तीन साल केजरीवाल, हाल-बेहाल और लगातार बवाल !
दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच पेंच बराबर फंसा रहता है. फिर भी तीन साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए केजरीवाल अपनी टीम के साथ वैसे ही लोगों के बीच जा रहे हैं जैसे बजट को लेकर बीजेपी सरकार ने अपने सांसदों को दिये हैं.
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'पांच साल केजरीवाल...' - दिल्ली चुनाव के वक्त ये नारा खूब चला था. ये स्लोगन दिया था संजय सिंह ने जिन्हें आम आदमी पार्टी ने दिल्ली से राज्य सभा भेजा है. शब्दों के साथ संगीत पिरोते हुए बाद में विशाल डडलानी ने एक गीत तैयार कर दिया - 'पांच साल केजरीवाल... बोले दिल्ली दिल से... केजरीवाल फिर से...' पहले तो ये आप के कार्यक्रमों में बजाया जाता रहा, जैसे ही ये लोगों की जबान पर चढ़ने लगा इसे रेडियो विज्ञापनों में इस्तेमाल किया जाने लगा.
पांच साल में से तीन साल बीत चुके हैं. तीन साल पहले 11 फरवरी को ही दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आये थे - और 14 फरवरी को आम आदमी पार्टी की सरकार ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में शपथ लिया था. जीत की तीसरी सालगिरह पर आप एक बार फिर दिल्ली के लोगों के पास वैसे ही जा रही है जिस तरह पहुंचने पर उसे 70 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं.
'डेल्ही डायलॉग' फिर से
वैलेंटाइंस डे के मौके पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार के तीन साल पूरा करने जा रही है. नतीजों का जश्न मनाने के लिए आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर दिल्लीवासियों के बीच जाने का फैसला किया है.
6 फरवरी को दिल्ली बीजेपी विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक फोटो ट्वीट किया जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अखबार पढ़ते देखा जा सकता है. इस तस्वीर के जरिये सिरसा बताना चाहते हैं कि खबर पढ़ते वक्त भी केजरीवाल की नजर एक विज्ञापन पर है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है.
कहीं पे निगाहें, कहीं पे...
आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनावों के दौरान 'डेल्ही डायलॉग' कार्यक्रम चलाया था. इस कार्यक्रम के जरिये आप के नेता लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनते और उनकी मदद का वादा भी करते. कई कार्यक्रमों में खुद केजरीवाल भी होते और अपनी '49 दिन की सरकार' के लिए माफी भी मांग लिया करते. दिल्ली आपकी जीत में डेल्ही डायलॉक ही भूमिका बड़ी अहम मानी जाती रही है. आप ने एक बार फिर वही तरीका अपनाया है.
केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार का झगड़ा शायद ही कभी सुर्खियों से बाहर हो पाता हो. बीजेपी एमएलए सिरसा ने फोटो के जरिये इसी पर टिप्पणी की है. सिरसा राजौरी गार्डन से विधायक हैं जहां उप चुनाव होने पर बीजेपी ने आप उम्मीदवार को शिकस्त दे डाली. वैसे ऐसा एक और मौका बवाना में भी था लेकिन आप ने कब्जा बरकरार रखा.
फिर दिल्लीवालों के दरबार में...
आप के दिल्ली संयोजक गोपाल राय के मुताबिक पार्टी का ये कार्यक्रम दिल्ली के लोगों से संवाद स्थापित करने की कोशिश है. इस दौरान आप के सारे मंत्री, विधायक और दूसरे पदाधिकारी अपने अपने इलाके में लोगों से मिलेंगे और सरकार की उपलब्धियां बताएंगे. साथ ही, ये भी बताएंगे कि किस तरह केंद्र की मोदी सरकार ने रोड़े खड़े किये फिर भी काम नहीं रुका.
खुद गोपाल राय बताते भी हैं, "आइडिया ये है कि लोगों को बताया जा सके कि आप सरकार ने किस तरह चुनाव घोषणा पत्र में किये वादे पूरा करने में जुटी रही और विकास के काम होते रहे, जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बाधाएं खड़ी करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी." गोपाल राय का दावा है कि आप सरकार ने चुनाव के वक्त किये गये वादों में से 90 फीसदी पूरे कर दिये हैं.
अब तक 'तीन साल केजरीवाल'...
दिल्ली के लोगों से मिलकर आप के लोग पहले तो अपनी उपलब्धियां बताएंगे और फिर अपने काम और स्कीम पर फीडबैक लेंगे. ये फीडबैक आगे की रणनीति तैयार करने में काम आएगा. इस मौके पर आप ने आप का एक हैशटैग भी ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है - #VictoryOfCommomMan.
AAP Govt is totally an Aam Aadmi sponsored government, ultimately accountable to the same.Take a look what can be done by a Govt run by Common Men with honest intentions to serve !#VictoryOfCommomMan pic.twitter.com/3TrjNxKOQX
— AAP (@AamAadmiParty) February 10, 2018
अपनी उपलब्धियों में केजरीवाल सरकार सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारना, मोहल्ला क्लिनिक, बिजली और पानी बिल में रियायतें और अनधिकृत कालोनियों में विकास के कामों के बारे में बता रही है. जाहिर है यही बातें दिल्ली के लोगों से मुलाकात के दौरान भी बताई जाएंगी.
अब आगे...
तीन साल की बात करें तो आम आदमी पार्टी अपने तीन सांसद राज्य सभा भेज चुकी है और जिन तीन राज्यों पंजाब, गोवा और गुजरात में वो चुनाव लड़ी एक राज्य पंजाब में वो मुख्य विपक्षी दल है. देखा जाये तो गोवा और गुजरात से भी बड़ी हार केजरीवाल के लिए दिल्ली के एमसीडी चुनावों में शिकस्त रही - राजौरी गार्डन का हिसाब तो आम आदमी पार्टी ने बीजेपी से बवाना में बराबर कर ही लिया था.
केजरीवाल सरकार के दो साल बचे हैं और तात्कालिक तौर पर देखें तो आप के 20 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है. केजरीवाल सरकार ने इन 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था, लेकिन चुनाव आयोग ने उसे खारिज कर दिया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन 20 विधायकों की सदस्यता चुनाव आयोग की सिफारिश पर रद्द कर चुके हैं. आप के विधायकों ने इसे दिल्ली हाई कोर्ट में चैलेंज किया है जिस पर अभी सुनवाई चल रही है. केजरीवाल के सामने चुनौतियों में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ चल रहा चर्चित मानहानि का मुकदमा तो है ही, राज्य सभा न भेजे जाने ने नाराज कुमार विश्वास और उनके जैसे नेताओं की नाराजगी से भी उन्हें जूझते रहना होगा.
वैसे डेल्ही डायलॉग स्टाइल में केजरीवाल और उनकी पहले के मुकाबले ज्यादा अनुभव हासिल कर चुकी उनकी टीम एक बार फिर दिल्ली के लोगों के दरबार में दस्तक दे रही है. देखना होगा अब दिल्लीवाले केजरीवाल की किस्मत में क्या बख्शते हैं? आगे का 'दो साल केजरीवाल' उसी पर निर्भर करेगा.
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