सुप्रीम कोर्ट भी सिर पकड़ लेगा ऐसे शराब व्यापारी के सामने!
अब हाईवे के 500 मीटर नजदीक तक कोई दारू की दुकान नहीं होनी चाहिए ये खबर तो आपको पता ही होगी, लेकिन इसका हल निकाला गया है एक नायाब तरीके से. देखिए क्या-क्या कर रहे हैं लोग...
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एक पुरानी अंग्रेजी कहावत है 'When there's a will, there's a way'. मतलब कि जहां चाह वहां राह. ये बात भारतीयों ने कई बार साबित की है. एक से बढ़कर एक कारनामे भारतीयों के नाम हैं. अब इसी में एक और जोड़ लीजिए. बात है केरला की. अब हाईवे के 500 मीटर नजदीक तक कोई दारू की दुकान नहीं होनी चाहिए ये खबर तो आपको पता ही होगी, लेकिन इसका हल निकाला गया है एक नायाब तरीके से.
दरअसल, केरला के एक बार के मालिक ने अपने बार को हाईवे से 500 मीटर दूर करने के लिए थोड़ा दिमाग लगाया. बार के सामने एक भूलभुलइया जैसा रास्ता बना दिया गया. अब 250 मीटर की दूरी पर जो बार था उस तक पहुंचने के लिए लोगों को लगभग 500 मीटर की दूरी तय करनी होगी. तो ये हुआ कोर्ट के फैसले का सही तोड़.
Kerala bar's ingenious idea to beat SC order: A twisted maze to the entrance https://t.co/m8Vi3uQVaZ pic.twitter.com/oH0XbCcGru
— TheNewsMinute (@thenewsminute) April 7, 2017
ये किस्सा है एर्नाकुलम के एश्वर्या बार का. इस बार के सामने की जमीन भी बार मालिक की ही थी तो 2 लाख रुपए खर्च कर इसे भूलभुलइया का आकार दे दिया क्योंकि ये नैश्नल हाईवे 17 पर स्थित था. अब इसे कहते हैं आउट ऑफ द बॉक्स थिंकिंग.
दिल्ली में भी हुआ ऐसा...
पिछले हफ्ते गुड़गांव के डीएलएफ सायबर हब की एंट्रेंस को 500 मीटर दूर करने के लिए गेट को का डायरेक्शन ही बदल दिया गया.
अब सुप्रिम कोर्ट ने जो ऑर्डर दिया था उसे तो इन लोगों ने बड़ी खूबी से माना. इसे नियमों का पालन करना ही कहेंगे. कानून तोड़ा नहीं बस अपने हिसाब से मोड़ लिया. इस पूरे किस्से में रईस फिल्म याद आ गई जिसमें शाहरुख खान भी बड़ी आसानी से नियमों को मोड़ लेते हैं. आखिर धंधा है ये इसे बंद कैसे कर सकते हैं.
तो क्या धंधे के नाम पर मीट व्यापारी भी कोई ऐसा कारनामा कर सकते हैं? या कच्ची शराब बेचने वालों को कुछ नहीं कहा जाएगा? या फिर चरस-गांजे का धंधा करने वाले भी कुछ ऐसे ही अपनी सहूलियत के हिसाब से नियमों को मोड़ लेंगें?
एक तरफ हम कहते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही और अगर कुछ करती है तो उसे दोष दिया जाता है. एक बात तो पक्की है कि कुछ करने के लिए थोड़ा तो कष्ट उठाना ही पड़ेगा. ये सही है कि कोर्ट के ऐसे आदेश से कई लोगों का धंधा ठप्प हो सकता है, लेकिन उसके लिए इस तरह से नियमों को तोड़ना मरोड़ना भी सही नहीं है.
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