मोदी-शाह की रैलियां रद्द होने के बाद ममता बनर्जी का आक्रामक होना क्या कहता है?
कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) आखिरी दौर में चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं. मोदी-शाह (Modi and Shah) की रैलियां रद्द होने के बाद कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही हैं - ये सब क्या इशारा करता है?
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पश्चिम बंगाल में चुनाव आखिरी दौर में पहुंच चुका है. अब सिर्फ 26 और 29 मई को दो चरणों की वोटिंग बची हुई है - और इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं.
ममता बनर्जी का ये आक्रामक रुख तब देखने को मिल रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Modi and Shah) अपनी चुनावी रैलियां रद्द करने लगे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कोलकाता रैली रद्द कर दी है और अमित शाह ने मालदा में होने वाली चुनावी रैली.
कोरोना वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार पर हमले में ममता बनर्जी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी साथ मिल रहा है. ममता बनर्जी ने कोरोना वैक्सीन की कीमतों को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं - और पूछने लगी हैं कि एक वैक्सीन को अलग-अलग दामों पर क्यों बेचा जा रहा है?
एक चुनावी सभा में ममता बनर्जी कहती हैं, 'बीजेपी एक देश, एक चुनाव की बात करती है लेकिन वैक्सीन को लेकर सरकार की नीति अलग क्यों है? एक वैक्सीन को अलग-अलग दामों पर बेचा जा रहा है... देश में वन वैक्सीन, वन प्राइस क्यों नहीं होना चाहिये? केंद्र सरकार कम दाम पर वैक्सीन खरीदे और राज्यों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़े - ये राज्यों के साथ भेदभाव नहीं तो क्या है?'
कोरोना वायरस संकट के दौरान मोदी सरकार को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ने वाली सोनिया गांधी पूछती हैं, 'ऐसे समय, जब मेडिकल रिसोर्स कम हैं. अस्पताल में बेड नहीं है. ऑक्सीजन सप्लाई और दूसरी दवाइयों की कमी है - आपकी सरकार ऐसी पॉलिसी की अनुमति क्यों दे रही है जो अति असंवेदनशील है.'
सवाल ये है कि पश्चिम बंगाल चुनाव के आखिरी दौर में कोविड वैक्सीन को लेकर लोग ममता बनर्जी की बातों पर कितना यकीन करने जा रहे हैं, खासकर तब जब प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी नेता अमित शाह की चुनावी रैलियों के जरिये इस पर वैसा रिएक्शन आने से रहा - क्या ये सब मतदान पर भी असर डालने वाला है?
देर होना भी कोई वजह होती है!
रैलियां रद्द किये जाने के कारण तो अलग अलग बताये जा रहे हैं, लेकिन सच तो यही है कि पश्चिम बंगाल में होने वाली बीजेपी की रैलियां रद्द होने लगी हैं. पहले तो रैलियों में भीड़ के 500 के दायरे में होने की बात बतायी गयी, लेकिन अब तो रैलियां रद्द ही होने लगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी रैली रद्द हुई है - और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी.
जब राहुल गांधी ने कोविड 19 के चलते पश्चिम बंगाल में होने वाली अपनी रैलियां रद्द करने की घोषणा की तो, लोग कहना शुरू कर दिये कि कांग्रेस तो हार ही रही थी, रैलियां करने का भी कोई फायदा नहीं था - क्या कांग्रेस वाली बातें बीजेपी पर भी लागू हो सकती हैं?
ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि बचे हुए दो चरणों के चुनाव उन इलाकों में ही होने हैं जहां बीजेपी को तृणमूल कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. बल्कि, ये कहना बेहतर होगा कि टीएमसी की उन इलाकों में बीजेपी के मुकाबले बेहतर पैठ है.
वैक्सीनेशन को मुद्दा बना रहीं ममता बनर्जी को कितना फायदा मिल सकता है?
पहले अमित शाह की मालदा में प्रस्तावित रैली रद्द हो गयी - और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अप्रैल को अपना बंगाल दौरा रद्द करने की ट्विटर पर जानकारी दी. हालांकि, पश्चिम बंगाल बीजेपी के कहने पर प्रधानमंत्री मोदी शाम को 5 बजे वर्चुअल रैली करेंगे.
कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की तैयारियां जोरों से चल रही थीं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही ट्वीट करके जानकारी दे दी कि वो पश्चिम बंगाल नहीं जा पा रहे हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री को कोविड को लेकर पैदा हुए हालात की समीक्षा करनी है और लगातार कई मीटिंग में हिस्सा लेना है.
मालदा में होने वाली रैली रद्द होने पर बीजेपी का कहना है कि अमित शाह को सुबह देर हो गयी थी, लिहाजा सभी मीटिंग भी देर से हुईं. बताते हैं कि मौसम खराब होने के चलते हेलीकॉप्टर से मालदा से कोलकाता लौटना संभव नहीं हो पाता इसलिए मालदा रैली को रद्द करना पड़ा.
चुनावी रैलियां भला कब से वक्त की पाबंद होने लगीं? ऐसा तो कम ही हो पाता है जब कोई चुनावी रैली ठीक उसी वक्त पर हो पाये जो पहले से तय किया गया हो. भले ही उस रैली को प्रधानमंत्री ही क्यों न संबोधित करने वाले हैं, लेकिन उसका कोई प्रोटोकॉल थोड़े ही होता है. वैसे भी जब प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करता है तो मंच पर वो महज स्टार प्रचारक की हैसियत में ही होता है.
वरना, तुम जानो तुम्हारा काम जाने
अभी तक पश्चिम बंगाल की सारी मुश्किलों की तोहमत प्रधानमंत्री मोदी सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मढ़ दिया करते थे, लेकिन अब ममता बनर्जी लोगों को घूम घूम कर समझाने लगी हैं कि प्रधानमंत्री ने वैक्सीन नहीं दिया, इसलिए पश्चिम बंगाल में कोरोना बढ़ गया है.
वैक्सीन पर ये राजनीति उस दौर में हो रही है जब उसे कोरोना के खिलाफ मजह रिस्क फैक्टर कम करने वाला या वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण की स्थिति में फास्ट रिकवरी भर ही उम्मीद जतायी जा रही है.
अभी तक तो डबल म्यूटेंट वैरिएंट ही कहर बरपा रहा है, जबकि कोरोना वायरस का ट्रिपल म्यूटेंट भी सामने आ चुका है - और पश्चिम बंगाल के साथ साथ महाराष्ट्र और दिल्ली में भी ट्रिपल म्यूटेंट से संक्रमित कुछ केस सामने आ चुके हैं.
ट्रिपल म्यूटेशन का मतलब ये हुआ कि कोरोना वायरस के तीन अलग अलग स्ट्रेन मिल करर एक नये वैरिएंट में बदल जाते हैं - और वो डबल म्यूटेंट से ज्यादा खतरनाक हो सकता है. डबल म्यूटेंट तेजी से तो फैल ही रहा है, बच्चों को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है - हालांकि, ट्रिपल म्यूटेंट पर अभी काफी चीजें अध्ययन के बाद ही मालूम हो सकेंगी.
एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना नये म्यूटेंट वैरिएंट ज्यादा संक्रामक हो सकते हैं - और उनके हिसाब से ही वैक्सीन में भी बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है.
वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता अलग है और नेताओं की चुनावी फिक्र बिलकुल अलग है. ममता बनर्जी कहती फिर रही हैं, वैक्सीन है ही कहां जो लगायी जाएगी. वैक्सीन को लेकर और भी कई दलीलें देकर ममता बनर्जी मोदी सरकार को टारगेट कर रही हैं.
वैक्सीन को लेकर खूब शोर मचाने के बाद ममता बनर्जी लोगों को एक और तरीके से भी अलर्ट कर रही हैं - और लगे हाथ ये भी बता दे रही हैं कि अगर समझदारी से वोट किये तो बाद में सिर्फ पछताने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा.
सरेआम ममता बनर्जी लोगों को आगाह करती हैं, लोक सभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में गलती मत करियेगा - वरना, भुगतना आपको ही पड़ेगा.
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