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Updated: 21 अप्रिल, 2019 07:44 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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नफरत से नफरत का मुकाबला मानवता का नामोनिशान खत्म कर देता है. इस जंग में इंसानियत घायल होती है और इंसानियत पसंद हर मजहब के मायने बदलकर हर धर्म को बदनाम भी किया जाता है. वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश देने वाले सनातन धर्म की आत्मा के विपरीत इस धर्म को डरावना बनाने की साजिशों को बल मिलता है. इंसानियत का पैगाम देने के लिए अवतरित हुए इस्लाम को भी नफरत की सियासत दहशतगर्दी से जोड़ देती है. इन सच्चाइयों की हक़ीकत जानकर नफरत की सियासत को मात देने के लिए पच्चीस बरस पहले कुछ मुस्लिम नौजवान उदारवादी भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी के समर्थन में आगे आये थे.

अयोध्या कांड के बाद भड़के नफरत के शोलों को मोहब्बत की शीतलता से शांत करने का सिलसिला शुरु हो गया था. इस सिलसिले को आगे बढ़ाने वाले हुसैनी शिया मुसलमान थे. जिन इमाम हुसैन ने प्यासा रखने का हुक्म सुनाने वाले दुश्मनों के घोड़ों को भी पानी पिला कर आलम-ए-इंसानियत को दूरगामी संदेश दिया था. स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी भाजपा के नायाब नेता ही नहीं दुनिया के उदारवादी नेताओं में उनका नाम शामिल था. उन्हें ये बेशकीमती खूबी लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब की तरबियत से हासिल हुई थी.

अटल बिहारी वाजपेयी, लखनऊ, सांसद, शिया मुस्लिम, राजनाथ सिंह  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गुजरे एक लम्बा वक़्तबीत चुका है मगर आज भी लखनऊ शहर उनसे बहुत प्यार करता है

अयोध्या कांड में उपजी नफरतों के बाद हिन्दू-मुस्लिम के बीच दीवाल को तोड़कर आपसी भाईचारे की अलख जलाना उस वक्त देश की सब से अहम जरूरत थी. अटल जी ने अपने उदारवादी व्यक्तिगत की रौशनी से ना सिर्फ बढ़ती फिरकापरस्ती से नफरत के अंधेरों को भेदा बल्कि उनपर कट्टरवादी छवि का आरोप लगाने वालों का मुंह भी बंद कर दिया.

लखनऊ की लोकसभा सीट को अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत कहा जाता है. इस विरासत की हिफाजत करने वाले भाजपा के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह हैं. ये भाजपा में उदारवाद के आखिरी च़िराग हैं. हालांंकि भाजपा की कद्दावर राष्ट्रीय नेत्री सुषमा स्वराज और यूपी के उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा में भी उदारवाद की झलक दिखती है. लेकिन राजनाथ सिंह को ही भाजपा का सबसे बड़ा उदारवादी चेहरा कहा जाता है. यही स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत के वारिस कहे जाते हैं. अटल के संस्कारों पर 'अटल' राजनाथ इसलिए भी शियों के दिलों पर राज करते हैं क्योंकि इन्होंने हमेशा मुस्लिम समाज से दिल से दिल का रिश्ता क़ायम रखा है.

अटल बिहारी वाजपेयी, लखनऊ, सांसद, शिया मुस्लिम, राजनाथ सिंह  राजनाथ सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि शहर उन्हें भी वैसे ही प्रेम कर रहा है जैसा प्रेम पूर्व प्रधानमंत्री को मिलता था

तत्कालीन लखनऊ सांसद अटल बिहारी वाजपेयी के समर्थक रहे शिया आज राजनाथ सिंह के समर्थन में जी जान लगाये हैं. लखनऊ के भाजपाई शियों का कहना है कि अटल जी की तमाम खूबियों की झलक राजनाथ जी में नजर आती है.

करीब तीस वर्ष पहले पुराने लखनऊ की शिया आबादी में भी अटल बिहारी वाजपेयी की चाहत के नजारे नजर आने की शुरूआत हुई थी. उनके नाम से ब्लड डोनेशन के कैम्प लगते थे. पुराने लखनऊ में खून और फूल से अटल को तोलने के ऐतिहासिक कार्यक्रम चर्चा का विषय बने थे.

ऐसे कार्यक्रमों के आयोजक तूरज जैदी आज भी बतौर भाजपा कार्यकर्ता सक्रिय हैं. तूरज बताते हैं कि भाजपा से मुसलमानों को जोड़ने के लिए अटल जी की उदारवादी शख्सियत ने एक सेतु का काम किया था. और आज राजनाथ सिंह जी अटल जी की सियासी तरबियत और उनकी विरासत के वारिस के तौर पर बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

हांलाकि लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब से महकते भाजपा और शिया मुसलमानों के रिश्ते में खटास पैदा करने की साजिशें खूब हो रही हैं. ऐन चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने चुनावी सभाओं में दो बाद हजरत अली को लेकर नकारात्मक बयान देकर शिया समुदाय को ठेस पंहुचा दी. इसके बाद राजनाथ सिंह के समर्थन में लखनऊ के शिया समाज के बीच जाने में शिया भाजपाई हिचकिचा सा रहे हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी, लखनऊ, सांसद, शिया मुस्लिम, राजनाथ सिंह  माना जा रहा है कि इस चुनाव में योगी आदित्यनाथ के अली-बजरंगबली विवाद का खामियाजा राजनाथ सिंह को भुगतना पड़ सकता है

अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने के भाजपा नेता भी अब राजनाथ सिंह और शियों के बीच बदमज़गी को खत्म करने की कोशिश में लग गये हैं. जिससे कि शिया भाजपाईयों को बल मिल रहा है. उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष और 'अटल-राजनाथ' लॉबी के करीबी रहे हृदय नारायण दीक्षित ने बात को घुमाकर डैमेज़ कंट्रोल की कोशिश की है.

श्री दीक्षित ने अपने एक ताजा बयान में मुख्यमंत्री योगी के हजरत अली संबधित नकारात्मक बयान पर सफाई देते हुए ये कहने की कोशिश की है कि मुख्यमंत्री के बयान में शिया मुसलमानों के पहले इमाम और सुन्नी समुदाय के खलीफा हजरत अली का जिक्र नहीं बल्कि किसी दूसरे अली का जिक्र किया गया था.

अब शायद इस तर्क को लेकर ही शिया भाजपाई अपने समाज में लखनऊ लोकसभा प्रत्याशी राजनाथ सिंह के लिए वोट की अपील करने की हिम्मत जुटा सकें. क्योंकि सियासत को एक और एक ग्यारह ही बनाना नहीं आता बल्कि 9 को 6 और 6 को 9 बनाने का भी हुनर आता है.

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लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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