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Updated: 10 मई, 2016 02:54 PM
चंद्र प्रकाश
चंद्र प्रकाश
  @chandraprakash25
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संसद में रोज-रोज हंगामे की खबरें सुनकर हो सकता है कि आपको लग रहा हो कि वहां कोई काम ही नहीं हो रहा. लेकिन सच में ऐसा नहीं है. अगर आप बजट सत्र में हो रही बहसों और पास किए गए बिलों की लिस्ट देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि शायद पिछले कई सत्रों के मुकाबले संसद में कहीं अधिक कामकाज हो रहा है. संसद और विधानसभाओं के कामकाज पर रिसर्च करने वाली एजेंसी पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक अब तक लोकसभा का प्रोडक्टिविटी लेवल 120 फीसदी और राज्यसभा का 100 फीसदी रहा है. 

हंगामा होता रहा, काम भी चलता रहा

बजट सत्र के पहले दो हफ्तों में लोकसभा ने कुल 6 बिल पास किए. इनमें फाइनेंस बिल और कंपनियों के दिवालिया होने पर अहम बिल शामिल हैं. बीते हफ्ते के आखिर तक राज्यसभा में 7 जरूरी बिल पास कर चुकी है. इसके अलावा स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा हुई. इस दौरान देश भर में सूखे पर भी सांसदों ने बहस की. हालांकि सबसे ज्यादा चर्चा में रहा अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले का मामला. इस पर भी दोनों सदनों में थोड़ी-बहुत नोकझोंक के बावजूद खुलकर बहस हुई.

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 रिसर्च के मुताबिक अब तक लोकसभा का प्रोडक्टिविटी लेवल 120 फीसदी और राज्यसभा का 100 फीसदी रहा है

कैसे हुआ यह चमत्कार?

पहली नज़र में संसद के चलने का बड़ा श्रेय सरकार को दिया जाता है. यह बात सही भी है क्योंकि इस बार सरकार ने लगभग सभी क्षेत्रीय दलों से सदन की कार्यवाही के बारे में अलग-अलग बात की. एआईएडीएमके, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों के नेताओं को समझाया गया कि अगर काम नहीं होगा तो इसका सारा क्रेडिट कांग्रेस का मिलेगा. छोटे दलों के सांसदों को अपनी बात कहने के लिए वैसे ही कम मौका मिलता है. कांग्रेस इसलिए नरम पड़ गई क्योंकि पिछले कई सत्रों में कामकाज न होने के लिए सारा दोष उसी के मत्थे आया है. इससे उसे देश में अपनी नकारात्मक इमेज बनने का डर था.

कई अहम बिल अब भी बाकी हैं

बजट सत्र का आखिरी हफ्ता चल रहा है और जीएसटी समेत कई कई जरूरी बिल अब भी राज्यसभा में लटके हुए हैं. कंपनियों के इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी पर भी कानून लोकसभा से पास होकर राज्यसभा में इंतजार कर रहा है. इससे बैंकों को बड़े कर्जदारों से वसूली में आसानी होगी. व्हिसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन और कंज्यूमर प्रोटेक्शन जैसे अहम बिल भी लटके हुए बिलों की लिस्ट में शामिल हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि 13 मई को आखिरी दिन तक ऐसे तमाम अहम बिलों का रास्ता भी साफ हो सकेगा.

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कैसे पता चलता है प्रोडक्टिविटी लेवल?

संसद में कितना कामकाज हो रहा है यह जानने के लिए उन घंटों की गिनती होती है, जिस दौरान कार्यवाही सामान्य ढंग से चली. इसमें सदन के कुल तय घंटों के आधार पर प्रतिशत निकालते हैं. प्रोडक्टिविटी लेवल 100 फीसदी से अधिक होने का मतलब है कि तय समय से अधिक काम हुआ.

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लेखक

चंद्र प्रकाश चंद्र प्रकाश @chandraprakash25

लेखक टीवी टुडे से जुड़े हैं.

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