5 बाबाओं को राज्यमंत्री बनाने के पीछे शिवराज सिंह की रणनीति भी देखिए...
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राज्य के 5 बाबाओं को राज्यमंत्री बनाए जाने के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि भविष्य में इन बाबाओं के बल पर शिवराज अपनी ही ब्रांडिंग करने वाले हैं.
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भारत की राजनीति जटिल है. माना जाता है कि भारत में रहकर राजनीति में लम्बी पारी वही राजनेता खेल सकता है जिसमें साम, दाम, दंड, भेद एक करने का गुण हों. यूं तो देश में भांति भाती के नेता हैं और इन सभी नेताओं की अपनी खासियतें हैं. मगर जब बात राजनीति में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आती है तो उनका किसी से मुकाबला नहीं है. अक्सर ही अपने आलोचकों की जुबान पर रहने वाले शिवराज इस देश के उन चुनिन्दा नेताओं में से एक हैं जो बारीक से बारीक मौके को भुनाना और उसके दम पर राजनीती करना जानते हैं.
मध्य प्रदेश में बाबाओं को राज्यमंत्री बनाकर शिवराज मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं
हमेशा ही कुछ अलग करने के लिए मशहूर एमपी के सीएम एक बार फिर आलोचना का शिकार हुए हैं. इस बार शिवराज के चर्चा में आने का कारण उनका राज्य के पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देना है. आपको बताते चलें कि जिन बाबाओं को शिवराज ने राज्यमंत्री बनाया है उनमें नर्मदानंद जी, हरिहरा नंद जी, कंप्यूटर बाबा, योगेन्द्र महंत जी और ग्रहस्थ संत भययूजी महाराज हैं. ये सभी बाबा नर्मदा बेल्ट में बेहद लोकप्रिय हैं और इन्हें स्थानीय लोगों द्वारा पूजा जाता है. इन बाबाओं की सबसे दिलचस्प बात ये है कि अपार जनाधार होने के कारण ये पांचों बाबा पूरे मध्य प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करते हैं.
बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह ने ये मूव बहुत ही सोच समझकर लिया है और इसका फायदा उन्हें चुनावों में मिलेगा. कह सकते हैं कि शिवराज इन बाबाओं के कंधे पर बन्दूक रखकर सफलता के गुब्बारों को फोड़ना चाह रहे हैं. सीएम शिवराज के करीबियों का मानना है कि निकट भविष्य में शिवराज इन बाबाओं का इस्तेमाल विधानसभा चुनावों में अपनी ब्रांडिंग के लिए अवश्य करेंगे.
गौरतलब है कि आनन फानन में राज्य सरकार द्वारा नर्मदा नदी के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है. यह समिति नर्मदा नदी के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाएगी. आपको बताते चलें कि राज्य सरकार के एक आदेश के मुताबिक प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों विशेषत: नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में पर्यावरण की दृष्टि से वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता को ध्यान में रखकर विशेष समिति का गठन किया गया है. आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इस समिति के 5 विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. राज्य सरकार के मुताबिक उसने इस काम के लिए इन साधुओं को सिर्फ इसलिए चुना है क्योंकि पर्यावरण के रखरखाव के लिए इनका सामजिक किसी और के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
नर्मदा की साफ सफाई को हमेशा ही एमपी में एक बड़ा मुद्दा माना गया है
शिवराज सिंह कुछ करें और उस पर आलोचना या प्रतिक्रिया न आए ऐसा हो नहीं सकता. सीएम शिवराज के इस कृत्य के बाद विपक्ष ने उनकी घेराबंदी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने शिवराज के इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इस विषय पर अपना तर्क प्रस्तुर करते हुए कहा कि ऐसे ढोंग करके शिवराज सिंह चौहान अपने पापों को धोने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनावी साल के मद्देनजर साधु-संतों को लुभाने की कोशिश नाकाम होने वाली है.
तो क्या इन बाबाओं के जरिये शिवराज ने "नर्मदा घोटाला रथ यात्रा" की रद्द
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह के किसी मूव को समझना एक आम आदमी के लिए आसान नहीं है. चुनावी साल में जिन पांच लोगों को नर्मदा नदी की रक्षा के लिये राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजा गया है, उनमें शामिल संत कंप्यूटर बाबा समेत दो लोगों ने सूबे की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रस्तावित "नर्मदा घोटाला रथ यात्रा"रद्द कर दी है. इन लोगों ने राज्य सरकार पर सीधे सवाल उठाते हुए एक अप्रैल से "नर्मदा घोटाला रथ यात्रा" निकालने की घोषणा की थी, लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद दोनों ने यह यात्रा रद्द कर दी गई.
आइये जानें कौन हैं ये पांच संत जिनके कंधे पर बंदूक रख शिवराज सिंह ने एक बड़ा दाव खेला है और चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के माथे पर चिंता के बल ला दिए हैं.
कंप्यूटर बाबा के बारे में मशहूर है कि इनका मध्य प्रदेश में अच्छा जनाधार है
कंप्यूटर बाबा
इंदौर के दिगंबर अखाड़े से संबंध रखने वाले 53 वर्षीय कंप्यूटर बाबा का असली नामदेव त्यागी है. त्यागी का है कि उनका दिमाग कंप्यूटर जैसा है और उनकी चीजों को याद रखने की क्षमता बेमिसाल है. इसलिए उन्हें कंप्यूटर बाबा के नाम से जाना जाता है. हमेशा ही लैपटॉप लेकर घूमने वाले और सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय कंप्यूटर बाबा के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन्होंने शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने की घोषणा की थी. कहा जा सकता है कि शिवराज ने कंप्यूटर बाबा को राज्य मंत्री बनाकर सदा के लिए उनका मुंह बंद कर दिया है.
नर्मदानंद महाराज
नर्मदा की सफाई के लिए प्रयासरत नर्मदानंद महाराज नित्यानंद आश्रम के लिए जाने जाते हैं. ऐसे कई मौके आए हैं जब इन्हें नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में पौधारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के तहत काम करने के लिए सम्मानित किया गया है.
हरिहरनंद महाराज
शिवराज सिंह सरकार में ताजे-ताजे मत्री बने हरिहरनंद महाराज भी नर्मदा आंदोलन के पुराने आंदोलनकारी हैं. बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह ने इनसे सिर्फ इसलिए संपर्क साधा है क्योंकि यही कांग्रेस के वरिष्ठ दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा की काट है. माना जा रहा है कि यदि शिवराज ने इन्हें लुभा लिया तो उनकी कई मुश्किलें अपने आप ही आसन हो जाएंगी.
भय्यूजी महाराज भी मध्य प्रदेश में बेहद ताकतवर व्यक्ति माने जाते हैं
भय्यूजी महाराज
उदयसिंह देशमुख या भय्यूजी महाराज न सिर्फ एक संत है बल्कि इनका शुमार एमपी के उन चुनिन्दा लोगों में है जिनका जनाधार काफी मजबूत है. कह सकते हैं कि भय्यूजी महाराज, राजनीतिक रूप से बेहद ताकतवर व्यक्ति हैं. आपको बताते चलें कि भय्यूजी महाराज के पिता का शुमार महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता के रूप में होता है. बात अगर भय्यूजी महाराज की उपलब्धियों की हो तो इनका नाम पहली बार तब सुर्ख़ियों में आया जब भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे को मनाने के लिए यूपीए सरकार ने इनसे संपर्क किया था. भय्यूजी महाराज का शुमार अन्ना के विश्वासपात्रों में है.
पंडित योगेंद्र महंत
इंदौर निवासी पंडित योगेंद्र महंत भी मध्य प्रदेश के ऐसे आंदोलनकारी रहे हैं जो लम्बे समय से नर्मदा की स्वच्छता के लिए सक्रिय रहे हैं.
चूंकि मामला मीडिया में है तो इसी बीच खबर ये भी आ रही है कि नर्मदा नदी के संरक्षण और पौधारोपण को लेकर जनजागृति लाने के लिए बनी इस कमिटी के कुछ सदस्य राज्यमंत्री का पद दिए जाने से खुश नहीं हैं. लिहाजा वे सरकार से मिले इस दायित्व को ठुकरा भी सकते हैं. अब ये खबर कितनी झूठी या फिर सच्ची है ये तो आने वाला वक़्त बताएगा मगर इससे एक बात तो साफ है शिवराज ने एक बड़ा दाव खेला है जिसकी काट हाल फिल्हाल में विपक्ष के लिए काफी मुश्किल है.
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