लालू का कुनबा चमका, पासवान का फीका पड़ा
हल्ला-हंगामों के बीच बिहार चुनाव में परिवारवाद पर भी जुमले गढ़े गए, हालांकि दामन किसी का भा पाक नहीं था. जनता जनार्दन ने परिवार पॉलिटिक्स को राजनीति का कौन सा ककहरा सिखाया, देखें...
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एक्टर का बेटा एक्टर बनता है, बिजनेसमैन का बेटा बिजनेस करता है. बात जब नेताओं की आती है तो हल्ला-हंगामा मच जाता है. बिहार चुनाव तो खैर वैसे ही हल्ला-हंगामों के बीच शुरू हुआ. परिवारवाद पर भी जुमले गढ़े गए, हालांकि दामन किसी का भा पाक नहीं था. लेकिन जनता तो जनार्दन होती है... उसने नेताओं और उनकी परिवार पॉलिटिक्स को राजनीति का कौन ककहरा सिखाया... देखें -
लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे जीते :
- तेजस्वी प्रसाद यादव (राघोपुर सीट से, लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे) जीत गए.
- तेज प्रताप यादव (महुआ सीट से, लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे) की जीत.
राम विलास पासवान के 3 रिश्तेदार :
छोटा भाई पशुपति कुमार पारस: अलौली सीट पर हार गए. अलौली विधानसभा सीट के अंतर्गत ही पासवान का पैतृक गांव शहरबन्नी आता है. 2010 में भी वे यहां से हारे थे. मजेदार बात यह है कि पशुपति कुमार पारस लोक जनशक्ति पार्टी के बिहार अध्यक्ष हैं.
भतीजा प्रिंस राज: समस्तीपुर जिले की कल्याणपुर सीट से हारे. वे रामविलास पासवान के भाई और सासंद रामचंद्र पासवान के पुत्र हैं.
बहू सरीता देवी: सोनवर्षा सीट से जीतीं.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेताओं के रिश्तेदार (जीतन राम मांझी के दो रिश्तेदार) :
- संतोष कुमार सुमन (जीतन राम मांझी के पुत्र) कुटुंबा सीट से हार गए.
- राजेश कुमार उर्फ रोहित कुमार (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के बिहार अध्यक्ष शकुनी चौधरी के पुत्र) खगड़िया सीट से हारे.
- जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी (बोधगया सीट से पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय लड़ा चुनाव) बुरी तरह हारे.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं के रिश्तेदार :
- अर्जित शास्वत (बक्सर से बीजेपी के सांसद आश्विनी चौबे के पुत्र) भागलपुर सीट से हारे.
- विवेक ठाकुर (बीजेपी के राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर के पुत्र) ब्रह्मपुर सीट से हार गए.
- संजीव चौरसिया (बीजेपी के एमएलसी गंगा प्रसाद के पुत्र) दीघा सीट से जीते.
- नीतीश मिश्रा (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र) झंझारपुर सीट से हारे.
मतलब बिहार चुनाव में लालू न सिर्फ किंग मेकर बनकर उभरे बल्कि अपने बेटों का भविष्य भी तय करने में सफल रहे. देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी और तेज प्रताप अपने खुद के 'तेज' से राजनीति की पाठशाला में कहां तक की डिग्री लेते हैं!
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