शराबबंदी और दहेजबंदी में फर्क है, बड़ी चुनौती है कानून का दुरुपयोग रोकना
साइड इफेक्ट सिर्फ दवाओं का ही नहीं होता. बिहार में शराबबंदी के मामले में भी कुछ कुछ ऐसा ही मालूम होता है. एक तरफ बिहार ड्राई स्टेट हो गया है तो दूसरी तरफ नशीले पदार्थों का सेवन धड़ल्ले से हो रहा है.
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शराबबंदी के बाद बिहार में अब दहेजबंदी लागू होने जा रही है. बिहार सरकार का ये अभियान 2 अक्टूबर से शुरू होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि इसके लिए नीति बनायी जा रही है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि शराबबंदी के बाद मानव श्रृंखला में चार करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया जिससे साबित होता है कि लोग पूर्ण नशाबंदी चाहते हैं.
आजतक के स्टिंग ऑपरेशन 'उड़ता बिहार' से पता चला कि शराबबंदी के बाद सूबे में नशे का कारोबार बढ़ गया - और लोग उसके शिकार होने लगे. एक सख्त दहेज विरोधी कानून देश में पहले से ही है और उसका सबसे ज्यादा दुरुपयोग देखा गया है. ऐसे में नीतीश के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि अपने एक्शन प्लान में इस चुनौती को कैसे हैंडल करते हैं.
जागरुकता जरूरी है
जैसा कि नीतीश कुमार ने संकेत दिया है, दहेजबंदी के साथ साथ बाल विवाह के खिलाफ भी सरकार मुहिम चलाएगी. निश्चित रूप से इन्हें लेकर लोगों को जागरूक करना जरूरी है.
दीपिका नारायण भारद्वाज की डॉक्यूमेंट्री ‘मार्टर्स ऑफ मैरिज’ दहेज विरोधी कानून के दुरुपयोग पर ही आधारित है. ये उन लोगों के दर्द की कहानी है जिन्हें दहेज के झूठे मामलों में फंसाया गया और वे बर्बाद हो गये. दीपिका याद दिलाती हैं कि किस तरह जुलाई 2014 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी. जो लोग झूठे मामलों के शिकार हुए हैं, दीपिका की सलाह है कि उन्हें एक बार ये डॉक्युमेंट्री जरूर देखनी चाहिये.
साइड इफेक्ट
साइड इफेक्ट सिर्फ दवाओं का ही नहीं होता. बिहार में शराबबंदी के मामले में भी कुछ कुछ ऐसा ही मालूम होता है. हाल ही में हुए इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया कि तस्करी से लाई जाने वाली शराब का बड़ा ब्लैक मार्केट बिहार में फल फूल रहा है. एक तरफ बिहार ड्राई स्टेट हो गया है तो दूसरी तरफ नशीले पदार्थों का सेवन धड़ल्ले से हो रहा है.
जागरुकता पर जोर...
दहेज विरोधी कानून के दुरुपयोग के मामले में भी बिहार टॉपर रहा है. 2015 में देश भर में दहेज विरोधी कानून के 361 मामलों को फर्जी पाया गया था. दिलचस्प बात ये रही कि इनमें से 148 सिर्फ बिहार से थे. यानी पूरे देश में दहेज कानून के दुरुपयोग के आधे मामले बिहार से ही थे. बिहार के बाद कर्नाटक का नंबर था जहां इस तरह के 108 मामले पाये गये. यूपी और ओडिशा को छोड़ कर बाकी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में ये आंकड़ा दहाई से नीचे रहा. यूपी में 19 और ओडिशा में ऐसे 12 मामलों का पता चला था.
एक अन्य जानकारी के मुताबिक 1998 से 2015 के बीच धारा 498-ए के तहत 27 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अगर चोरी, मारपीट और दंगों को छोड़ दें तो ये आईपीसी के तहत किसी भी दूसरे अपराध से कहीं ज्यादा बड़ी संख्या है. गिरफ्तार होने वाले लोगों में 6.5 लाख महिलाएं हैं.
बिहार सरकार के शराबबंदी कानून में शुरू में खामियों को लेकर विपक्ष ने खूब शोर मचाया था. कुछेक प्रावधानों में थोड़ी हेर फेर भी की गयी लेकिन बाद में लागू कर दिया गया. दहेजबंदी पर तस्वीर अभी साफ नहीं है, लेकिन इसमें चुनौतियां बहुत हैं जिन पर अच्छे से गौर करना जरूरी है.
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