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Updated: 27 नवम्बर, 2019 06:18 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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मोदी.. मोदी.. मोदी.. ये वो नारे हैं जो आपको अक्सर पीएम मोदी (Narendra Modi) की सभाओं में सुनने को मिल जाएंगे. नरेंद्र मोदी की छवि ही ऐसी है, एक मसीहा जैसी, एक ऐसे नेता जैसी जो सिर्फ जीतता है, जो अजेय है, कभी हारता नहीं. 2014 में जब मोदी लहर उठी और प्रचंड बहुमत के साथ पीएम मोदी जीते, तो हर किसी को यकीन हो गया कि अब पीएम मोदी को हराना मुमकिन नहीं. उनके नेतृत्व में धीरे-धीरे भाजपा (BJP) ने तेजी से पैर पसारे और पूरे देश में अधिकतर जगहों पर भाजपा की सरकार बन गई. 2019 में जब लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) हुए तो पीएम मोदी और भी अधिक वोटों से जीते. कहा जाने लगा कि 2014 में तो मोदी लहर थी, लेकिन 2019 में मोदी की सुनामी है. साक्षी महाराज ने तो यहां तक बोल दिया कि ये आखिरी लोकसभा चुनाव था अब 2024 में चुनाव ही नहीं होगा, मोदी हमेशा रहेंगे. खैर, भले ही पीएम मोदी की ताकत हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रही हो, लेकिन भाजपा की ताकत नहीं बढ़ रही. ये 2014 से 2018 तक तो लगातार बढ़ी, लेकिन अब घट गई है. 2014 में भाजपा देश के 71 फीसदी नक्शे पर कब्जा जमाए थी, लेकिन अब वह सिमट कर महज 40 फीसदी इलाकों तक जा पहुंची है.

4 सालों में तीन गुना बढ़ा भाजपा का कद

2014 में भाजपा की सरकार सिर्फ 7 राज्यों में थी. मोदी लहर के चलते भाजपा एक के बाद एक राज्य जीतती गई. 2015 में वह 13 राज्यों तक पहुंची, 2016 में वह 15 राज्यों तक पहुंची, 2017 में 19 राज्यों तक भगवा फैलाया और 2018 के मध्य तक भाजपा 21 राज्यों में अपना परचम लहराने में सफल हो गई. 2014 में भारत के नक्शे पर भाजपा ऐसी दिखती थी, जैसे किसी नीले और ग्रे रंग के कपड़े पर कुछ भगवा डिजाइन बनाया हो. 2018 तक भाजपा ने वो मुकाम हासिल कर लिया कि भारत का नक्शा भगवा रंग के कपड़े पर नीले और ग्रे रंग के डिजाइन सा दिखने लगा. अब तक कांग्रेस महज 3 राज्यों तक सिमट कर रह गई थी. ये बातें होने लगीं कि आने वाले कुछ सालों में पूरे नक्शा भगवा हो जाएगा और देश कांग्रेस मुक्त हो जाएगा.

BJP hues shrink on mp of India2014 में भाजपा 7 राज्यों में थी, 2018 तक वह 21 राज्यों में पहुंच गई.

2018 में रुक गया विजय रथ

2018 तक जीत के झंडे गाड़ती आ रही भाजपा का विजयरथ आखिरकार रुक गया. लगातार जीत का जश्न मनाने वाली भाजपा को अब हार का मुंह देखना था. इसकी शुरुआत हुई राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार से. दिसंबर 2018 तक ही भारत के नक्शे पर भगवा कम और नीला-ग्रे रंग अधिक दिखने लगा. तब तक कांग्रेस 5 राज्यों में अपनी सरकार बना चुकी थी और भाजपा 4 राज्य हारकर 17 राज्यों तक आ गई थी. राज्य भले ही भाजपा के पास अधिक हैं, लेकिन छोटे-छोटे हैं, जिसकी वजह से महज 5 राज्यों में सरकार होने के बावजूद भारत के नक्शे पर कांग्रेस काफी उभर कर दिखने लगी.

BJP hues shrink on mp of Indiaमध्य अगस्त 2018 तक जो भाजपा 21 राज्यों में थी, दिसंबर 2018 तक वह 5 राज्य खोकर 17 राज्यों में बची.

71% से फिसलकर 40% पर पहुंची BJP

अब अगर नवंबर 2019 की बात करें तो मंगलवार को महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार गिरने के बाद अब भाजपा भारत के नक्शे पर फिर से कुछ वैसी ही दिखने लगी है, जैसी 2014 में दिखती थी. अगर नक्शे को देखें तो भाजपा दिसंबर 2017 के 71 फीसदी से घटते-घटते अब 40 फीसदी पर आ गई है.

BJP hues shrink on mp of India2017-18 में भाजपा भारत के 71 फीसदी इलाके पर छा गई थी, लेकिन नवंबर 2019 तक वह फिसलकर 40 फीसदी पर पहुंच गई है.

सोशल मीडिया पर भी चल पड़ी है बहस

भाजपा का विजयरथ लगातार आगे बढ़ता रहा, लेकिन अब वह रुक सा गया है. इस पर सोशल मीडिया पर भी बहस शुरू हो गई है. सवाल उठ रहे हैं कि तूफानी तरीके से जीतती आ रही भाजपा मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक (बाद में सरकार बना ली) और अब महाराष्ट्र में कैसे हारी? हरियाणा भी हाथ से जाते-जाते तमाम गुणा-भाग कर के बचा है. आखिर क्या वजह है कि भाजपा इन राज्यों में हार रही है? महाराष्ट्र पर कुछ लोग मानते हैं कि यहां भाजपा हारी नहीं, बल्कि जीती, लेकिन शिवसेना ने उसे धोखा दिया. बाकी जगहों को लेकर कुछ लोग मानते हैं कि वहां पर भाजपा इसलिए हारी, क्योंकि भाजपा ने मोदी के काम पर कुछ ज्यादा ही भरोसा किया और लापरवाही बरत दी.

BJP hues shrink on mp of Indiaसोशल मीडिया पर उन वजहों के कयास लगाए जाने लगे हैं, जिसके चलते भाजपा हारी है.

जैसा पीएम मोदी और भाजपा के बारे में सोचा जाता है, कुछ वैसा ही कभी इंदिरा गांधी और कांग्रेस को लेकर भी सोचा जाता था. लगता था कि कांग्रेस अब देश में अकेली पार्टी बचेगी, बाकी सब खत्म हो जाएंगी. लेकिन देखिए, 2018 तक कांग्रेस लगभग गायब सी हो गई और हर ओर सिर्फ भाजपा ही भाजपा हो गई थी. अब भाजपा भी धीरे-धीरे कम हो रही है और पूरे देश में पार्टियों का एक तरह का संतुलन सा बन गया है. देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में भाजपा का कब्जा बढ़ता है या फिर कांग्रेस फिर से उभरकर सामने आती है.

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