मालगाड़ी से कटे मजदूरों पर से अब बयानबाजी गुजर रही है!
मध्य प्रदेश (Madhya Pardesh ) में अपने घरों तक पहुंचने के लिए पैदल जाने वाले प्रवासी मजदूर (Migrants Workers) एक मालगाड़ी की चपेट में आ गए हैं. 16 मजदूरों की मौत के बाद राजनीति की शुरुआत हो गयी है जो की इन मौतों से कहीं ज्यादा दुखद है.
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एक ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते हुए लॉकडाउन (Lockdown) के मद्देनजर देश की एक बड़ी आबादी अपने घरों में रहने को बाध्य हो, और बाहर न निकल पाने के कारण बोरियत का सामना कर रही हो. देश में ऐसे लोग भी हैं जो रोजगार के संकट का सामना कर रहे हैं. ये लोग भूख के आगे बेबस हैं और पलायन (Migration ) करने पर मजबूर हैं. इन्हें हमारा समाज मजदूर (Workers ) कहता है. ये मजदूर रोटी और घर की चाह में अपनी जान की परवाह किये बगैर मीलों पैदल चल रहे हैं. मगर हर बार भाग्य इनपर मेहरबान हो और ये सही सलामत अपने घर पहुंच जाएं ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है. इस कथन को समझने के लिए हम महाराष्ट्र के औरंगाबाद (Aurangabad Train Accident) का रुख कर सकते हैं. औरंगाबाद चर्चा में है. यहां ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिसको सुनकर सख्त से सख्त जान सकते में आ जाए. औरंगाबाद से मध्य प्रदेश के लिए निकले 21 में से 16 मजदूरों की मौत उस वक़्त हुई जब ये लोग रेल की पटरी पर सो रहे थे. मजदूरों को एक मालगाड़ी ने रौंद दिया है.
औरंगाबाद में 16 मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद राजनीति की शुरुआत हो गयी है
औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन के पास हुए इस हादसे ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है. घटना पर आरोप प्रत्यारोप, राजनीति और बयानबाजी शुरू हो गयी है. मामले पर तमाम तरह के तर्क दिए जा रहे हैं.इन तर्कों को देखकर इतना तो साफ हो ही जाता है कि 16 मजदूरों की किसी को परवाह नहीं है. हर आदमी का अपना एजेंडा है और वो इस घटना को अपने एजेंडा की कसौटी पर खरा उतारने के लिए फिक्रमंद है.
At around 5:15 am, unfortunately a freight train ran over some people which lead to the death of 16 labourers. We are looking in to the matter: Mokshada Patil, SP Aurangabad #Maharashtra pic.twitter.com/GJaavisRv4
— ANI (@ANI) May 8, 2020
घटना को लेकर पीएम मोदी ने अपना दुख व्यक्त किया है वहीं रेल मंत्री ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
बता दें कि मरने वाले सभी मजदूर मध्य प्रदेश के हैं जो कि औरंगाबाद में रहकर मजदूरी कर रहे थे. लॉक डाउन हुआ तो इनके सामने रोजगार का संकट आ गया और रोटी के लाले पड़ गए. कहीं से कोई मदद न मिलने के बाद इन्होंने पैदल ही अपने घर जाने का फैसला किया और इसके लिए इन्होंने रेल की पटरी का सहारा लिया. बताया जा रहा है कि जिस समय ये घटना हुई ये लोग पटरी पर लेटे थे और थकान के कारण इन्हें नींद आ गयी थी. घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं और जांच में जुट गए हैं.
Just out of my curiosity,How come everyone was sleeping on the same track where train arrived ??How come all of them were unable to recognise huge noise usually made by trains??Is it as simple as it looks ??Why there shouldn't be any enquiry??#Aurangabad
— ????????????????????????Shakti???????????????????????? (@i_m_shak) May 8, 2020
वहीं मामले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपना दुख प्रकट किया है और मृतक मजदूरों के परिवार वालों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने रेल मंत्री से बात कर घायलों की सहायता करने को कहा है.
औरंगाबाद में हुए रेल हादसे से हृदय पर ऐसा कुठाराघात हुआ है की मैं उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता! संवेदना से मन भर जाता है...मैंने रेल मंत्री श्री @PiyushGoyal जी से बात की है और उनसे त्वरित जाँच और उचित व्यवस्था की माँग की है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 8, 2020
मामला प्रकाश में आने के बाद रेलवे की ओर से बयान जारी किया गया है. दक्षिण सेंट्रल रेलवे के पीआरओ का कहना है कि औरंगाबाद में कर्माड के पास एक हादसा हुआ है, जहां मालगाड़ी का एक खाली डब्बा कुछ लोगों के ऊपर चल गया है. आरपीएफ और स्थानीय पुलिस मौके पर मौजूद है.
भारतीय रेलवे की ओर से इस हादसे को लेकर जो बयान जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि औरंगाबाद से कई मजदूर पैदल सफर कर आ रहे थे, कुछ किलोमीटर चलने के बाद ये लोग ट्रैक पर आराम करने के लिए रुके, उस वक्त मालगाड़ी आई और उसकी चपेट में कुछ मजदूर आ गए.
"Extremely Anguished":PM On Death Of Migrants Hit By Train In MaharashtraDirect result of your brutal lockdown, forcing these destitute migrants to walk back home. You didn't provide any money,charged them fares which they didn't have. Now Crocodile tears https://t.co/8OcbBz6fv1
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) May 8, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी औरंगाबाद में हुए रेल हादसे पर दुख व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि औरंगाबाद में हुए रेल हादसे में जिनकी जान गई है, उससे काफी दुख पहुंचा है. पीएम मोदी ने इस हादसे के बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है और हालात का जायजा लेने को कहा है
Extremely anguished by the loss of lives due to the rail accident in Aurangabad, Maharashtra. Have spoken to Railway Minister Shri Piyush Goyal and he is closely monitoring the situation. All possible assistance required is being provided.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 8, 2020
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉक डाउन की सबसे बुरी मार उन मजदूरों पर पड़ी है जो अपने राज्य से दूर किसी दूसरे राज्य में हैं और फंस गए हैं. पूर्व में भी हम ऐसी तमाम तस्वीरें देख चुके हैं जब हमने हज़ारों की संख्या में पैदल ही मजदूरों को अपने अपने परिवारों के साथ अपने अपने घरों की तरफ जाते देखा है. साथ ही हम उन तस्वीरों को भी देख चुके हैं जिनमे सैकड़ों मजदूर रात बिताने के लिए रेलवे ट्रैक का सहारा लेते नजर आए.
मालगाड़ी से कुचले जाने से मजदूर भाई-बहनों के मारे जाने की ख़बर से स्तब्ध हूं। हमें अपने राष्ट्र निर्माणकर्ताओं के साथ किये जा रहे व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए। मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 8, 2020
ध्यान रहे कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने इस बात की इजाजत दे दी है कि मजदूरों को उनके राज्य वापस भेजा जाए.जिसके बाद राज्य सरकारों ने बसों की व्यवस्था कर अपने मजदूरों को बुलाया. इसके अलावा रेलवे की ओर से स्पेशल श्रमिक ट्रेन भी चलाई गई हैं, जो मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचा रही है.
Migrant workers have been left to die. This is complete abdication of responsibility by the govt of India. Never in our history has one seen such an insensitive govt. People will never forgive it for such callousness.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) May 8, 2020
बहरहाल जिस तरह ये मामला हमारे सामने आया है और जैसे इसपर राजनीति की शुरुआत हुई है साफ पता चल रहा है कि सत्ताधारी दल से लेकर विपक्ष तक किसी को मजदूरों की परवाह नहीं है और अब जो हो रहा है उसमें एक पक्ष अपनी कुर्सी बचा रहा है तो वहीं दूसरा पक्ष अपनी कुर्सी चमका रहा है.
सुनते हैं जांच होगी। किसकी?उस "लापरवाह" ड्राइवर की, जिसने ट्रेन रोकने की कोशिश की?उन "अनुशासनहीन" लोगों की, जो थक कर ट्रैक पर सो गए थे?इन रोटियों की, जिनके चक्कर में वो घर से चले थे?या उन कुर्सियों की, जिन्होंने रेल पर सवार होने वालों को रेल के नीचे धकेल दिया?#Aurangabad pic.twitter.com/8uAmIrvSow
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 8, 2020
मगर हमारी सरकारों को याद रखना चाहिए कि मजदूर हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं आज जैसे हम इन्हें खारिज कर रहे हैं हो सकता है कल हमें इसकी लंबी कीमत चुकानी पड़े और शायद तक हमारे पास सहेज कर रखने को कुछ न बचे.ये भी पढ़ें -
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