उद्धव सरकार पर हाथ डालने से पहले बीजेपी घर का झगड़ा तो सुलझा ले
बीजेपी महाराष्ट्र में जब तक घर का झगड़ा सुलझा नहीं लेती, उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Government) खतरे से बाहर ही रहेगी. शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) और देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के विरोधाभासी बयानों ने घर का झगड़ा सड़क पर ला दिया है.
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उद्धव ठाकरे की सरकार (Uddhav Thackeray Government) गिराने की चुनौती पर बीजेपी की तरफ से रिस्पॉन्स तो आ गया है - लेकिन उसमें जो बात सामने आयी है, ऐसा लगता है जैसे बीजेपी का झगड़ा सबके सामने आ गया हो. उद्धव ठाकरे ने ये चैलेंज शिवसेना के ही मुखपत्र सामना के साथ एक इंटरव्यू में दिया था. उद्धव ठाकरे का इशारा तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की तरफ रहा, लेकिन रिस्पॉन्स आया है महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) की तरफ से.
उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद से अपनी गठबंधन सरकार के लिए खतरा भले ही टाल दिया हो, लेकिन ऐसा पूरे कार्यकाल के लिए तो हरगिज नहीं है. बीजेपी किसी शिकारी की तरह मौके की ताक में है और जैसे ही उसे यकीन हो जाएगा कि वार खाली नहीं जाने वाला, निश्चित तौर पर धावा बोल देगी. मगर, महाराष्ट्र बीजेपी का झगड़ा ही उद्धव ठाकरे के लिए संजीवनी का काम कर रहा है, देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल के विरोधाभासी बयानों को सुन कर तो यही लगता है!
बीजेपी के झगड़े में उद्धव का फायदा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ये कहना अपनी जगह सही भी हो सकता है कि बीजेपी को उद्धव ठाकरे सरकार गिराने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है, वो तो आपसी विसंगतियों के चलते अपनेआप ही गिर जाएगी.
अब तो लगता है बीजेपी के अंदरूनी झगड़े के चलते उद्धव सरकार गिरते गिरते भी बच जाएगी - क्योंकि बीजेपी पहले घर का झगड़ा सुलझा पाएगी तभी तो राजनीतिक विरोधियों से मुकाबले के लायक हो सकेगी.
हाल ही में खबर आयी थी कि महाराष्ट्र से देवेंद्र फडणवीस के विरोधियों को दिल्ली भेजने की तैयारी चल रही है. पंकजा मुंडे, विनोद तावड़े और आशीष शेलार - ये तीन ऐसे नेता हैं जिनसे देवेंद्र फडणवीस की कभी पटरी नहीं खाती और जब भी मौका मिलता है ये सभी देवेंद्र फडणवीस के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं. माना जा रहा है कि इन नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी देकर देवेंद्र फडणवीस की राह आसान बनाने की कोशिश हो रही है. पंकजा मुंडे विधानसभा चुनाव हार गयी थीं, जबकि विनोद तावड़े को टिकट ही नहीं दिया गया था.
लॉकडाउन के बाद जब महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव हुआ तब भी पंकजा मुंडे को टिकट नहीं मिला, जबकि उनको इंतजार रहा कि एक सदन का रास्ता रुका तो पार्टी दूसरे सदन में जरूर जगह दे देगी. देवेंद्र फडणवीस के साथ प्रतिस्पर्धा का नतीजा रहा कि पंकजा के हाथ सिर्फ निराशा लगी. पंकजा मुंडे लंबे अरसे से देवेंद्र फडणवीस के लिए मुश्किलें खड़ी करती रही हैं. पिछले साल देवेंद्र फडणवीस अभी उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बन जाने के सदमे से उबर भी नहीं पाये थे कि पंकजा मुंडे ने बगावती रूख अख्तियार कर लिया था - बीड में अपने पिता की याद में एक रैली कर शक्ति प्रदर्शन किया था. खास बात ये रही कि महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी रैली में शामिल हुए. महाराष्ट्र बीजेपी के सीनियर नेता एकनाथ खड़से तो रैली के आयोजन में आगे आगे ही चल रहे थे. दरअसल, पंकजा मुंडे की शिकायत रही है कि बीजेपी के नेताओं ने ही उनको चुनाव हरा दिया. पंकजा की तरह एकनाथ खड़से की बेटी भी विधानसभा चुनाव हार गयी थीं और उनकी भी वही शिकायत रही. हार को लेकर दोनों के ही निशाने पर देवेंद्र फडणवीस रहे हैं.
उद्धव ठाकरे तब तक फायदे में रहेंगे जब तक बीजेपी का झगड़ा खत्म नहीं हो जाता
अब चंद्रकांत पाटिल के एक बयान से महाराष्ट्र बीजेपी के अंदर का मतभेद सामने आ गया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने बूते महाराष्ट्र सरकार बनाने की तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया था. जेपी नड्डा का कहना रहा कि अब बीजेपी को किसी बैसाखी की जरूरत नहीं होनी चाहिये और चुनाव में भी उसे अपने बल पर मैदान में उतरने की तैयारी करनी है.
जेपी नड्डा की एक बात को तो चंद्रकांत पाटिल दोहरा रहे हैं, लेकिन सरकार बनाने को लेकर ऐसी बात कह डाली है कि देवेंद्र फडणवीस को आगे आकर उसे खारिज करनी पड़ रही है. चंद्रकांत पाटिल ये तो कह रहे हैं कि बीजेपी भविष्य में शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन उनका कहना है कि बीजेपी शिवसेना के सरकार बनाने के लिए हाथ मिला सकती है. चंद्रकांत पाटिल की बात को कोई और नहीं बल्कि देवेंद्र फडणवीस ही खारिज कर रहे हैं.
देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है. देवेंद्र फडणवीस साफ तौर पर कह रहे हैं कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए किसी तरह की कोई बात नहीं चल रही है - न तो ऐसा कोई प्रस्ताव आया है और न ही गया ही है. चंद्रकांत पाटिल की बातों को खारिज करने के क्रम में अपनी दलील को मजबूती देने की कोशिश में देवेंद्र फडणवीस समझा रहे हैं कि चंद्रकांत पाटिल ने जो बात कही है वो एक सवाल का जवाब भर है.
न गठबंधन होगा, न CM पर समझौता
महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने की बात कही तो है, लेकिन उसमें एक बड़ा सा पेंच भी फंसा दिया है - मुख्यमंत्री तो बीजेपी का ही होगा. ये वही पेंच है जिसकी वजह से बरसों पुराना बीजेपी-शिवसेना गठबंधन पिछले साल टूट गया. बीजेपी मुख्यमंत्री पद पर समझौते को लेकर अड़ी हुई थी और शिवसेना उसमें कम से कम आधा हिस्सा मिले बिना तैयार न थी. उद्धव ठाकरे चाहते थे कि शिवसेना और बीजेपी दोनों के मुख्यमंत्री आधे आधे कार्यकाल रहें.
चंद्रकांत पाटिल ये भी समझा रहे हैं कि बीजेपी महाराष्ट्र में ऐसा क्यों नहीं करना चाहेगी. चंद्रकांत पाटिल के मुताबिक बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री का पद किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ शेयर नहीं करेगी क्योंकि ऐसा हुआ तौ बीजेपी को बिहार और हरियाणा में भी ऐसा ही करना होगा.
चंद्रकांत पाटिल कहते हैं, 'पिछले पांच साल शिवसेना के साथ हम काफी उदार रहे... यहां तक कि 2019 विधानसभा चुनाव के बाद हम पार्टी के साथ और मंत्री पद साझा करने को तैयार थे, लेकिन राष्ट्रीय दल होने के नाते बीजेपी किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ मुख्यमंत्री पद नहीं बांट सकती.’
हरियाणा की बात तो ठीक है, लेकिन चंद्रकांत पाटिल ने बिहार का नाम कैसे ले लिया समझना मुश्किल हो रहा है. हरियाणा में बीजेपी के मनोहरलाल खट्टर मुख्यमंत्री हैं जबकि जेजेपी के दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम हैं. हरियाणा की तरह ही बीजेपी की जेडीयू के साथ बिहार में गठबंधन की सरकार है, लेकिन वहां बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं बल्कि डिप्टी सीएम हैं सुशील कुमार मोदी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं और अगले चुनाव के लिए भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है.
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