कश्मीर में कयासों का हड़कंप: क्या 5 से 7 अगस्त के बीच कुछ होने वाला है?
पूरे कश्मीर में अफरा-तफरी मची हुई है. क्या पेट्रोल पंप, क्या किराना बाजार और क्या सड़कें. बाहर के लोग जल्दी से जल्दी कश्मीर से बाहर निकलने की जुगत में हैं. कश्मीर के लोग घर का जरूरी सामान, बच्चों की जरूरी चीजें और दवाइयां तक खरीदने में लगे हुए हैं.
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करीब 2 साल पहले जब कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी की मौत हुई थी, तो पूरा कश्मीर उबलने लगा था. हर ओर प्रदर्शन और पत्थरबाजी होने लगी थी. सेना लगातार उपद्रवियों से निपटने की कोशिश में लगी थी. लेकिन तब भी ऐसी स्थिति नहीं हुई थी, जैसी फिलहाल कश्मीर में हो गई है. पूरे कश्मीर में अफरा-तफरी मची हुई है. क्या पेट्रोल पंप, क्या ग्रॉसरी शॉप और क्या सड़कें. जो लोग बाहर से कश्मीर पहुंचे हैं, वह सरकारी एडवाइजरी के बाद जल्दी से जल्दी कश्मीर से बाहर निकलने की जुगत में हैं. जो लोग कश्मीर के ही हैं वह भी डरे हुए हैं और घर का जरूरी सामान, बच्चों की जरूरी चीजें और दवाइयां तक खरीदने में लगे हुए हैं.
इस समय कश्मीर के हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या चल रहा है. पिछले दिनों में मोदी सरकार ने घाटी में करीब 38000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की. फिर अमरनाथ यात्रियों पर हमले का अंदेशा जताते हुए अमरनाथ यात्रा को ही निरस्त करने का अभूतपूर्व फैसला लिया. अब कश्मीर में पढ़ने वाले सूबे से बाहर के छात्रों को घर भेजने की बात सामने आई है. इन तमाम घटनाक्रमों के बाद तो कयास ही लगने थे. कहा जा रहा है कि ये 35A को खत्म करने की तैयारी हो रही है, लेकिन जिस तरह से अचानक अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रोक कर सभी को जल्द से जल्द कश्मीर से बाहर निकल जाने को कहा गया है उसे देखकर एक बात तो साफ है कि कुछ बहुत बड़ा होने वाला है. क्या होने वाला है, ये पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, एनएसए अजित डोवाल और आर्मी चीफ बिपिन रावत के अलावा शायद ही किसी को पता होगा.
5-7 अगस्त के बीच कुछ होना का इशारा
भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सभा और लोकसभा के सभी सांसदों को एक व्हिप जारी कर के कहा है कि वह सभी 5 अगस्त से 7 अगस्त के बीच संसद में जरूर उपस्थित रहें. हो सकता है कि 5-7 अगस्त के बीच ही कुछ हो या फिर ये भी मुमकिन है कि 5-7 के बीच किसी योजना को अंजाम दिया जाए और फिर 15 अगस्त के करीब कुछ बड़ा किया जाए. वैसे भी, भाजपा की योजना है कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर जम्मू-कश्मीर में पंचायत स्तर पर तिरंगा फहराया जाए. कयास तो यहां तक लगाए जा रहे हैं कि जम्मू को भारत का एक राज्य बना दिया जाएगा और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश. वैसे कयासों से परे अगर कश्मीर की जमीनी हकीकत देखी जाए तो वहां स्थिति युद्ध के दौरान पैदा होने वाली स्थिति जैसी होती जा रही है.
Bharatiya Janata Party has issued whip for its Rajya Sabha and Lok Sabha MPs to be present in the Parliament from 5 to 7 August. pic.twitter.com/ouNSMcx00C
— ANI (@ANI) August 2, 2019
स्टूडेंट्स तक से खाली करवा दिया हॉस्टल
जब कभी युद्ध की स्थिति होती है तो सीमा के आस-पास के सभी गांवों को जल्दी से जल्दी खाली करा दिया जाता है. इस समय कोई युद्ध तो नहीं हो रहा है, लेकिन जो कुछ हो रहा है, वह किसी युद्ध की स्थिति में किए जाने वाले उपायों से कम भी नहीं है. यहां तक कि एनआईटी श्रीनगर के स्टूडेंट्स से भी हॉस्टल खाली करने को कहा गया है. ऐसी स्थिति तो कभी नहीं आई कि हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट्स को भी हॉस्टल खाली करने को कहा गया हो. ये सब देखकर तो इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता कि घाटी में क्या होने वाला है.
एनआईटी श्रीनगर के स्टूडेंट्स से भी हॉस्टल खाली करने को कहा गया है.
एयरलाइन्स की रियायतें भी डरा रही हैं
जो एयरलाइन्स जरा-जरा सी बात पर लोगों पर भारी-भरकम पेनाल्टी लगा दिया करती थी, वह रीशेड्यूलिंग और फ्लाइट कैंसिल करने के चार्ज तक नहीं ले रही है. यहां तक कि डीजीसीए ने एयरलाइन्स को यह भी निर्देश दिए हैं कि पर्यटकों के लिए अगर अचानक अतिरिक्त फ्लाइट की जरूरत हो तो उसके लिए भी तैयार रहें. कोशिश सिर्फ इस बात की हो रही है कि कैसे भी कर के कश्मीर से बाहर के लोग कश्मीर से चले जाएं. हर बात में पैसे चार्ज करने वाली एयरलाइन्स का उतना उदार हो जाना एक बड़े खतरे का संकेत ही है.
पेट्रोल पंपों और एटीएम पर तो मेला लग गया है
कश्मीर में लोगों की अफरा-तफरी का अंदाजा वहां के पेट्रोल पंप देखकर ही लगाया जा सकता है. लोग अपनी गाड़ियां लेकर पंपों पर पहुंच गए हैं ताकि टंकी फुल करवा लें. पता नहीं आने वाले कुछ दिनों में कश्मीर में क्या हो जाए और बिना पेट्रोल के तो यातायात बाधित हो जाएगा. ऐसे में लगभग हर पेट्रोल पंप पर लंबी लाइनें और भीड़ देखने को मिल जाएगी. हालात तो यहां तक हो गए हैं कि बहुत से लोग बड़े डिब्बों और दूध के 40 लीटर वाले कैन में भी पेट्रोल भर-भरकर ले जा रहे हैं. एटीएम के सामने भी लंबी-लंबी लाइनें लग गई हैं. ठीक वैसी ही लाइनें, जैसी नोटबंदी के बाद नए नोटों के लिए लगा करती थीं.
लोग बड़े डिब्बों और दूध के 40 लीटर वाले कैन में भी पेट्रोल भर-भरकर ले जा रहे हैं.
कश्मीर में लोगों की अफरा-तफरी का अंदाजा वहां के पेट्रोल पंप और एटीएम देखकर ही लगाया जा सकता है.
किराना बाजार में भी लोगों का तांता लगा हुआ है
किराना बाजार पर भी अगर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि लोग जरूरत से अधिक सामान खरीद रहे हैं. दरअसल, लोग आने वाले कुछ दिनों का स्टॉक रखना चाहते हैं, ताकि अगर कश्मीर में हालात बिगड़ जाते हैं और लोग घरों से बाहर ना निकल पाए तो भी उन्हें जरूरत की चीजों की दिक्कत ना हो, खासकर बच्चों की चीजें और दवाइयां.
इलाके के ग्रॉसरी स्टोर्स पर भी अगर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि लोग जरूरत से अधिक सामान खरीद रहे हैं.
जब उरी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने 29 सितंबर 2016 की रात को पीओके पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उससे पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि कोई सरकार ऐसे सख्त फैसले भी ले सकती है. उसके बाद 8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने एक और सख्त फैसला लिया और 500 और 1000 के नोट एक झटके में बंद कर दिया. ये सब यहीं नहीं रुका. देखते ही देखते 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू करने जैसा सख्त कदम भी उठाया है. इतना ही नहीं, 26 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के बालाकोट में चल रहे आतंकी कैंप को खत्म करने के लिए पाकिस्तानी सीमा में घुसकर एयर स्ट्राइक की गई. मोदी सरकार सख्त फैसले लेती रहती है और अब कश्मीर में करीब 38000 अतिरिक्त सैनिक पहुंच चुके हैं, बाहरी लोगों को जल्द से जल्द कश्मीर से बाहर भेजा जा रहा है. अब तो ये सोचकर भी डर लग रहा है कि इस बार मोदी सरकार कौन सा सख्त फैसला लेने जा रही है.
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