कर्नाटक में शक्ति परीक्षण और उसके पीछे का सच
शनिवार को येदियुरप्पा सरकार को अपना बहुमत साबित करना होगा. उसके पहले प्रोटेम स्पीकर के चुनाव पर भी अब विवाद शुरु हो गया है. तो आइए आपको बताएं कि आखिर शक्ति परीक्षण क्या है और प्रोटेम स्पीतकर क्या होता है.
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सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने भाजपा को कर्नाटक विधानसभा में शनिवार शाम 4 बजे शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया है. अब भारतीय जनता पार्टी को कल बहुमत साबित करना होगा. अदालत ने ये फैसला गुरुवार आधी रात को हुई सुनवाई के बाद दिया. गुरुवार को तीन जजों की बेंच ने कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.
कोर्ट ने कहा कि यह एक नंबर गेम है और राज्यपाल को यह देखने की जरूरत है आखिर किसके पास बहुमत है.
शक्ति परीक्षण क्या है?
गवर्नर द्वारा नियुक्त एक मुख्यमंत्री (इस मामले में येदियुरप्पा) बहुमत साबित करने के लिए कहा जा सकता है. शक्ति परीक्षण ये तय करने का एक तरीका है कि क्या सरकार या मुख्यमंत्री के समर्थन में विधायकों का बहुमत है. विधायक अपना वोट हां या नहीं के रुप में देकर बताते हैं कि वे उस व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में अपना समर्थन देते हैं या नहीं.
शक्ति परीक्षण विधानसभा में आयोजित की जाने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया है. राज्यपाल के साथ गुप्त तरीके से ये नहीं किया जाता है. सरकार बनाने के लिए पार्टी को बहुमत साबित करना अनिवार्य है. कल कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले येदियुरप्पा अगर 112 से अधिक विधायकों का समर्थन जुटाने में सफल हो जाते हैं और शनिवार को होने वाले शक्ति परीक्षण को पास कर लेते हैं तो वो सत्ता में बने रहेंगे.
वैसे अगर लोगों कोर्ट द्वारा सरकार को शक्ति परीक्षण का आदेश देने के बाद ट्विटर पर भी लोग इसके बारे में लगातार और मजेदार ट्वीट कर रहे हैं.
I guess it's called #FloorTest because it is as low as one can go.
— Ramesh Srivats (@rameshsrivats) May 18, 2018
Tomorrow is marriage but BJP has not done shopping yet.#FloorTest
— ಬಾಬು (@BabuSaheb90) May 18, 2018
Congress in first week of May: Impeach CJI. They killing Democracy.
Today May 18th: We have full faith in Judiciary and thank them for taking decision in our favour. #FloorTest
— Neha Bhole (@Neha_Bhole1) May 18, 2018
Congress in first week of May: Impeach CJI. They killing Democracy.
Today May 18th: We have full faith in Judiciary and thank them for taking decision in our favour. #FloorTest
— Neha Bhole (@Neha_Bhole1) May 18, 2018
*SC Hearing*
Mukul Rohtagi: Congress-JDS Alliance is unholy.Judge: Ok. How will you prove majority?Rohtagi: Support will come from MLAs belonging to Congress-JDSJudge: Unholy MLAs u mean?Rohtagi: Our Modi ji is Ganga, He makes everything holy.#FloorTest
— Jet Lee(Vasooli Bhai) (@Vishj05) May 18, 2018
BJP : We are the single largest party, we have the numbers to form the government.
SC : Okay then lets have a floor test tomorrow.
BJP: No! we don’t need it this early. #KarnatakaElection2018 #KarnatakaCMRace #SupremeCourt#FloorTest
— Abhijeet (@aaptimist_) May 18, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रोटेम स्पीकर के देखरेख में पूरी कार्यवाही होगी और शक्ति परीक्षण के मुद्दे पर निर्णय वही लेंगे.
प्रोटेम स्पीकर कौन होता है?
प्रोटेम स्पीकर एक अस्थायी स्पीकर होता है जो नव निर्वाचित विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता है. परंपरा के अनुसार, सदन के वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर के रूप में चुना जाता है. वही निर्णय लेता है कि विश्वास मत कैसे दिलाया जाए- वॉयस वोट से या फिर मत पत्र के माध्यम से.
सबसे बड़ी पार्टी की पहेली-
कोर्ट के फैसले ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी
अदालत में सुनवाई के दौरान बीजेपी का प्रतिनिधित्व करने वाले मुकुल रोहतगी ने खंडपीठ को बताया कि येदियुरप्पा को कर्नाटक की सबसे बड़ी पार्टी के नेता के रूप में चुना गया है और उनके पास आवश्यक समर्थन भी है. न्यायमूर्ति सीकरी ने उन आधारों पर सवाल उठाया जिनके आधार पर राज्यपाल वुजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. क्योंकि कांग्रेस-जेडीएस ने बहुमत सिद्ध करते हुए एक पत्र राज्यपाल को सौंपा था. इसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है कि वो सरकार बनाने के लिए किसे बनाएंगे और यह तय करने का भी कि स्थिर सरकार कौन दे सकता है.
इस मामले में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए अभिषेक सिंघवी ने तर्क दिया कि येदियुरप्पा ने 15 मई को बहुमत वाले विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए गवर्नर वजूभाई वाला को एक पत्र भेज दिया था. वो चुनाव आयोग द्वारा राज्य चुनाव के अंतिम परिणाम घोषित करने से पहले ही पत्र भेज सकते हैं. आखिर ये कैसे संभव है?
जस्टिस सीकरी ने मुकुल रोहतगी को दो विकल्प दिए- या तो सुप्रीम कोर्ट येदुरप्पा के शपथ ग्रहण की जांच करे या फिर बीजेपी 24 घंटे के भीतर शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित करे.
हालांकि, रोहतगी ने शक्ति परीक्षण का विरोध किया और कहा कि पार्टी को फ्लोर टेस्ट के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दिया जाना चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के विरोध को दरकिनार करते हुए कर्नाटक विधानसभा में 19 मई, 2018 को 4 बजे शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार और राज्यपाल को कल शक्ति परीक्षण के पहले एंग्लो-इंडियन समुदाय से किसी भी विधायक को नामित नहीं करने का निर्देश दिया है. साथ ही बेंच ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के पहले किसी भी तरह का बड़ा निर्णय लेने से भी मना किया है.
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