाटक का शुमार देश के उन चुनिंदा राज्यों में है जहां किसी और प्रमुख मुद्दे को दरकिनार कर हमेशा ही जाति को बल दिया गया है. ऐसे में जब हम सुदीप को देखते हैं तो जाति के लिहाज से सुदीप नायक (ST ) जाती का प्रतिनिधित्व करते हैं. कर्नाटक में नायक जाति के लोग चित्रदुर्गा, बेल्लारी और रायचूर में फैले हैं और चाहे वो कांग्रेस हो या जेडीएस भाजपा के साथ साथ ये दोनों दल भी इस बात को मानते हैं कि यदि इस जाति का साथ नहीं मिला तो सरकार बनाने में किसी भी दल को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. जिक्र अगर बोम्मई की जाति का करें तो बोम्मई लिंगायत बिरादरी से आते हैं और इस समुदाय के बीच भी सुदीप काफी लोकप्रिय हैं इसलिए सुदीप और बोम्मई का ये गठजोड़ एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है.
राइट विंग बनाम मुस्लिम पॉलिटिक्स में कहां हैं
मौजूदा वक़्त में कर्नाटक में भाजपा की सरकार है और इस बात में भी कोई शक नहीं है कि यहां राइट विंग का गहरा प्रभाव है. चूंकि कर्नाटक में मुसलमानों की आबादी भी ठीक ठाक है इसलिए तमाम दल इनका वोट पाने को भी आतुर दिखाई देते हैं. जिक्र सुदीप का हुआ ही तो चूंकि भाषा विवाद में हिंदी पर सुदीप बहुत मुखर होकर अपनी बात को रख चुके हैं और अपने को राष्ट्रवादी बताते हैं, इसलिए वो राइट विंग में भी खासे लोकप्रय हैं. इसके अलावा जैसा कि हम ऊपर शुरुआत में ही इस बात को बता चुके हैं कि बड़ा स्टार होने के नाते पूरा कर्नाटक सुदीप को हाथों हाथ लेता है इसलिए जब हम इसे मैंगलोर, धारवाड़, हुबली जैसे हिस्सों में सुदीप के भाजपा के पक्ष में प्रचार करने को देखें तो मिलता है कि बोम्मई का ये दांव तुष्टिकरण करता हुआ दिखाई देता है और इस प्रयास से हिंदू और मुस्लिम अलग अलग हो जाएंगे.
बोम्मई से कैसी नजदीकी
सुदीप का बोम्मई से क्या रिश्ता है ये उनकी पत्रकारवार्ता में ही जाहिर हो गया है. बावजूद इसके ये बता देना बहुत जरूरी है कि ये कोई पहली बार नहीं है कि बोम्मई और सुदीप साथ आए हैं. अभी बीते दिनों जब हिंदी को लेकर सुदीप ने बयान दिया था और बॉलीवुड समेत तमाम लोगों की आलोचना का सामना किया था तो ये बोम्मई ही थे जो सुदीप के समर्थन में आए थे और आलोचकों के खिलाफ बड़ी ही गंभीरता के साथ मोर्चा खोला था. अब तक ये कयास थे कि सुदीप और बोम्मई में पर्सनल रिलेशन थे लेकिन अब जबकि हमने दोनों को एक ही मंच पर पत्रकारवार्ता करते देख लिया है तो ये साफ़ हो गया है कि इस दोस्ती के बल पर आज नहीं तो कल सुदीप पार्टी ज्वाइन कर कहीं से चुनाव लड़ लेंगे.
भाजपा की फिल्म स्टार आधारित राजनीति पर एक नजर
कर्नाटक जैसे राज्य में भाजपा का पॉलिटिकल फैन बेस तो पहले से ही था. अब जबकि सुदीप को मैदान में ला दिया गया है तो साफ़ है कि फ़िल्मी बेस को भी भाजपा अपने पाले में करना चाहती है. यहां बात सिर्फ सुदीप की नहीं है कर्नाटक में दर्शन सरीखे तमाम सितारें हैं जो भाजपा के संपर्क में हैं और अगर सब ठीक रहा तो इन सितारों को हम आने वाले समय में भाजपा के लिए प्रचार करते देख सकते हैं. क्योंकि कर्नाटक जैसे राज्य में एक्टर्स किसी देवता की तरह पूजे जाते हैं इसलिए चाहे वो भाजपा हो या कोई और दल हमेशा ही उनकी नजर स्टार्स पर रही है. जिक्र चूंकि यहां सुदीप के भाजपा के पाले में आने का हुआ है तो पूर्व में कांग्रेस की तरफ से दिके शिवकुमार और जेडीएस सुप्रीमो एच डी कुमारस्वामी भी सुदीप को अपने पाले में लाने का प्रयास कर चुके हैं.
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