काश राजनाथ सिंह की जगह, योगी आदित्यनाथ होते भारत के गृह मंत्री !
योगी आदित्यनाथ ने जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी तो अपराधियों और असामाजिक तत्वों को साफ संदेश दे दिया था- या तो सुधर जाओ या राज्य छोड़कर चले जाओ.
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उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था सुधारने के लिए आजकल राज्य की पुलिस खूब जोरों शोरों से लगी हुई है. योगी आदित्यनाथ ने जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी तो अपराधियों और असामाजिक तत्वों को साफ संदेश दे दिया था- या तो सुधर जाओ या राज्य छोड़कर चले जाओ. राज्य की पुलिस अपने मुख्यमंत्री की चेतावनी को ज़मीन पर बड़ी खूबी से लागू कर रही है. योगी सरकार ने पिछले एक साल में 1,240 मुठभेड़ों में 40 अपराधियों को ढेर कर दिया है और 305 अपराधी घायल हुए हैं. मार्च 2017 से लेकर 14 फरवरी 2018 के बीच 2,956 गिरफ्तारियां की गई हैं. असामाजिक तत्वों पर क़ानून का भय इसी बात से पता चलता है कि 142 नामी अपराधियों ने पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया है. जमानत मिलने के बावजूद 26 अपराधियों ने जेल में रहना बेहतर समझा है, तो 71 लोगों ने अपनी जमानत रद्द करा कर जेल जाने का निर्णय किया है.
अराजकता और खराब क़ानून व्यवस्था के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के इस नए बदलाव से एक बात स्पष्ट है. यदि उच्च पद पर बैठा व्यक्ति दृढ़ हो तो कठिन से कठिन समस्या सुधर सकती है. योगी आदित्यनाथ की इस शुरुआत को देख कर लगता है कि यदि भारत के गृह मंत्री के पद पर राजनाथ सिंह की जगह, योगी आदित्यनाथ होते तो चार सालों में देश की आंतरिक सुरक्षा संबंधी कई समस्याएं अब तक सुलझ सकती थीं.
नवम्बर 2016 में सरकार ने राज्य सभा में बताया था कि भारत में इस समय लगभग 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए रह रहे हैं. पता नहीं 2018 में यह संख्या कितने गुना बढ़ गई होगी. भारत में इस समय कम-से-कम 40,000 हज़ार अवैध रोहिंग्या घुसपैठिए रह रहे हैं. इनमें से कई रोहिंग्या घुसपैठियों को बड़ी चालाकी से जम्मू में बसाया गया है. दूसरी ओर भारत आए दिन पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमलों और युद्ध विराम के उल्लंघनों से तंग आ चुका है. सेना इन मुसीबतों का सामना बड़ी दिलेरी से करती है, परंतु कश्मीर घाटी में जब पत्थरबाज़ उन पर हमला करते हैं तो अपनी ही सरकारें सेना के खिलाफ खड़ी नज़र आती है.
यदि हम राजनाथ सिंह का गृह मंत्री के रूप में कार्यकाल देखें तो हम एक विफल मंत्री को पाएंगे. राजनाथ सिंह के कार्यकाल में देश ने दो शब्द 'कड़ी निंदा' और 'मुंह तोड़ जवाब' ज़रूर सीख लिए हैं, क्योंकि हर विफलता पर हमें यही सुनने को मिलते हैं.
न भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा हुआ, न अवैध घुसपैठिए गए, न कश्मीर में कोई सुधार हुआ. यही सब बातें सोचकर तुलना की जाए तो योगी आदित्यनाथ का वर्तमान प्रदर्शन राजनाथ सिंह से कई गुना बेहतर है. राज्य की क़ानून व्यवस्था और देश की क़ानून व्यवस्था में फ़र्क होता है, परन्तु दोनों स्थिति में उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का दृढ़ संकल्प ही हार और जीत में फ़र्क पैदा करता है.
काश राजनाथ सिंह की जगह, योगी आदित्यनाथ होते भारत के गृह मंत्री. क्या पता 2019 में योगी आदित्यनाथ भारत के गृह मंत्री बन जाएं?
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