क्या मोदी यूनिवर्सिटी से तालीम लेकर पास होंगी प्रियंका गांधी?
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) इन दिनों यूपी में अपनी तस्वीरों के जरिए चर्चा मे हैं. हांलाकि कांग्रेस का मूल स्वभाव शालीनता और सादगी है. अपने मूल स्वभाव के विपरीत कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका आक्रामकता और सादगी की तस्वीरों के पोट्रेट पेश करके पार्टी में जान फूंक रही हैं.
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भारत में फार्मूला फिल्म की तरह सियासी सफलता का भी फार्मूला तय होता है. सियासत म़े विकास और बुनियादी ज़रुरतों की बात करना कला फिल्मों की तरह बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित होता हैं. मंडल-कमंडल से लेकर धर्म के जज्बात राजनीतिक दलों के लिए मुफीद (फायदेमंद) होते हैं. 2010 के बाद सोशल मीडिया का दौर आम होने लगा. और फिर इस माध्यम से आम जनता तक पंहुचने का दौर शुरू हुआ. तस्वीरों के जरिए जन-जन तक पंहुचकर आम लोगों के दिलों में जगह बनाने में भाजपा के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी कामयाबी हासिल की.
विशाल आईटी सेल के जरिए भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी और मोदी सबसे लोकप्रिय नेता. बाद मुद्दत के यूपी में चर्चा में आई कांग्रेस और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी भाजपा के शीर्ष नेता के हुनर को अपनाने में सफलता की राह पर चलना शुरू कर दिया है. प्रियंका इन दिनों यूपी में अपनी तस्वीरों के जरिए चर्चा मे हैं. हांलाकि कांग्रेस का मूल स्वभाव शालीनता और सादगी है. दिखावा और आक्रामता कांग्रेस के मूल स्वाभाव मे नहीं है. अपने मूल स्वभाव के विपरीत कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका आक्रामकता और सादगी की तस्वीरों के पोट्रेट पेश करके पार्टी में जान फूंक रही हैं.
चाहे जितनी भी आलोचना की जाए मगर प्रियंका गांधी का जो अंदाज लखीमपुर में था वो देखते ही बनता है
भाजपा के हिन्दुत्व के सफल फार्मूले से प्रभावित होकर ही कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने साफ्ट हिन्दुत्व को भी फॉलो करते हुए मंदिरों में चहलकदमी शुरू की थी. जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूड़ा बिनने, मोर को दाना खिलाने.. इत्यादि दर्जनों तस्वीरें ट्रेंड होती रही हैं ऐसे ही प्रियंका गांधी की हालिया तस्वीरें ट्रेंड कर रही हैं. और इस तरह यूपी में बंजर पड़ी कांग्रेस की ज़मीन में हरियाली नज़र आने लगी है.
आम जनता के दिल में जगह बनाने के लिए आम जनता तक पहुंचना ज़रूरी है. कोई बड़ा राजनेता आम इंसान की तरह पेश आए, आप इंसान की बात करे और एक आम इंसान के ठिकाने पर पंहुचे तो करोड़ों लोगों से उनका रिश्ता जुड़ जाएगा. क्योंकि आम इंसानों का सबसे बड़ा प्लेटफार्म सोशल मीडिया ख़ास इंसान के आम अंदाज को फ्री में अनगिनत लोगों तक पंहुचा देता है.
जुबान पर चर्चा और दिल में जगह बनाने के लिए ऐसे हुनर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी माहिर हैं. भाजपा ने 2010 में आम हो रहे सोशल मीडिया के रिवाज को लपक कर इसे अपने प्रचार का सबसे बड़ा माध्यम बनाया था. आम समाज के सबसे बड़े इस प्लेटफार्म के माध्यम से भी नरेंद्र मोदी देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय नेता बने.
मुख्यधारा की मीडिया को भी सोशल मीडिया ने अपना ग़ुलाम बना लिया, जो बात वीडियो या तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे मुख्यधारा की मीडिया को उसे फालो करने पर मजबूर होना पड़ा. बूढ़ी मां को भोजन खिलाना, भावुक होकर रो देना, गरीबों की बात करना.. मंदिरों या गूफा में बैठकर आराधना करना जैसी दर्जनों तस्वीरें प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में चार चांद लगाती रही हैं.
सियासत के इस नए फार्मूले में कांग्रेस भी ढलती नजर आने लगी है. भाजपा सरकार का मुसल्सल विरोध कर रहा किसान आंदोलन लखीमपुर घटना में शबाब पर पंहुचा तो इसका माइलेज यूपी के सबसे बड़े विपक्षी दल सपा के बजाय कांग्रेस को मिला. क्योंकि प्रियंका गांधी ने मृतकों के परिजनों से मिलने सबसे पहले रात को ही निकल गईं थी.
और बरसात मे वो रात भर संघर्ष करती रहीं और इस संघर्ष की एक एक तस्वीर/वीडियो वायरल होती रहीं. लखीमपुर जाने के सफर में गिरफ्तारी से लेकर पुलिस से तकरार करती तस्वीरों से लेकर झाड़ू लगाने की तस्वीरों का आभामंडल सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब रहा.किसानों और अन्य लोगों की ह्दयविदारक मौत की चर्चा तेज हो गई. फिर न्यायालय ने भी इसे संज्ञान में लेकर सरकार को फटकार लगाई.
अंततः गृह राज्य मंत्री के पुत्र को इस घटने के आरोप में जेल जाना पड़ा. इस पूरी घटना में सरकार को बैकफुट पर लाने का क्रेडिट प्रियंका गांधी को दिया जा रहा है. उनकी सक्रियता अभी भी जारी है. सरकार के खिलाफ और किसानों के समर्थन में उनके वाराणसी कार्यक्रम में खासी भीड़ रही.यहां जाने से पहले एयरपोर्ट की बस में हैंडल (छत का डंडा) पकड़े खड़ी प्रियंका गांधी की एक तस्वीर फिर ट्रेंड हुई.
हांलाकि इस पर फोटों छपास के व्यंग्य करते हुए सवाल भी उठाए गए. सोशल मीडिया पर ही चर्चा रही कि बस की सीटें खाली हैं लेकिन खुद की सादगी साबित करने के लिए प्रियंका बस का डंडा (अपर हैंडल) पकड़े खड़ी हैं. लोगों ने ये भी कहा कि आम इंसानों की आम सादगी वाली तस्वीरों के साथ वो जनाधार बनाने के नये सियासी रिवाज पर अमल कर रही हैं.
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