Lockdown 2 लागू करने की चुनौती मोदी सरकार ने शर्तों के साथ लोगों की जिम्मेदारी बना दी
लॉकडाउन 2.0 (Lockdown 2.0) की चुनौती से खुद को मुक्त करते हुए मोदी सरकार (Narendra Modi) ने लोगों पर जिम्मेदारी डाल दी है. केंद्र सरकार ने ऐसा दिशानिर्देश (Lockdown Guidelines) तैयार किया है जिसके अनुपालन की जिम्मेदारी अब पूरी तरह देश के लोगों पर आ गयी है
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लॉकडाउन 2.0 (Lockdown 2.0) को सड़कों पर लिखे एक स्लोगन से आसानी से समझा जा सकता है - 'सावधानी हटी, दुर्घटना घटी'. पहले और मौजूदा लॉकडाउन की तुलना करनी हो तो एक और स्लोगन की मदद ली जा सकती है - 'रोगों की रोकथाम इलाज से बेहतर होता है'. पहला लॉकडाउन एहतियाती कदम के तौर पर लागू किया गया - और दूसरा भी उसी का विस्तार है, लेकिन कुछ शर्तें भी लागू हैं. वैसे भी जब तक कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन नहीं बन जाती, एहतियाती उपायों के भरोसे ही चलना होगा. और कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने के लिए घरों में बंद रहना ही फिलहाल सबसे सुरक्षित और कारगर उपाय है.
अगर पहला लॉकडाउन लोगों के लिए रिहर्सल था तो दूसरे में परफॉर्मेंस की जिम्मेदारी सरकार ने सीधे सीधे लोगों पर डाल दी है. अगर पहला लॉकडाउन अभ्यास मैच था तो ये टेस्ट है - ये टेस्ट सेलेक्शन के लिए है. जो टेस्ट में पास होगा, 20 अप्रैल के बाद गाइडलाइंस के हिसाब से छूट का हकदार होगा. कोई भी टेस्ट किसी इम्तिहान जैसी चुनौती लिये होता है - और ये तो ऐसा है जैसे लोगों के धैर्य और अनुशासन की अग्नि परीक्षा लेने वाला हो.
ऐसे भी समझ सकते हैं कि पहले लॉकडाउन को लागू करने की चुनौती सरकार की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने छोटे-छोटे टास्क देते और हौसलाअफजाई करते हुए 21 दिन का लॉकडाउन पूरा करा दिये. लोग चाहते थे कि अब सरकार कुछ ऐसे उपाय करे जिससे मुश्किलें थोड़ी कम हों, अब सरकार ने दिशानिर्देशों (Lockdown Guidelines) में उसका भी इंतजाम कर दिया है - शर्तों से गुजरते हुए करके दिखाओ और लॉकडाउन में छूट का पूरा फायदा उठाओ.
लॉकडाउन 2.0 में बंपर छूट, लेकिन शर्तें लागू हैं.
केंद्र सरकार की गाइडलाइन में जो छूट दी गयी है उनमें कुछ तो संस्थागत हैं और कुछ ऐसी जो लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी हैं. संस्थागत छूट वे हैं जैसे आईटी कंपनियों को 50 फीसदी वर्कफोर्स के साथ काम करने की छूट दी गयी है - हालांकि, शर्तें वही होंगी कि वहां कोई नया केस नहीं आना चाहिये या वो इलाका हॉट-स्पॉट के पैमाने के दायरे से बाहर होना चाहिये. ज्यादातर छूट ऐसी हैं जिसमें सीधे लोगों की भागीदारी होनी है - और यही वो क्षेत्र है जहां जरा सी भी असावधानी होने पर छूट से हाथ धोना पड़ सकता है.
ध्यान रहे - सावधानी हटी, दुर्घटना घटी
1. MGNREGA के सभी काम होंगे: सोशल डिस्टैंसिंग बनाये रखने की शर्त के साथ मनरेगा के कामों की अनुमति होगी, जिसमें सिंचाई और वॉटर कंजर्वेशन से जुड़े कामों को खास प्राथमिकता दी जाएगी.
ध्यान रहे ये वो काम है जो उस तबके के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा जिस पर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. दिहाड़ी मजदूरों के सामने बाकी कुछ तो छोड़ ही दीजिये पेट भरने तक का संकट खड़ा हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी था कि गरीब और मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही छूट देने का फैसला लिया जा रहा है.
2. खेती-बाड़ी चलती रहेगी: किसानों और खेती से जुड़े कामों के लिए काफी हद तक छूट मिल रही है. ऐसे में खेती से जुड़ी सभी गतिविधियां चालू रहेंगी और किसानों को बुवाई, कटाई सभी काम करने की छूट होगी. कृषि उपकरणों, स्पेयर पार्ट्स और रिपेयरिंग वाली दुकानें खुली रहेंगी और खाद, बीज, कीटनाशकों के निर्माण और वितरण के काम भी जारी रहेंगे. कटाई से जुड़ी मशीनों के एक राज्य से दूसरे राज्य में लाने और ले जाने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी.
3. सड़क निर्माण और कंस्ट्रक्शन: ये दोनों भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां दिहाड़ी मजदूरों को काफी काम मिलता है. सड़क की मरम्मत और निर्माण के लिए छूट दी जा रही है, शर्त यही है कि वैसी ही जगह ये काम होंगे जहां भीड़ नहीं होगी. साथ ही, शहरी क्षेत्रों में भी कंस्ट्रक्शन के काम की भी छूट दी गयी है, लेकिन सिर्फ उन्हीं को जहां साइट पर ही कामगार उपलब्ध हैं. मतलब, काम के लिए बाहर से कामगारों को बुलाया नहीं जा सकेगा.
फायदा ये होगा कि काम बंद होने से जो दिहाड़ी मजदूर अफवाह सुन कर मुंबई में बांद्रा या दिल्ली आनंद विहार जैसी जगहों पर इकट्ठा हो जा रहे हैं - वे जहां हैं वहीं रह कर काम कर सकेंगे. अगर वास्तव में ऐसा हो पाया तो गरीब तबके की बड़ी मुश्किल आसान हो जाएगी.
पहले से ज्यादा सख्ती
राज्यों की सीमाएं तो पहले की तरह ही सील रहेंगी. किसी भी तरह के परिवहन पर पूरी तरह रोक जारी रहेगी. इमर्जेंसी की हालत में भी चार-पहिया वाहन में ड्राइवर के अलावा केवल एक व्यक्ति और दोपहिया पर सिर्फ एक ही शख्स चल सकता है - अगर इसका उल्लंघन होता है तो एक्शन और जुर्माना होगा.
ट्रकों को छूट तो मिलने जा रही है, लेकिन वहां भी एक ट्रक में दो ड्राइवर और सिर्फ एक हेल्पर की इजाजत होगी. हां, ट्रकों की मरम्मत के लिए भी दुकानों को छूट मिलने जा रही है - और हाइवे पर ढाबे भी खुले रह सकेंगे ताकि ड्राइवर और हेल्पर को खाने-पीने की दिक्कत न हो.
टैक्सी सेवा पूरी तरह बंद रहेगी - टैक्सी के दायरे में ही ऑटोरिक्शा, साइकिल रिक्शा और ई-रिक्शा या ऐप वाली कैब भी शामिल हैं.
1. फेस मास्क: घर से बाहर फेस मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है. ये मास्क घर पर बना भी हो सकता है या फिर गमझे से मुंह ढका हुआ होना चाहिये. ये मैसेज देने के लिए ही प्रधानमंत्री लॉकडाउन की घोषणा के वक्त सफेद गमझे से मुंह ढक कर टीवी पर प्रकट हुए थे.
2. कड़ी कार्रवाई और जुर्माना भी: जिस किसी को भी क्वारंटीन किया गया है और अगर वो नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो IPC की धारा 188 के तहत उस कानूनी कार्रवाई.
थूकने पर भी अब जुर्माना लगेगा. थूकने पर तो पहले भी पाबंदी थी लेकिन मेट्रो स्टेशन या कुछ ऐसी ही जगहों पर सख्ती से लागू किया जाता रहा. हाल फिलहाल देखा गया कि तब्लीगी जमात के लोग डॉक्टर और नर्सों पर या क्वारंटीन के दौरान जहां तहां थूक रहे थे. लगता है गाइडलाइन में ये नियम इसी वजह से शामिल किया गया है.
3. धार्मिक मंडली सख्त वर्जित है: शादी समारोह नहीं होंगे, वर्चुअल विवाह लोग चाहें तो उनकी मर्जी पर है. राजनीतिक और खेलों से जुड़े आयोजन भी नहीं होंगे. यहां तक कि अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा लोग नहीं जा सकेंगे. बताने की जरूरत नहीं है कि सोशल डिस्टैंसिंग तो मानना ही होगा.
साथ ही साथ, स्कूल, कोचिंग सेंटर भी बंद ही रहेंगे - सरकार ने कहा है कि जैसे नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजैक्शन को प्रोत्साहित किया गया था, ठीक वैसे ही - ऑनलाइन टीचिंग और डिस्टेंस लर्निंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
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