मध्य प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस से पहले सर्वे आपस में भिड़े
चुनाव से पहले कई सारे ओपिनियन पोल आते हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भी ऐसे चार कयास लगा लिए गए हैं. इन सभी ओपिनियन पोल को देखें तो इनमें एक आपसी भिडंत सी दिखाई देती है.
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साल के अंत तक मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ये वो समय होगा जब जनता फैसला करेगी कि मध्य प्रदेश में कमल खिलेगा या सत्ता 15 साल बाद फिर कांग्रेस के हाथ में जाएगी. चुनाव से पहले कई सारे ओपिनियन पोल आते हैं. मध्य प्रदेश के मामले में भी ऐसे चार कयास लगाए गए हैं. इन सभी ओपिनियन पोल को देखें तो इनमें एक आपसी भिडंत सी दिखाई देती है. आपको बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 165 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 58 सीटों पर विजय हासिल की थी.
पिछले कुछ दिनों में 4 ओपिनियन पोल आए हैं. दिलचस्प ये है कि ABP का हाल ही में आया हुआ ओपिनियन पोल कांग्रेस की सत्ता में वापसी दिखा रहा है. जबकि दैनिक भास्कर भाजपा को विजेता बता रहा है. जिसके अनुसार अभी कांग्रेस जीत का मुंह नहीं देख पाएगी और सत्ता में आने के लिए उसे और भी अधिक मेहनत करने की जरूरत है. वहीं तमिलनाडु के स्पिक मीडिया नेटवर्क ने 27 जुलाई को एक सर्वे रिलीज किया है, जिसके अनुसार मध्य प्रदेश में अगर कांग्रेस और बसपा मिले तो भाजपा की नाक में दम कर सकते हैं. चलिए जानते हैं इन सर्वे के नतीजों को विस्तार से, और अंदाजा लगाने की कोशिश करते हैं किसी एक कॉमन बात का.
ओपिनियन पोल को देखें तो इनमें एक आपसी भिडंत सी दिखाई देती है.
ABP - C voter ने कांग्रेस को जिताया
मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इस सर्वे के अनुसार कांग्रेस को 117 सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा 106 सीटों तक सिमट कर रह जाएगी. वहीं दूसरी ओर, अन्य के हिस्से में भी 7 सीटें जाएंगी. 2005 से ही प्रदेश में भाजपा की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं, लेकिन इस सर्वे की मानें तो जल्द ही सत्ता भाजपा के पाले से निलकर कांग्रेस के हाथों में चली जाएगी. हालांकि, मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों की पहली पसंदा शिवराज सिंह चौहान (42 फीसदी) हैं. 30 फीसदी लोग चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री बनें, जबकि 7 फीसदी लोग कमलनाथ को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं.
दैनिक भास्कर सर्वे: शिवराज को 51% समर्थन
मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर दैनिक भास्कर ने जो सर्वे किया है, उसमें किसी की हार-जीत से अधिक इस बात को प्राथमिकता दी गई है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. सर्वे में 51 फीसदी लोगों की पहली पसंद शिवराज सिंह चौहान हैं, जबकि 34 फीसदी लोग चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री बनें. सर्वे के अनुसार भाजपा को 58 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है, जबकि कांग्रेस को 42 फीसदी वोट मिल सकते हैं. इस सर्वे में यह साफ नहीं है कि किसे कितनी सीटें मिल सकती हैं, लेकिन अगर वोट शेयर को जीत का आधार समझें तो बेशक भाजपा को फायदा होगा. हालांकि, सर्वे में यह जरूर बताया गया है कि सत्ता में आने के लिए कांग्रेस को मालवा-निमाड़, मध्यभारत और ग्वालियर-चंबल में खासी मेहनत करनी होगी, वरना हो सकता है कि इस बार भी बाजी भाजपा के पाले में चली जाए.
भाजपा को नहीं, कांग्रेस टेंशन देने वाला सर्वे
तमिलनाडु के स्पिक मीडिया नेटवर्क ने जो ओपिनियन पोल किया है, उसे कांग्रेस के अखबार नेश्ानल हेराल्ड ने प्रमुखता से छापा. जिसकी हेडलाइन थी- 'कांग्रेस-बसपा गठबंधन भाजपा को तनाव दे सकता है'. हालांकि, इसमें भी दोनों परिस्थितियों में भाजपा ही जीतती हुई दिख रही है. सर्वे के अनुसार अगर भाजपा, कांग्रेस और बसपा अकेले-अकेले चुनाव लड़ते हैं तो इन्हें क्रमशः 147, 73 और 9 सीटें मिलेंगी. लेकिन कांग्रेस बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो दोनों पार्टियां मिलकर 103 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल करेगी. जबकि इस सूरत में भाजपा को 126 सीटें मिलेंगी. हालांकि, भाजपा के लिए इतनी सीटें भी उसे निर्णायक बहुमत दिला देंगी.
अगर कांग्रेस और बसपा एक साथ मिल जाएं तो भाजपा को टेंशन दे सकते हैं.
जैसे ही कोई ओपिनियन पोल आता है, वैसे ही लोग एक अंदाजा लगाना शुरू कर देते हैं कि किस पार्टी को कितने वोट मिल सकते हैं और कौन जीत सकती है. इस बार के ओपिनियन पोल तो आपस में ही भिड़ते नजर आ रहे हैं, जिनसे यह अंदाजा लगा पाना वाकई मुश्किल है कि मध्य प्रदेश में कौन जीतेगा. हां इतना जरूर कहा जा सकता है कि भाजपा मध्य प्रदेश में मजबूती से खड़ी दिख रही है. कांग्रेस ने भी इस बार समय रहते अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. भाजपा के लिए एंटी-इनकंबेंसी एक चुनौती है, तो कांग्रेस की कमजोरी उनके नेताओं के बीच सामंजस्य की कमी. दोनों ही पार्टियों के लिए परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं. मुकाबला जितना दिलचस्प है, उतने ही ओपिनियन पोल के नतीजे. इसलिए इन पोल के जरिए कोई एक राय कायम करना अभी जल्दबाजी है. इस बार के चुनावों में ये देखना दिलचस्प होगा कि मध्य प्रदेश में 15 वर्षों से काबिज भाजपा अपनी सत्ता बचा पाती है या फिर राहुल गांधी के नेतृत्व को जीत का तोहफा मिलता है.
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