इतनी हिंसा-बवाल के बावजूद पश्चिम बंगाल में क्यों होती है सबसे अधिक वोटिंग !
हैरानी इस बात पर होती है कि पश्चिम बंगाल में माहौल इतना अशांत होने के बावजूद वहां पर वोटिंग इतनी ज्यादा कैसे हो सकती है? जब हमने इसके पीछे की वजह जाननी चाही तो जो कुछ सामने आया, उसने हैरान कर दिया.
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लोकसभा चुनाव के छठे चरण में भी पश्चिम बंगाल (West Bengal) सुर्खियों में छाया हुआ है, लेकिन गलत कारणों के चलते. ऐसा कोई चरण नहीं रहा, जब पश्चिम बंगाल में मारपीट की घटना ना हुई हो. यहां तक कि कई चरणों में तो हिंसा तक हो गई और छठे चरण में बात मर्डर तक जा पहुंची है. Lok Sabha Election 2019 से एक दिन पहले शनिवार को भाजपा के बूथ प्रेसिडेंट रमन सिंह (42) और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता सुधाकर मैती (55) का शव पुलिस को बरामद हुआ है. इस दोनों मर्डर को राजनीतिक हत्या कहा जा रहा है.
यहां दिलचस्प ये है कि इतनी हिंसा और मारपीट की घटनाएं होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में वोटिंग सबसे अधिक होती है. अब हैरानी इस बात पर होती है कि जहां माहौल इतना अशांत हो, वहां पर वोटिंग अधिक कैसे हो सकती है. कश्मीर को ही ले लीजिए. वहां अशांत माहौल की वजह से ही वोटिंग हमेशा कम ही रहती है. यहां तक कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी वोटिंग कम होती है. लेकिन ये थ्योरी पश्चिम बंगाल में काम नहीं करती. तो क्या वजह है कि पश्चिम बंगाल में वोटिंग इतनी अधिक हो रही है? जब हमने इसके पीछे की वजह जाननी चाही तो जो कुछ सामने आया, उसने हैरान कर दिया.
पश्चिम बंगाल में हर बार सबसे अधिक वोटिंग होने की वजह हैरान करती है.
हर बार होती है सबसे अधिक वोटिंग
एक ओर राजधानी दिल्ली है, जहां वोटिंग टर्नआउट सबसे कम आ रहा है. 2009 और 2014 में 51.8 और 65.1 फीसदी वोट पड़े थे. लेकिन अगर यही आंकड़े पश्चिम बंगाल के संदर्भ में देखें तो 2009 में यहां 78.93 फीसदी वोटिंग टर्नआउट था, जबकि 2014 में ये आंकड़ा 81.28 फीसदी था. उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी वोटिंग टर्नआउट 78-82 फीसदी के बीच में रहेगा. राजनीति का केंद्र होने के बावजूद दिल्ली में वोटिंग टर्नआउट कम है, जबकि पश्चिम बंगाल में हिंसा और मारपीट की घटनाओं के बावजूद वोटिंग अधिक है. बस यही बात खटक रही है, लेकिन इसकी दो बड़ी वजहें हैं.
पहली बड़ी वजह है 'छप्पा वोटिंग'
अब तो चुनाव ईवीएम से होते हैं, लेकिन पहले बैलेट पेपर से चुनाव होते थे. उसमें पेपर पर छाप लगाकर उसे बॉक्स में डालना होता था. छप्पा वोटिंग का ये टर्म वहीं से आया है. पश्चिम बंगाल में अधिक वोटिंग की सबसे बड़ी वजह छप्पा वोटिंग ही है. एक के बाद एक वोट पड़ते रहते हैं, भले ही कोई वोट डालने वाला हो या ना हो. ये अवैध काम पोलिंग ऑफिसर की आंखों के सामने ही होता है. यानी सीधे-सीधे कहें तो ये छप्पा वोटिंग बिल्कुल बूथ कैप्चरिंग जैसी ही है.
'महिला शक्ति' है दूसरी बड़ी वजह
पश्चिम बंगाल में अधिक वोटिंग की दूसरी बड़ी वजह है महिला शक्ति. यूं ही नहीं ममता बनर्जी खुलेआम पीएम मोदी को चुनौती दे दिया करती हैं. यूं ही नहीं सीबीआई की टीम को पुलिस पकड़ लिया करती है. ममता बनर्जी खुद को महिला शक्ति का जीता-जागता उदाहरण हैं ही, पूरे पश्चिम बंगाल में आपको ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिल जाएंगे. पश्चिम बंगाल में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं.
41 फीसदी उम्मीदवार महिलाएं
ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल की महिलाएं सिर्फ राजनीति में रुचि रखती हैं. यहां की महिलाएं राजनीतिक में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लेती हैं. पश्चिम बंगाल की कुल 42 सीटों पर उतारे गए उम्मीदवारों में से 41 फीसदी तो महिलाएं ही हैं. अब महिला शक्त का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है.
#LokSabhaElection2019 List of candidates for 42 seats in #Bengal pic.twitter.com/TRg59ktH5Q
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) March 12, 2019
ये वीडियो देख लीजिए, महिला शक्ति का अंदाजा हो जाएगा
पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान हाल ही में एक वीडियो भी सामने आया था, जहां सुरक्षा बलों से सीधे महिलाएं टक्कर ले रही थीं. ऐसा नहीं था कि महिलाओं को पास अत्याधुनिक हथियार थे, बल्कि वह सिर्फ लाठी-डंडों के भरोसे ही सुरक्षा बलों से टक्कर ले रही थीं. महिलाओं की ताकत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में सिर्फ देवियों के मंदिर हैं, देवताओं के नहीं.
#WATCH TMC women supporters protest in Nanoor of Birbhum district, after BJP opposed TMC supporters who insisted on polling despite absence of central forces at the polling booth. Police is trying to mediate between the two groups. #WestBengal #LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/WhPWtwqeVG
— ANI (@ANI) April 29, 2019
2019 के लोकसभा चुनावों में अब तक हर चरण में पश्चिम बंगाल का वोटिंग टर्नआउट काफी अधिक रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार भी वोटिंग टर्नआउट 80 फीसदी को पार कर जाएगा. पश्चिम बंगाल के चुनाव में सीधी टक्कर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच में है. दोनों ने चुनाव जीतने की अपनी पूरी ताकत झोंक दिया है. अब 23 मई को आने वाले नतीजे बताएंगे कि इस बार भी छप्पा वोटिंग और ममता बनर्जी की महिला शक्ति कुछ कमाल दिखा पाएगी या फिर मोदी लहर में सब बह जाएंगे.
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