कर्नाटक में वोटों की गिनती शुरू होने के साथ निकला exit poll का भूत
कर्नाटक इलेक्शन 2018 के शुरुआती रुझान आने लगे हैं. अगर कांग्रेस जीत जाती है तो ये न सिर्फ अभी के लिए बल्कि इस साल भाजपा शाशित तीन राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए भी पार्टी के लिए ग्रीन सिग्नल होगा.
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कर्नाटक इलेक्शन 2018 के शुरुआती रुझान आने लगे हैं. रुझानों में कांग्रेस को बढ़त दिखाई दे रही है, और ये बढ़त मामूली ही है. कांग्रेस 32 सीटों पर आगे है तो भाजपा 26 सीटों पर. लेकिन सभी चैनलों पर जेडीएस को भी एक प्रमुख सीट लेते दिखाया जा रहा है. इससे अंदाज़ा लगता है कि यदी भाजपा/कांग्रेस के बीच मुकाबला नजदीकी रहता है तो जेडीएस ही किंग मेकर होगी. अगले कुछ घंटों में ही कर्नाटक चुनाव के नतीजे घोषित हो जाएंगे. इस बार इलेक्शन के नतीजे 222 सीटों के आधार पर होंगे. 2 सीटों पर चुनाव पहले ही रद्द हो चुका है. इस बार चुनाव के नतीजे ये बताएंगे कि आखिर क्या होगा और 2019 में कौन गद्दी पर विराजमान रहेगा.
अगर कांग्रेस जीत जाती है तो ये न सिर्फ अभी के लिए बल्कि इस साल भाजपा शाशित तीन राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए भी पार्टी के लिए ग्रीन सिग्नल होगा.
इसी के साथ, कर्नाटक चुनाव पहले से ही विवादों का साथी रहा है. पहले ही दो सीटों पर चुनाव रद्द हो चुका है और अब 1000 पोस्टल बैलट बादामी के एक होटल से बरामद किए गए हैं. ये होटल भाजपा लीडर का है.
Hours to go before #KarnatakaCounting , Big row erupts in Badami. 1000 postal ballots found from a hotel belonging to a politician. @siddaramaiah vs @BSYBJP is reaching feverish pitch, both sides claiming victory. In midst of all this, poll on #Modi4years #viewpoint @CNNnews18
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) May 14, 2018
ये भाजपा की इमेज को बहुत बड़ा झटका है.
कर्नाटक चुनाव की 10 अहम बातें..
1. कर्नाटक चुनाव में एक पार्टी को 112 सीट्स चाहिए ताकि वो जीत सके.
2. एग्जिट पोल के नतीजे एकदम मोदी की सोच के विपरीत रहे. कर्नाटक चुनाव में वोट शेयर कांग्रेस 39%, बीजेपी 35%, जेडीएस+ 17%, अन्य 9% वोट शेयर की बात करें तो ओपिनियन पोल में कांग्रेस के पक्ष में 36 फीसदी वोट दिख रहा था. जो एग्जिट पोल में तीन फीसदी बढ़कर 39 फीसदी हो गया है. जबकि बीजेपी जहां थी, वहीं रही. अब देखना है कि काउंटिंग के बाद क्या कर्नाटक चुनाव भाजपा के हत्थे चढ़ पाते हैं.
3. कांग्रेस पहले ही ये साफ कर चुकी है कि वो कोई कसर छोड़ने नहीं वाली भले ही इसके लिए उसे सिद्धारमैया को ही क्यों न कुर्बान करना पड़े. ताकि वो JDS का सपोर्ट ले सके. इसे कहीं न कहीं देवे गौड़ा की नाराजगी से जोड़ा जा सकता है. हो सकता है कि एक दलित सीएम के लिए सिद्धारमैया की कुर्सी खींच ली जाए.
4. इस बार पोलिंग के दिन कुछ ऐतिहासिक हुआ. कर्नाटक में 72.13 फीसदी वोटिंग हुई. ये 1952 के इलेक्शन के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है.
5. कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही इसके पहले धर्म का कार्ड खेला है. लिंगायतों को अलग धर्म बनाने की मांग हो या फिर दलितों का अभिवादन. दोनों ही पार्टियों ने धर्म के नाम पर वोट मांगने में कसर नहीं छोड़ी. इसके बाद राहुल गांधी का मंदिर-मस्दिज भ्रमण तो है ही.
6. अभी तक येदियुरप्पा बोल चुके हैं कि वो लिखकर ये देने को तैयार हैं कि वही चुनाव जीतेंगे. अगर ऐसा होता है तो येदियुरप्पा ही कर्नाटक के अगले सीएम होंगे.
7. कर्नाटक इलेक्शन ही आने वाले महीनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ चुनावों की पॉलिसी और मॉडल तैयार करेगा. साथ ही कर्नाटक इलेक्शन के नतीजे यकीनन इन चुनावों के नतीजों पर असर डाल सकते हैं.
8. भाजपा का दारोमदार बीएस येदियुरप्पा के सिर है. अगर जीत हुई तो नरेंद्र मोदी को श्रेय जाएगा और अगर हार हुई तो ठीकरा येदियुरप्पा पर फोड़ा जाएगा.
9. राज्य में बीजेपी के कम से कम 10 कैबिनेट मंत्री, 11 राज्य मंत्री और चार राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे थे. भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ये 2019 के पहले का आखिरी युद्ध लग रहा है. कर्नाटक चुनाव जीतना न सिर्फ कांग्रेस की जरूरत है बल्कि ये भाजपा की आंधी को रोकने का एक तरीका भी है.
10. देवगौड़ा एक बार फिर 1994 के विधानसभा चुनाव जैसी जीत दोहराने की कोशिश में है. बता दें कि1994 में जनता दल ने कुल 224 विधानसभा सीटों में से 113 सीटें जीती थीं.
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