शुक्र है पाकिस्तान की करतारपुर 'गुगली' में सिर्फ सिद्धू फंसे हैं
पाकिस्तान ने अपनी साजिश अपने मुंह से ही बेनक़ाब करके अपनी थू-थू करा ली है. काश नवजोत सिद्धू में दूरंदेशी होती तो वे पाक आर्मी और इमरान खान के जाल में यूं न फंसते.
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करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम के अगले ही दिन पाकिस्तान में 'तब्दीली के 100 दिन' कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जो बात कही, उससे पाकिस्तान ने अपनी साजिश अपने मुंह से ही बेनक़ाब करके अपनी थू-थू करा ली है. कुरैशी ने भारत के उस शक को हकीकत में तब्दील कर दिया है, जो पाकिस्तान की हरकतों को लेकर हमेशा ही उस पर बना रहता है. काश नवजोत सिद्धू में दूरंदेशी होती तो वे पाक आर्मी और इमरान खान के जाल में यूं न फंसते. इमरान खान से सिद्धू की दोस्ती के चलते भारत की फजीहत तो हो ही रही है, कहीं ये दोस्ती पूरे देश को भारी न पड़ जाए.
पाकिस्तान की इस गुगली वाली बात पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने करारा जवाब दिया है.
मोदी सरकार से मिलना नहीं, नीचा दिखाना चाहता है पाक
जब बात करतारपुर कॉरिडोर की आई तो सरकार ने दो मंत्रियों हरसिमरत कौर और हरदीप सिंह पुर को भेजा, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत, एक आधिकारिक दौरे पर. वहीं दूसरी ओर हैं नवजोत सिद्धू, जिनके इससे पहले भी पाकिस्तान जाने को लेकर बातें हो रही थीं, वह इस बार भी लाख मना करने के बावजूद करतारपुर कॉरिडोर कार्यक्रम में जा पहुंचे. करतारपुर भी भारत सरकार ने दो मंत्रियों को सिर्फ इसलिए भेजा क्योंकि करतारपुर से लाखों सिखों की भावनाएं जुड़ी हैं. हरसिमरत कौर तो गुरुद्वारे से प्रसाद भी लेकर लौटी हैं. कुछ महीने पहले जब सीमा पर एक जवान की निर्मम हत्या की गई थी, उसी दौरान भारत-पाक के विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली थी. जवान की निर्मम हत्या के बाद उस बैठक को रद्द कर दिया गया और पाकिस्तान से नहीं मिलने की बात कही गई, जब तक कि वह आतंकवादियों को पनाह देना बंद नहीं करता और सीमा पर इस तरह की हरकतों को नहीं रोकता.
सिद्धू जानबूझ कर फंसते हैं ऐसे मामलों में
जब तक सिद्धू एक आम इंसान या महज एक क्रिकेटर थे, तब तक उनका इस तरह का रवैया एक बार के लिए स्वीकार्य हो सकता था, लेकिन एक बड़ी पार्टी का बड़ा नेता होने के नाते उन्हें पाकिस्तान की कूटनीति और राजनीति में नहीं फंसना चाहिए. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तो उन्हें रोकने की कोशिश भी की, लेकिन वह नहीं माने और बेशक कांग्रेस ने भी उन्हें ऐसी कोई इजाजत नहीं दी होगी, लेकिन अपने ही दम पर सिर्फ दोस्ती निभाने के लिए सिद्धू करतारपुर जा पहुंचे. उनके तेवर से तो अमरिंदर सिंह भी परेशान ही लगते हैं. यूं लग रहा है मानो नवजोत सिंह सिद्धू सिर्फ हीरो बनने के चक्कर में लगे हुए हैं, भले ही हिंदुस्तान हो या पाकिस्तान.
क्या बोले थे पाक विदेश मंत्री?
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के इरादे जाहिर करते हुए कुरैशी ने कहा, 'आपने देखा... और दुनिया ने देखा कि कल इमरान खान ने करतारपुर की गुगली फेंक दी... और उस गुगली का नतीजा क्या हुआ... जो हिंदुस्तान मिलने से कतरा रहा था उसे दो मंत्रियों को भेजना पड़ा... वे पाकिस्तान आए और मुलाकात की.' कुरैशी के बयान पर कहा था कि पाकिस्तान को पहले अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत है. उनका इशारा सीधे पाकिस्तान में पनाह लिए आतंकवाद की ओर था.
सुषमा का जवाब बोलती बंद करने के लिए काफी है
पाकिस्तान की इस गुगली वाली बात पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने करारा जवाब दिया है. उन्होंने कहा- पाकिस्तान के विदेश मंत्री जी आपकी गुगली वाली बात ने किसी और को नहीं बल्कि बड़े ही नाटकीय तरीके से आपके ही चेहरे को बेनकाब कर दिया है. ये दिखाता है कि सिखों की भावनाओं के प्रति आपके अंदर कोई सम्मान नहीं है. आप सिर्फ गुगली फेंकते हैं. मैं आपको बता दूं कि हम आपकी गुगली में नहीं फंसे हैं. हमारे दो सुख मंत्री करतारपुर साहिब वहां के गुरुद्वारे में माथा टेकने गए थे.'
Mr.Foreign Minister of Pakistan - Your 'googly' remarks in a dramatic manner has exposed none but YOU. This shows that you have no respect for Sikh sentiments. You only play 'googlies'. /1
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) December 1, 2018
Let me explain to you that we were not trapped by your 'googlies'. Our two Sikh Ministers went to Kartarpur Sahib to offer prayers in the Holy Gurudwara. /2
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) December 1, 2018
ये पहली बार नहीं है जब सिद्धू की पाकिस्तान को लेकर आलोचना हो रही है. इससे पहले पाकिस्तान में जाकर वह उस पाक सेना के जनरल बाजवा को गले तक लगा चुके हैं, जिस सेना ने हमारे सैनिकों के सिर कलम कर दिए. ये वही सेना है जो आए दिन कश्मीर पार से गोलीबारी करती है, जिसमें कभी सेना के जवान शहीद होते हैं, तो कभी बेकसूर नागरिक मारे जाते हैं. तब भी सिद्धू की आलोचना हुई थी, लेकिन उन्होंने उसे भी अनसुना कर दिया और एक बार फिर पाकिस्तान जा पहुंचे. देखा जाए तो पाकिस्तान जिस गुगली की बात कर रहा है, उसमें नवजोत सिद्धू बुरी तरह से फंसे हुए हैं और उन्हें इस बात का अंदाजा तक नहीं है.
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