ढूंढ-ढूंढ कर शराबियों को घर पहुंचाने का काम कर रहा है ये पिता
Drunken Driving का शिकार हेमराज शर्मा का 32 साल का बेटा हुआ. अब वो हर बाप को इस दर्द बचाने की मुहिम चला रहे हैं. रोज रात वो नशे में धुत्त लोगों को बार से घर पहुंचाते हैं.
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मौत. ये एक ऐसा शब्द है जो शाश्वत है. जो भी इस दुनिया में आया है वो एक ना एक दिन जाएगा ही. हर किसी के मौत का दिन मुकर्रर होता है. लेकिन कुछ बदनसीब ऐसे होते हैं जो बेमौत मारे जाते हैं. जिनकी जिंदगी के दिन तो बहुत थे लेकिन किसी और की गलती या मजे का शिकार कोई बेकसूर हो जाता है. ऐसी ही एक मौत होती है नशे में गाड़ी चलाने वालों से होने वाली दुर्घटना के बाद. हमारे देश में रोजाना 8 लोग काल की गाल में ड्रंकेन ड्राइविंग की वजह से समा जाते हैं.
नशा करना और स्पीड कई लोगों को पसंद आता है. लेकिन अपने इस मजे में जब सड़क पर वो किसी बेकसूर को कुचल देते हैं तो सिर्फ एक ही मौत नहीं होती. बल्कि एक पूरा परिवार खत्म हो जाता है. पीड़ित तो चला जाता है लेकिन उसके पीछे बच जाते हैं रोते-बिलबिलाते परिजन, जो रोज एक मौत मरते हैं. इस दर्द और घुटन के साथ की मेरे बेटे या बेटी की मौत क्यों हुई. किसी और ने शराब पी रखी थी, किसी और से गाड़ी का स्टियरिंग नहीं संभला तो उसकी सजा मेरे बच्चे को क्यों मिली?
नशे ने नाश कर दिया
ऐसी ही एक दर्दनाक घटना में अपने 32 साल के जवान बेटे को हेमराज शर्मा खो चुके हैं. वो बताते हैं कि शराब पीकर गाड़ी चला रहे किसी इंसान की गलती का शिकार उनका 32 साल का बेटा हुआ. अब जो कुछ भी उनके बेटे और परिवार के साथ हुआ वो नहीं चाहते कि किसी और परिवार को झेलना पड़े. इसलिए उन्होंने एक फैसला किया और अब वो नशे में धुत्त युवाओं को खुद गाड़ी चलाकर बार से घर पहुंचाने का काम करते हैं.
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने अपने रोड सेफ्टी कैंपेन के तहत हेमराज शर्मा जी से संपर्क किया और #DoTheDifficult नाम का एक कैंपेन शुरू किया है. इसमें बार से बाहर आते हुए नशे में धुत्त लोगों को घर पहुंचाने वाले हेमराज शर्मा के साथ वीडियो बनाया गया.
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