कुलभूषण जाधव का जो भी हो, ले.कर्नल मोहम्मद हबीब का क्या होगा?
कुलभूषण जाधव का केस को ICJ में चल रहा है, लेकिन एक कथित पाकिस्तानी जासूस का कुछ अता-पता नहीं है. नेपाल में गायब हुए इस जासूस के अपहरण का आरोप पाकिस्तान ने भारत पर लगाया है.
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कुलभूषण जाधव के केस में एक बार फिर से ICJ (International court of justic) की कार्यवाई शुरू हो गई है. भारत के जाने माने वकील हरीश साल्वे कुलभूषण जाधव का केस लड़ रहे हैं. पुलवामा आतंकी हमले के बाद ये पहली बार होगा जब भारत-पाकिस्तान आमने सामने खड़े हैं.
भारत का आरोप है कि कुलभूषण जाधव को बेफिजूल के मामले में फंसाया गया है. और पाकिस्तान का आरोप है कि कुलभूषण जाधव जासूस है जिसने हजारों पाकिस्तानियों का कत्ल किया है. दोनों ही देश अपनी दलीलें ICJ में दे रहे हैं.
कुलभूषण की गिरफ्तारी के बाद कर्नल मोहम्मद हबीब की गुमशुदगी
ये मामला 2017 में सामने आया था जब कुलभूषण जाधव के केस में भारत पाकिस्तान से बार-बार एक्सेस की मांग कर रहा था. दरअसल, ले. कर्नल मोहम्मद हबीब अप्रैल 2017 में भारत-नेपाल बॉर्डर से गायब हो गए थे. वो रिटायर्ड पाकिस्तानी सेना के अधिकारी थे और कथित तौर पर एक नौकरी के इंटरव्यू के लिए नेपाल गए थे. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोहम्मद हबीब के गायब होने के पीछे भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ का हाथ है.
पाकिस्तानी सरकार ने नेपाली विदेश मंत्रायल से इस मामले में मदद भी मांगी थी. हबीब ने आखिरी बार अपने परिवार से बात-चीत की थी और उसके बाद न ही उनसे किसी ने बात की और न ही किसी ने देखा. हबीब ने नेपाल में लैंड होने के बाद किसी से अपनी फोटो खिंचवाई थी और माना जा रहा है कि हबीब के साथ वो इंसान अंतिम वक्त तक रहा होगा.
हबीब को लेने तीन लोग एयरपोर्ट पर आए थे और ये नहीं कहा जा सकता है कि वो लोग भारतीय थे या कोई और. हबीब 2014 में पाकिस्तानी आर्मी से रिटायर हुए थे और उसके बाद से ही वो एक प्राइवेट पाकिस्तानी फर्म में काम कर रहे थे और अलग-अलग जगह पर नौकरी ढूंढ रहे थे.
रिटायर्ड ले. कर्नल हबीब 2017 से ही लापता हैं.
लंदन से आया था नौकरी का कॉल
रिपोर्ट्स के मुताबिक लंदन के नंबर से उन्हें किसी मार्क थॉम्सन का कॉल आया था. उस फोन कॉल में उन्हें नेपाल के लुबिनी में UN की जॉब की बात कही गई थी. जब ओमान एयर के जरिए कर्नल हबीब काठमांडू पहुंचे तो उन्हें लेने कोई जावेद अंसारी आया. उसके बाद तुरंत ही वो लोग लुबिनी के लिए निकल गए. वहां से हबीब ने अपने परिवार को एक लोकल नंबर से फोन किया और फोन करने के तुरंत ही बाद वो नंबर बंद हो गया.
जिस नंबर से हबीब को फोन आया था वो भी फेक था, जिस वेबसाइट के जरिए नौकरी के लिए हबीब ने नौकरी के लिए अर्जी दी थी वो भी फेक थी और उसका ट्विटर अकाउंट भी बंद हो गया था.
हबीब रिटायरमेंट के बाद भी जुड़े थे ISI से?
कुछ रिपोर्ट्स से दावा करती हैं कि हबीब पाकिस्तानी सेना से भले ही रिटायर हो गए थे लेकिन वो खूफिया तौर पर पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी के लिए काम कर रहे थे. पाकिस्तान का दावा है कि हबीब के गायब होने के पीछे हिंदुस्तान का हाथ है, लेकिन कोई पुख्ता सबूत इसके खिलाफ नहीं मिले हैं.
2017 के बाद से इस मामले में कोई जानकारी नहीं-
इतनी बड़ी घटना के बाद हबीब की कोई जानकारी नहीं मिली है. 2019 तक न ही भारत की तरफ से ये स्वीकार किया गया है कि उसका कोई हाथ है न ही पाकिस्तान ने इस मामले में कुछ कहा है. हबीब की गुमशुदगी को कुलभूषण जाधव मामले से इसलिए जोड़ा जा रहा था क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि इस मामले में 'जासूस के बदले जासूस' की पॉलिसी लागू की जाएगी. पर अभी तक न ही कोई सामने आया है न ही ऐसी कुछ बात हुई है.
राडार से गायब हैं हबीब
कर्नल हबीब अब राडार में ही नहीं हैं. इतनी जांच के बाद भी कुछ नहीं पता चला है कि आखिर उनका क्या हुआ. उन्हें भारतीय सुरक्षा एजेंसी ने लिया है, या फिर नेपाल में किसी ने अगवा किया है, या फिर खुद पाकिस्तान ने ही भारत पर इस तरह का इल्जाम लगाया है इसकी कोई जानकारी नहीं है. इस मामले को ICJ में इसलिए नहीं भेजा गया क्योंकि पाकिस्तान के पास कोई सबूत नहीं था कि हबीब को भारत ने अगवा करवाया है.
कुल मिलाकर अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है कि हबीब का क्या हुआ या आगे क्या होगा. पर जिस तरह पाकिस्तान हर बात का सबूत मांगता है कोई भी इल्जाम लगाने से पहले भारत को भी कोई सबूत मिलना चाहिए कि पाकिस्तानी कर्नल भारत के पास है. एक तीसरे देश के मामले में भारत पर बिना सबूतों के इल्जाम लगाया गया था.
क्यों लगाया गया भारत पर इल्जाम?
कर्नल हबीब उस टीम का हिस्सा थे जिसने कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया था. इसलिए ऐसा आरोप लगाया गया था कि कुलभूषण मामले का बदला लेने के लिए हबीब को अगवा किया गया है.
कब से चल रहा है कुलभूषण केस?
कुलभूषण जाधव मार्च 2016 से ही पाकिस्तान के कब्जे में है. भारत को मार्च में ही कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी की खबर मिल गई थी.
दिसंबर 2016 को पाकिस्तान के विदेश मंत्री सरताज़ अजीज ने माना था कि कुलभूषण के खिलाफ को पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. उसी दिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक स्टेटमेंट जारी कर दिया था कि सरताज अहमद द्वारा जारी किया स्टेटमेंट गलत है.
यहां से लेकर अप्रैल 2017 तक पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की एक्सेस के लिए दी गई 16 रिक्वेस्ट खारिज कर दी थी और 8 मई को भारत ने यूनाइटेड नेशन कोर्ट में अर्जी दे दी थी. Vienna Convention को न मानने की बात इस स्टेटमेंट में कही गई थी. 9 मई को ICJ ने कुलभूषण मामले में सज़ा को रोक दिया था. तब से लेकर अभी तक भारत और पाकिस्तान की तरफ से एक हियरिंग हो चुकी है और कई रिपोर्ट जारी हो चुकी हैं. अब दूसरी बार कुलभूषण केस की सुनवाई चल रही है.
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