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Updated: 23 जून, 2017 05:42 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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जम्‍मू-कश्मीर जैसा खूबसूरत राज्य अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. आगजनी, पत्थरबाजी, हिंसा, सेना का अपमान, पाकिस्तान परस्ती के नजारे और नारे, बंद, कर्फ्यू, गोली, बम, घुसपैठ, मौत वहां के लिए आम बात हो सकती है. इसे अगर सम्पूर्ण भारत के परिपेक्ष में देखा जाए तो कश्मीर की ताजा हालत पर किसी भी हिन्दुस्तानी के हृदय में रोष उत्पन्न होगा, गुस्सा आएगा और उसे दुःख होगा.

राज्य में आए दिन ऐसा कुछ न कुछ होता ही रहता है जो मीडिया में जगह बना लेता है और जब हम उसे सुनते हैं तो हमारा खून खौल उठता है. चंद दिनों में ईद है तो जाहिर है सम्पूर्ण राज्य के लोग खुशियां मनाएंगे मगर इस ईद  एक परिवार ईद की खुशियों से महरूम रहेगा. इस परिवार के लिए ये ईद, ईद न होकर एक काला दिवस होगी.

जी हां सही सुना आपने, खबर है कि जम्मू-कश्मीर में भीड़ ने नौहट्टा की जामिया मस्जिद के बाहर जम्मू-कश्मीर के डिप्टी एसपी मोहम्मद अयूब पंडित को पीट-पीट कर मार डाला. डिप्टी एसपी मस्जिद परिसर के पास सिविल यूनिफार्म में ड्यूटी पर थे और वो मस्जिद के बाहर पत्थरबाजी कर रहे कुछ लोगों की तस्वीर ले रहे थे जिस पर कुछ लोग उनसे उलझ पड़े.

अयूब पंडित ने अपनी आत्मरक्षा में गोली चाहिए जिससे तीन लोग घायल हो गए और इससे भीड़ उग्र हो गयी. बताया जा रहा है कि राज्य के प्रमुख अलगाववादी नेता मीर वाइज उमर फारूक़ उस समय मस्जिद के अंदर मौजूद थे जहां वो मस्जिद के अन्दर से लोगों को संबोधित करने वाले थे. खबर ये भी है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

कश्मीर, मस्जिद, पुलिस, भीड़    मस्जिद के बाहर हुई डीएसपी की मौत बताती है कि कश्मीर अपने सबसे बदतर दौर में है

इस पूरे प्रकरण को ध्यान से देखा जाये तो यहां पर दो बातें मिलती हैं एक मस्जिद के बाहर तैनात पुलिस का डिप्टी एसपी और दूसरा मस्जिद के अन्दर मौजूद राज्य का एक ऐसा प्रमुख अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक़ जिसका काम सिर्फ लोगों को भड़काना और उनमें नफरत का संचार करना है. साथ ही इस पूरे वाकये में एक बात और ऐसी है जो किसी भी व्यक्ति का ध्यान आकर्षित कर सकती है वो ये कि अब राज्य के आम लोगों के बीच अपनी पैठ जमाने और राजनीति चमकाने के लिए राज्य के चरमपंथी और अलगाववादियों द्वारा मस्जिद का इस्तेमाल एक पॉलीटिकल टूल की तरह किया जा रहा है.

ज्ञात हो कि अब तक राज्य में अलगाववादियों द्वारा तमाम जगहों से सरकार और सेना के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा था, जहां पर उचित कार्रवाई करते हुए उनकी कार्यप्रणाली पर लगाम लगाई जा रही थी. मगर अब अपनी कट्टरपंथी छवि को बरकरार रखने के लिए जिस तरह अलगाव वादियों द्वारा जिस तरह मस्जिद को नए ठिकाने के तौर पर लिया जा रहा है वो एक अलग चिंता का विषय है जो इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा है कि यदि ऐसा ही रहा तो स्थिति बेहद खराब होने वाली है.

गौरतलब है कि इससे पहले भी 1 दिसम्बर 2016 में भी कुछ इसी तरह लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ को घर से निकाल कर अलगाव वादियों और आतंकियों द्वारा बेरहमी से मारा गया था. छुट्टियाँ मनाने उमर उस वक़्त अपने गांव आए हुए थे जहां अलगाव वादियों और आतंकियों का बोलबाला है. आपको बताते चलें कि जिस वक्त उमर की हत्या हुई उस वक़्त उमर के घर में उनकी बहन के विवाह का आयोजन किया जा रहा था.    

बहरहाल जिस तरह कश्मीर में, मस्जिद के बाहर एक पुलिस वालो को आम भीड़ द्वारा बेरहमी से मारकर वहशीपन का परिचय देता है. साथ ही ये प्रकरण ये भी बताने के लिए काफी है कि राज्य लगातार अपने नेताओं की बदौलत पिछड़ेपन का शिकार हो रहा है. राज्य के लिए समय आ चुका है कि वो अब इस बात को समझें कि उनका कल्याण केवल और केवल सरकार के हाथों ही संभव है और यदि वो अपने चरमपंथ का विरोध नहीं करते तो उनके कल्याण की कामना लगभग असंभव है.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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