मध्य प्रदेश और राजस्थान में कौन ज्यादा राष्ट्रवादी, फैसले का पैमाना क्या होगा?
देश में राष्ट्रवाद और उससे जुड़ी बहस पर मध्य प्रद्रेश और राजस्थान ने विराम लगा दिया है. अब इन दोनों ही राज्यों ने कसम खा ली है कि देश को राष्ट्रवादी बनाने की शुरुआत ये अपने यहां से करेंगे लेकिन ये नहीं पता कि इस दिशा में नंबर वन की कुर्सी किसे मिलेगी.
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भूख, बेरोजगार, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण ये सब बाद के मुद्दे हैं आज इस देश में सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्रवाद है. देश में राष्ट्रवाद से ही बात शुरू हो रही है और इसी पर खत्म भी हो रही है. केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर कसम खाई हुई है कि वो सबको राष्ट्रवादी बनाकर ही दम लेंगे. जो राष्ट्रवादी बन गए ठीक जो न बने उन्हें पाकिस्तान, चांद और मंगल पर भेज दिया जाएगा. यूं तो केंद्र सरकार पूरे सवा सौ करोड़ देशवासियों और तमाम भाइयों बहनों को राष्ट्रवादी बनाना चाहती है मगर राज्य बीजेपी शासित राज्य सरकारें उससे भी दो कदम आगे हैं. इन राज्य सरकारों में भी दो राज्य ऐसे हैं जिनमें होड़ रही हैं कि राष्ट्रवाद फैलाने के लिए नंबर वन की कुर्सी पर कौन बैठता है.
राष्ट्रवाद को लेकर इन दो राज्यों में युद्ध की स्थिति है. एक कुछ कहता है तो दूसरा उससे दो हाथ आगे निकल जाता है. अभी क्रम चल ही रहा होता है कि नया फरमान और फिर उसका कांउटर. शायद अब तक आप बात समझ गए हों जो न समझें तो आपको बता दें हम बात कर रहे हैं शिवराज सिंह चौहान शासित मध्य प्रदेश और वसुंधरा राजे सिंधिया शासित राजस्थान की हो सकता है कि इसके बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच थोड़ी जगह बच जाए तो वहां उस स्थान पर कश्मीर को रखा जा सकता है.
आज सरकार तमाम मूल ममुद्दों को भूल केवल देशभक्ति तक ही सीमित हो गयी है
चूंकि बात राष्ट्रवाद बनाम मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश है तो आइये कुछ खबरों पर नजर डालते हैं. ये खबरें ऐसी हैं कि इनको जान कर खुद-ब-खुद इस बात का एहसास हो जाएगा कि इन दो राज्यों ने तमाम मूल मुद्दों को भुला कर अपना सारा ध्यान "राष्ट्रवाद" की भावना पर लगा लिया है और यहां केवल इसी के प्रचार, प्रसार में सारा महकमा व्यस्त और आम जनता त्रस्त है.
पहली खबर मध्यप्रदेश से थी जहां अब भविष्य में हम बच्चों को स्कूल में अटेंडेंस के दौरान यस सर / मैडम, प्रेजेंट सर / मैडम कहते नहीं सुनेंगे. मध्यप्रदेश सरकार इसे जय हिन्द से रिप्लेस करने वाली है. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट को अगर सही मानें तो भोपाल स्थित शौर्य स्मारक पर एक कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के एनसीसी कैडेट्स को संबोधित करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री विजय शाह ने ये घोषणा की है. मंत्री जी का मत है कि एक सरकारी सर्कुलर के माध्यम से राज्य के 1.22 लाख स्कूल को बताया जाएगा कि अब उनके स्कूल मे अटेंडेंस के दौरान यस सर / मैडम, प्रेजेंट सर / मैडम की जगह जय हिन्द का उद्घोष किया जाए. ध्यान रहे कि गत अक्टूबर राज्य के ही सतना में मंत्री जी स्कूलों में जय हिंद की शुरुआत करा चुके हैं.
मध्यप्रदेश सरकार का देशभक्ति पर किया गया ये फैसला किसी को भी हैरत में डालने के लिए काफी है
अब रुख करते हैं दूसरी खबर का. दूसरी खबर राजस्थान से है जहां नागरिकों खासतौर से स्कूली बच्चों में राष्ट्रवाद के संचार के लिए अपनी तरह का अनोखा फरमान सुनाया गया है. राजस्थान सरकार ने स्कूल के छात्रों में राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना 'जगाने' के लिए हॉस्टलों में राष्ट्रगान को अनिवार्य कर दिया है. बताया जा रहा है कि राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने ओबीसी, एससी तथा एसटी के सभी 789 हॉस्टलों को राष्ट्रगान गाने का निर्देश जारी किया है. निर्देश के अनुसार सभी हॉस्टलों में सुबह 7 बजे राष्ट्रगान अनिवार्य होगा.
बताया जा रहा है कि जल्द ही राज्य के सभी आवासीय स्कूलों में सरकारी अध्यादेश के माध्यम से राष्ट्रगान को अनिवार्य किया जाएगा, साथ ही यह परंपरा हॉस्टलों में भी फॉलो की जाएगी. राजस्थान के शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव समित शर्मा के अनुसार,' हॉस्टलों में रहने वाले बच्चे हर सुबह प्रार्थना के लिए तो एकत्र होते हैं. स्टाफ की कमी की वजह से राष्ट्रगान गाने के निर्देश का पालन नहीं हो पा रहा था. यह निर्देश इसलिए जारी किया गया है कि राष्ट्रगान को नियमित तौर पर गाया जाए. 'आपको बताते चलें कि विभाग के अंतर्गत करीब 800 हॉस्टल हैं, जिनमें 40 हजार स्टूडेंट्स पढ़ते हैं.
राजस्थान की सरकार ने बता दिया है कि देशभक्ति को लेकर हम किसी से कम नहीं हैं
खैर बात जब देशभक्ति की चल ही रही है तो फिर जाते जाते आपको कश्मीर की भी एक घटना से अवगत करा दें. कश्मीर में राष्ट्रवाद को लेकर फारूख अबदुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को चैलेंज करते हुए कहा है कि यदि केंद्र सरकार में हिम्मत है तो वो श्रीनगर में तिरंगा फहराकर दिखा दे. बताया जा रहा है कि यह बात अबदुल्ला ने कठुआ में एक आधिकारिक दौरे के दौरान कही.
अपने बयान के बाद फारूक अब्दुल्ला विपक्ष के अलावा जनता की भी आलोचना सह रहे हैं
हालांकि अपने द्वारा दिए गए बयान पर अब्दुल्ला कि खूब किरकिरी भी हो रही है और उनके बयान पर बवाल मच गया है. रविवार को अबदुल्ला के कठुआ पहुंचते ही भारी संख्या में पहुंचे लोगों ने उनका जमकर विरोध किया और उनके खिलाफ काले झंडे भी फहराए. अबदुल्ला के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए वहां मौजूद लोगों ने हिन्दुस्तान जिंदाबाद, भारत माता की जय के नारे लगाना शुरु कर दिया.
बहरहाल इन बातों से कई बातें खुद ब खुद साफ हो जाती हैं जो ये बताने के लिए पर्याप्त हैं कि अब इस देश में एक सोची समझी रणनीति के तहत मूल और जरूरी मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है और लगातार राष्ट्रवाद से सम्बंधित बयान देकर ये बताया जा रहा है कि अब इस देश के नेता भी इस बात से भली प्रकार परिचित हैं कि वो मदारी बन हाथ में राष्ट्रवाद का डमरू पकड़ भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में रहने वाली जनता को आसानी से नचा सकते हैं और बेचारी जनता भी चुपचाप इस नाच का आनंद लेगी.
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