कश्मीर के अलगाववादी बन गए ISIS के गुलाम
कश्मीर के पत्थरबाज पहले भी isis का झंडा खुलेआम सेना को दिखाते रहे हैं. जिसे सीरियस नहीं माना जाता था, लेकिन अब वो सीरियस हो गया है.
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कश्मीर वो जगह जिसे भगवान ने बेहद फुर्सत में बनाया है और इसे इंसानों ने भी जन्नत का रूप माना है. लेकिन क्या वाकई इंसान इसे हमेशा ऐसी ही जन्नत रहने देगा? शायद नहीं. कश्मीर जिसे अब उसकी खूबसूरत वादियों के लिए नहीं बल्कि आतंकवाद के लिए जाना जाता है और इसके बारे में सोचकर यकीनन ऐसा लगता है कि जन्नत को जहन्नुम बनाया जा रहा है. अब कश्मीर में जो किया गया है वो न सिर्फ खौफनाक है बल्कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS की तर्ज पर किया गया है और शायद ये अब कश्मीरियत के लिए नहीं बल्कि आतंक के लिए जाना जाएगा.
जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों ने पहली बार एक छात्र की निर्मम तरीके से हत्या कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाला है. इस हरकत को अंजाम देने वाला पाकिस्तान का आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन है. जिस छात्र को मारा गया है वो 11वीं में पढ़ता था और इतने छोटे लड़के को इतनी बेरहमी से मारने के पीछे आतंकियों का कहना है कि वो जासूसी करता था और इसीलिए उसे कैमरे के सामने गोली मारी गई है. जो वीडियो जारी हुआ है वो इतना भयावह है कि उसे बिना एडिट किए दिखाया भी नहीं जा सकता. उस वीडियो में आतंकियों ने नदीम के सिर पर कई बार गोलियां चलाई हैं.
First ISIS-style execution video released on SM by Hizbul Mujahideen of Kashmir. Victim is reportedly an 11th grade student. He was labelled as an informer and executed in front of camera. Video shows Kashmiri speaking executioners shooting multiple shots in the head. Masked vid: pic.twitter.com/7wDPpI091k
— Khalid Shah (@khalidbshah) November 16, 2018
ये वो समय है शायद जिसके बारे में सोचकर भी हम डर जाया करते थे. ये देवताओं की जमी आखिर कैसे इतनी क्रूर हो गई कि आतंकवादी एक बच्चे को भी नहीं छोड़ रहे और उन्हें बच्चों से भी आतंकवाद और जासूसी की बू आ रही है.
कश्मीर अब एक ऐसे समय में पहुंच चुका है जहां अब भाई-भाई का कत्ल करने की स्थिती में आ गया है और ये सब क्यों? किस आज़ादी के लिए? किस तरह के लोग हैं जो अपने ही भाई बहनों को मारने के पीछे पड़े हुए हैं? ये कश्मीर की आज़ादी की बात हो रही है या फिर ये उस इस्लामिक दौर को कश्मीर में लाने की बात हो रही है जहां असल में किसी भी काम के लिए बच्चों, बूढ़ों, महिलओं तक को नहीं छोड़ा जाता और उन्हें मार दिया जाता है.
कैसे कश्मीर बनता चला गया आतंक का गढ़?
कश्मीर के इन हालात का जिम्मेदार कहीं न कहीं अंतर्राष्ट्रीय ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन हो सकता है. कारण ये है कि कश्मीर के हालात पर वहां से भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता और ये सिलेक्टिव आउटरेज ही कहीं न कहीं जिम्मेदार है इस तरह की घटनाओं के लिए जहां दो लोगों की गर्दन काट दी जाती है और किसी को भनक तक नहीं लगती.
I'm afraid Kashmir has entered into a dangerous phase of fratricide. The selective outrage of International Human Rights organisations white washes the brutality committed by so called "rebels." Few months back two beheadings by LeT went unnoticed, no outrage, not even a whimper.
— Khalid Shah (@khalidbshah) November 16, 2018
4-5 अप्रैल 2018 की दर्मियानी रात को एक 22 साल के कश्मीरी लड़के मंजूर भट को अगवा कर लिया गया और उसका सिर काट दिया गया, लेकिन कहीं से भी किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं हुआ. किसी ने निंदा तक नहीं की इस कृत्य की.
कश्मीर का अगला पलायन शायद सोच के आधार पर होगा. 2016 जुलाई के बाद से कई कश्मीरी पॉलिटिकल एक्टिविस्ट अपने घर भी नहीं जा पाए हैं. अपनों के जनाजे में हिस्सा लेने की हिम्मत भी नहीं कर पाए. उनमें से कई लोग सरकारी गेस्टहाउस और होटलों में रह रहे हैं.
इसके बारे में बात करना अब जरूरी हो गया है कि उदार, धर्मनिरपेक्ष और आम कश्मीरी जो लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं उन्हें शायद कश्मीर में रहने के लिए जगह भी नहीं मिलेगी. हालात इतने खराब हो गए हैं कि शायद कश्मीर में 1990 जैसा एक और पलायन हो सकता है.
कश्मीर का एक ही और वीडियो सोशल मीडिया पर कुछ समय पहले वायरल हुआ था जिसमें दक्षिणी कश्मीर का एक युवक हुज़ैफ आतंकियों का शिकार हुआ था. इसे भी हिज़बुल मुजाहिद्दीन के लोगों ने अगवा कर लिया था.
Another video of a mutated corpse with slit throat appears on WhatsApp groups. Reportedly the victim, Huzaif of South Kashmir, was abducted an executed by Hizbul Mujahideen. Meanwhile Hizbul commander defends the killing in another audio clip. pic.twitter.com/uYtLWJSobw
— Khalid Shah (@khalidbshah) November 17, 2018
इसके बाद हिज़बुल के कमांडर ने एक ऑडियो क्लिप जारी कर ये भी कहा था कि ये हत्या जायज थी और कहा था कि वो असल में न्याय के पुजारी हैं. क्या वाकई किसी का सिर कलम करना न्याय है?
In the audio clip, Riyaz Naikoo calls critics - those who criticized the execution video on SM yesterday - agents and describes himself as a paragon of justice. The so called "resistance" is led by illiterate barbarian Naikoo who believe beheading serves justice. #Kashmir pic.twitter.com/c1XlAIocPC
— Khalid Shah (@khalidbshah) November 17, 2018
ये सभी ट्वीट्स की हैं खालिद शाह ने जो कश्मीर और उससे जुड़े मुद्दों की जानकारी भी अच्छी तरह से रखते हैं और इस पूरे ट्विटर थ्रेड में जो बातें सामने आई हैं वो यकीनन चौंकाने वाली है.
कश्मीर की असली समस्या सिर्फ यही नहीं है, बल्कि वो लोग भी हैं जो कश्मीर को आज़ादी की राह पर नहीं बल्कि इस्लामिक कट्टरपंथ की राह पर ढकेलना चाहते हैं और इसके लिए वो कुछ भी करेंगे.
एक नजर इस ट्विटर थ्रेड के कमेंट्स पर भी डाल लीजिए-
कुछ इस तरह लोग इस ट्विटर थ्रेड पर और कश्मीर समस्या पर कमेंट कर रहे हैं.
यकीनन ये वही कश्मीर है जिसे जन्नत कहा जाता था और यहां एक बच्चे को मारने के लिए उसे कुत्ते का नाम दिया जाता है. उसकी मौत को जायज ठहराया जा रहा है. यहां पर जंग अब आज़ादी की नहीं रह गई है. ये जंग बन गई है इस्लामिक कट्टरपंथ की और इसी जंग के आगे सभी नत्मस्तक होते जा रहे हैं. इस जंग के बारे में ज्यादा किसी को बताया नहीं जा रहा है, किसी को इस जंग के बारे में आगाह नहीं किया जा रहा है बस वहां मौजूद लोगों का जनाजा देख रहे हैं लोग.
क्या होगा अगर कश्मीर से एक बार फिर पलायन हुआ तो? क्या होगा अगर कश्मीर की असल सूरत ही इसको लेकर बिगाड़ दी गई. आतंकियों की मौत पर 1000 लोगों का जनाजा निकाला जाता है, लेकिन अब इस बच्चे की मौत का मातम भी नहीं? क्यों? क्योंकि इसने इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कोई काम कर दिया था. क्या पता कि ऐसा था भी या नहीं. आतंकवादी कश्मीरी लोगों के भेस में आकर कश्मीरियों को ही मार रहे हैं और ये वो दौर है जब लोग खुद नहीं समझ पा रहे कि उनका कश्मीर किस राह चल पड़ा है.
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