ममता बनर्जी खुद मोदी सरकार से रिश्ते सुधार रही हैं या हालात ही ऐसे बन गये?
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) में शायद ही कभी सीधे मुंह बात होते देखी गयी हो, लेकिन अब तो तारीफ के ट्वीट होने लगे हैं. ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तारीफ के कारण हुआ है या ममता रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रही हैं?
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जब जनता सिर-आंखों पर बिठाये तो राजनीतिक विरोधियों का हमलावर होना स्वाभाविक है, लेकिन क्या इसके उलट भी बयार बहने की कोई संभावना होती है - पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के साथ आज कल ऐसा ही हो रहा है.
पहले कोरोना संकट और अब अम्फान तूफान. पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बहुत भारी पड़ रहे हैं. कोलकाता में तूफान के चलते बिजली-पानी की आपूर्ति ठप होने पर कई इलाकों में लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे हैं. ये वही लोग हैं जिनसे बात करने ममता बनर्जी लॉकडाउन के बीच उनके घर के पास पहुंच कर लाउडस्पीकर से भरोसा दिलाती रहीं - आप घरों में ही रहें सरकार आपका पूरा ख्याल रखेगी - और लोगों को लगता भी रहा कि ऐसा ही होगा.
ये तब भी होता रहा जब केंद्रीय गृह मंत्रालय कभी नोटिस भेज देता रहा तो कभी IMCT के सदस्य कोलकाता में ही धावा बोल कर ममता बनर्जी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर देते रहे. राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) भी ममता बनर्जी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते रहे, लेकिन अब इसका उलटा हो रहा है. गवर्नर जगदीप धनखड़ भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरह ममता बनर्जी की तारीफ करने लगे हैं - और लोग सड़कों पर उतर कर ममता बनर्जी के खिलाफ विरोध प्रकट कर रहे हैं.
बंगाल की राजनीति में ऐसे उलटी गंगा बहने की क्या वजह हो सकती है - क्या कोरोना संकट और अम्फान तूफान किसी चुनावी शांति की तरफ इशारा कर रहा है? चुनाव में तो अभी वक्त काफी है.
तारीफ पे तारीफ
कोलकाता में दक्षिण से लेकर उत्तर तक कई इलाकों में बिजली पानी को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन करने वालों में काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई हैं. जब ममता बनर्जी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलायी तो ये सवाल पूछा जाना भी स्वाभाविक था.
सवाल पर ममता बनर्जी का जवाब था - 'मैं सिर्फ ये कह सकती हूं कि मेरा सिर काट लीजिये.'
ममता बोलीं, 'इस भयानक तबाही को सिर्फ दो ही दिन बीते हैं... हम दिन रात काम कर रहे हैं... धैर्य रखें प्लीज... हम कोशिश कर रहे हैं कि सब चीजें पहले की तरह हो जायें.'
चक्रवाती तूफान अम्फान ने पश्चिम बंगाल में भारी तबाही मचाई है और ममता बनर्जी के अनुसार राज्य में एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ममता बनर्जी की रिक्वेस्ट पर केंद्र सरकार ने मदद के लिए सेना भेज दी है. सेना ने कोलकाता और आस पास के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में मोर्चा संभाल लिया है.
ये राजनीतिक रिश्ता क्या कहलाएगा?
पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी के सेना बुलाने के इसी फैसले को लेकर तारीफ की है. राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने अम्फान तूफान से हुई तबाही के बाद सेना की मदद लेकर सकारात्मक कदम उठाया है - और ये तारीफ के काबिल है. जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें सभी पर्याप्त संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिये.
A good move @MamataOfficial to seek support and assistance of Army. These are trying time and appeal to people to keep calm. Authorities must restore connectivity, electricity and other services at the earliest.
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 23, 2020
ममता बनर्जी ने अम्फान तूफान से मची तबाही के बाद NDRF और SDRF की तैनानी बढ़ाने के साथ ही केंद्र सरकार से सेना की भी मदद मांगी थी. जिंदगी जल्द से जल्द फिर से पटरी पर लौट सके इसलिए ममता बनर्जी ने भारतीय रेल, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट और निजी क्षेत्रों से भी टीम और उपकरणों सहित सक्रिय समर्थन मांगा हुआ है.
ज्यादा दिन नहीं हुए, ममता बनर्जी ने गवर्नर जगदीप धनखड़ को 7 पेज का पत्र भेजा था. पत्र क्या था आरोपों का बंडल ही था. राज्यपाल धनखड़ ने भी जवाब दो बार में दिया. पहले ट्विटर पर बताया कि बकवास बातें हैं फिर भी विस्तार से जवाब देंगे - और फिर ट्विटर पर ही बताया कि जवाब दे दिया है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ के दो दिन बाद ही आयी है. तूफान से तबाही का हवाई जायजा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल को आर्थिक मदद देने की घोषणा तो की है, लगे हाथ ममता बनर्जी के एक ही साथ कोरोना संकट और अम्फान तूफान से दोनों मोर्चों पर लड़ने को लेकर तारीफ भी की थी. अरसे बाद ऐसा कोई मौका देखने को मिला जब बातें सरकार औपचारिकताओं से दो कदम आगे लग रही थीं.
चार साल पहले की बात है जब कोलकाता की सड़क पर सेना के जवानों को देख कर ममता बनर्जी आग बबूला हो गयी थीं. दरअसल, सेना का मॉक ड्रिल चल रहा था और टोल नाकों पर जवानों को देख कर ममता बनर्जी भड़क गयी थीं, सवाल भी वैसे ही उठाये थे - 'केंद्र कहीं राज्य में इमरजेंसी तो नहीं लागू कर रहा है?'
ममता बनर्जी और उनकी पुलिस ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के 17 जिलों में हाइवे और कई महत्वपूर्ण जगहों पर केंद्र सरकार की तरफ से सेना को तैनात किया गया है. ममता बनर्जी का कहना रहा, 'मॉक ड्रिल से पहले आर्मी राज्य सरकार को बताती है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ.'
केंद्र सरकार ने तो ममता बनर्जी के आरोपों को गलत बताया ही, सेना ने भी खारिज कर दिये. सेना की ईस्टर्न कमांड की तरफ से कोलकाता पुलिस और हावड़ा के डीएम को लिखे गये पत्र भी दिखाये गये, और बयान आया, 'ये ऑपरेशन पहले से पुलिस की जानकारी में था.'
वक्त के हिसाब से व्यवहार भी बदल जाता है. अब वही ममता बनर्जी मुसीबत में उसी सेना की मदद ले रही हैं, जिसे देख कर वो देर रात तक सचिवालय में ही डटी रहीं. सेना तो वही है - क्या अब उनको सेना से वो डर नहीं है जो पहले रही? अगर अब डर नहीं है तो पुराना पैंतरा तो राजनीतिक नौटंकी ही समझी जानी चाहिये.
ये पहल ममता की है या मोदी की?
पश्चिम बंगाल के साथ राजनीति भेदभाव का इल्जाम लगाकर, एक तरीके से तहजीब के साथ बाज आने के लिए आगाह करने वाली ममता बनर्जी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से अम्फान तूफान प्रभावित इलाकों को देखने और मदद की गुजारिश की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने भी तुरंत ही कार्यक्रम बनाया और ओडिशा से पहले पश्चिम बंगाल के दौरे पर ही पहुंचे. एयरपोर्ट पर अगवानी की तो औपचारिकताएं थीं, लेकिन बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने खुलेआम ममता बनर्जी की तारीफ की. ये बात अलग है कि बातों बातों में थोड़ी सी राजनीति भी कर ली - ये कह कर कि राजा राम मोहन रॉय के सामाजिक परिवर्तन का सपना अभी पूरा नहीं हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल की मदद की. पहले 1000 करोड़ का आर्थिक पैकेज देकर - और फिर सेना और दूसरे राहत और बचाव दल भेज कर. ये सब तो यूं ही हो भी जाता. जिस तरह का व्यवहार ममता बनर्जी की तरफ से होता आ रहा था, उसमें तारीफ का आइडिया कहां से आ गया. ये वही ममता बनर्जी हैं जो 2019 के आम चुनाव से पहले खुद को भी प्रधानमंत्री पद की रेस में मानती रहीं - और जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल उप राज्यपाल के घर धरना दे रहे थे तो सपोर्ट करने के लिए दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री और नेताओं के साथ मोदी सरकार के खिलाफ मुखर आवाज बनी रहीं. अरविंद केजरीवाल की तरफ से तब ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से उसी की शिकायत भी दर्ज करायी थी.
ये वही ममता बनर्जी हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे शपथग्रहण समारोह से दूरी बनाकर एक तरीके से राजनीतिक बहिष्कार ही किया था. बाद में भले ही वो दिल्ली पहुंच कर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल आयीं - फिर प्रधानमंत्री मोदी के पश्चिम बंगाल जाकर ममता बनर्जी की तारीफ की असल वजह क्या रही होगी?
मोदी सरकार के खिलाफ शोर मचाने वाले नेताओं में अब ममता बनर्जी ही अकेली बची हुई हैं. कभी नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल भी इसी कतार के नेता हुआ करते थे. गुजरते वक्त ने ऐसी करवटें बदली की नीतीश कुमार तो पाला बदल कर जा मिले, अरविंद केजरीवाल भी मालूम नहीं किसकी आबरू रखने के लिए खामोशी अख्तियार कर चुके हैं.
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद सोनिया गांधी की बुलाई हुई विपक्षी दलों की मीटिंग में भी शामिल हुईं. हालांकि, उस मीटिंग में अरविंद केजरीवाल नहीं थे. साथ ही मायावती और अखिलेश यादव ने भी दूरी बना रखी थी. मीटिंग में सोनिया गांधी ने कोरोना संकट के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को देश के साथ क्रूर मजाक बताया जिसमें वीडियो कांफ्रेंसिंग में मौजूद ममता बनर्जी का भी सपोर्ट रहा. वैसे भी ममता बनर्जी ने मोदी के पैकेज को जीरो नंबर ही दिया था.
फिर भी राज्यपाल जगदीप धनखड़, खुद और मोदी सरकार के खिलाफ की सारी बातें भूल कर ममता बनर्जी की अचानक तारीफ करने लगे हैं - माजरा क्या है?
क्या ये प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से किसी विशेष पहल को आगे बढ़ाने वाली रणनीति का हिस्सा है? राजनीतिक विरोधी की मदद की एक मिसाल तो हाल फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की मदद करके भी पेश कर चुके हैं - क्या ममता की तारीफ पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कोई मैसेज देने के लिए होने लगी है?
आखिर पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच रिश्ते सुधारने की ये पहल प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से हो रही है या ममता बनर्जी की ओर से या फिर ये हालात का नतीजा है - परिस्थितियां ही ऐसी बन पड़ी हैं.
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