हथिनी की मौत पर राहुल गांधी को मेनका गांधी का घेरना पशु प्रेम के अलावा भी बहुत कुछ है
केरल में हथिनी की मौत (Kerala Elephant Death) के लिए जिम्मेदार लोगों पर पूरा देश एक्शन चाहता है, लेकिन मेनका गांधी (Maneka Gandhi) तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर ही ज्यादा फोकस हो गयी हैं - मेनका को इसका जो भी राजनीतिक फायदा मिले, लेकिन ये महज पशु प्रेम तो नहीं है.
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केरल के मल्लपुरम में गर्भवती हथिनी की मौत (Kerala Elephant Death) से पूरा देश मर्माहत है, मेनका गांधी (Maneka Gandhi)को तो जाहिर तौर पर ज्यादा ही तकलीफ हो रही होगी. वो तो बरसों से पशु अधिकारों के लिए लड़ती रही हैं और उनके कल्याण के लिए बहुत सारे काम करती रहती है.
राजनीति के साथ ही मेनका गांधी पशु अधिकारों के लिए मुहिम भी साथ ही साथ चलाती रहती हैं - लेकिन सवाल ये है कि हथिनी की मौत के मामले में मेनका गांधी ने जिस तरीके से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर हमला बोला है, वो उनके पशु अधिकार आंदोलन का हिस्सा भर ही है या फिर कोई राजनीतिक मंशा भी है?
अगर बीजेपी नेता ने हथिनी की मौत के बहाने राहुल गांधी को निशाना बनाया है तो अब ये समझने की जरूरत है कि क्या मेनका गांधी को इससे कोई फायदा या नुकसान तो नहीं होने जा रहा है?
मेनका ने राहुल को क्यों टारगेट किया
अभी राहुल गांधी अपने वीडियो इंटरव्यू सीरीज में राजीव बजाज से बातचीत के जरिये कोरोना महामारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीतिक कठघरे में खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं कि तभी उनकी चाची मेनका गांधी ने सीधा हमला ही बोल दिया है. मेनका गांधी ने राहुल गांधी को नसीहत दी है कि देश को ठीक करने की बजाय पहले वो अपने चुनाव क्षेत्र को ठीक करें.
मेनका गांधी ने कहा, 'वन सचिव को हटा दिया जाना चाहिये. वन्यजीव संरक्षण के लिए नियुक्त मंत्री को भी इस्तीफा दे देना चाहिए.'
फिर मेनका गांधी ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया - 'राहुल गांधी उस क्षेत्र से हैं, उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की?'
हथिनी की मौत को लेकर राहुल गांधी के निशाने पर आने की वजह उनका केरल के वायनाड से सांसद होना है. वायनाड और मल्लपुरम में फासला तो करीब 100 किलोमीटर का ही है, लेकिन दोनों संसदीय क्षेत्र अलग हैं. मल्लपुरम संसदीय सीट IUML के पास है. वैसे वायनाड के तीन विधानसभा क्षेत्र मल्लपुरम जिले में ही पड़ते हैं.
राहुल गांधी की तरफ से न तो मेनका गांधी के बयान पर कोई प्रतिक्रिया आयी है, न ही मल्लपुरम की घटना पर कोई बयान सामने आया है. हथिनी की मौत पर रिएक्ट तो वरुण गांधी ने भी किया है, लेकिन वो सिर्फ घटना पर ही फोकस हैं और वो राहुल गांधी को कहीं जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं.
Our migrant labour, farmers & the middle class have borne the brunt of Covid-19. However, we cannot forget our brave journalists who have worked nonstop throughout this crisis, keeping us informed and, in turn, safe, despite facing salary & job cuts.The nation stands with you. ????
— Varun Gandhi (@varungandhi80) June 3, 2020
केरल की इस घटना की जानकारी तब सामने आयी जब एक अधिकारी ने फेसबुक पर बताया कि कैसे एक भूखी हथिनी को कुछ लोगों ने अन्ननास में पटाखा भर कर खिला दिया और तीन दिन तक वेल्लियार नदी में राहत पाने के लिए खड़ी हथिनी ने आखिरकार दम तोड़ दिया. भूखी हथिनी रिहायशी इलाके में चल गयी थी और जब अन्ननास खाते ही पटाखा फट गया तो उसका मुंह और जबड़ा बुरी तरह जख्मी हो गया. दर्द से राहत पाने के लिए वो नदी में अपना सूंड अंदर कर तीन दिन तक खड़ी देखी गयी. बाद में वन विभाग के लोगों ने पानी से बाहर निकाल तो लिया लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी.
मेनका गांधी केरल में हथिनी की मौत पर राहुल गांधी को नसीहत देने लगी हैं
हथिनी की मौत को लेकर बालीवुड के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी लोग रिएक्ट कर रहे हैं. जाने माने उद्योगपति रतन टाटा ने भी हथिनी के साथ न्याय हो, ऐसी मांग की है. पशु अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने भी घटना की निंदा की है - और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा है कि हथिनी की मौत के लिए जो भी जिम्मेदार होगा कड़ा एक्शन लिया जाएगा.
मेनका गांधी की बातों को ध्यान से सुनें तो वो राहुल गांधी के साथ साथ केरल की पी. विजयन सरकार को भी निशाने पर ले रही हैं. मेनका गांधी का आरोप है कि मल्लपुरम इलाके में हाथियों ही नहीं दूसरे जानवरों और महिलाओं के साथ भी बुरे सलूक होते ही रहते हैं और सरकार खामोश बनी रहती है. मेनका गांधी कह रही हैं कि उस इलाके में कमजोर अफसरों को भेजा जाता है और कोई कितना भी उनसे शिकायत करे वे कुछ करते ही नहीं. सरकार को भी कोई फर्क नहीं पड़ता.
वायनाड से सांसद होने के नाते राहुल गांधी और मल्लपुरम के लिए केरल सरकार पर एक साथ हमला बोल कर मेनका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेतृत्व दोनों के मन की बात को आगे बढ़ाया है. राहुल गांधी पर हमला बोल कर मेनका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी का बचाव किया है - और अगले साल चुनाव होने जा रहे केरल में मौजूदा सरकार की आलोचना कर बीजेपी के लिए मौका दिया है.
सवाल ये है कि मेनका गांधी के इस बयान से बीजेपी में उनको कोई फायदा मिलेगा भी या नहीं?
बीजेपी में राहुल को घेरना फायदेमंद होता है
राहुल गांधी पर मेनका गांधी ने 2019 के लोक सभा चुनाव के दौरान भी हमला बोला था, 'राहुल गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते, अगर कोई चमत्कार नहीं होता.' प्रियंका गांधी ने उसी वक्त औपचारिक तौर पर कांग्रेस ज्वाइन किया था और बतौर कांग्रेस महासचिव तब प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गयी थी. तब काफी दिनों तक ये चर्चा भी रही कि वरुण गांधी कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं. प्रियंका गांधी के बारे में तब मेनका गांधी का कहना रहा कि राजनीति में उनके आने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. मेनका गांधी की ये बात तो सही साबित हुई लेकिन वो खुद भी 15 हजार से भी कम मार्जिन से चुनाव जीत पायी थीं.
2019 के चुनाव के समय वरुण गांधी से बीजेपी नेतृत्व बुरी तरह खफा देखा गया. कुछ दिन तक तो असमंजस की ऐसी स्थिति बनी रही कि लगा बीजेपी मां-बेटे दोनों में से किसी एक को ही टिकट देकर मानेगी. तभी खबर आयी कि मेनका गांधी ने अपने आरएसएस कनेक्शन का इस्तेमाल करते हुए एक फॉर्मूला दिया और टिकट दोनों को मिला - लेकिन संसदीय क्षेत्र बदल कर. टिकट मिल जाने के बाद वरुण गांधी को भी वैसे ही बयान देने पड़े जैसे दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को तब देने पड़ रहे थे. वरुण गांधी ने एक चुनावी सभा में कहा भी, 'मेरे परिवार में भी कुछ लोग प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन जो सम्मान मोदी ने देश को दिलाया है, वो बहुत लंबे समय से किसी ने देश को नहीं दिलाया. वो आदमी केवल जी रहा है देश के लिए और वह मरेगा देश के लिए, उसको केवल देश की चिंता है.'
ऐसा बयान देने से पहले वरुण गांधी हमेशा ही गांधी परिवार को लेकर कुछ कहने से बचते रहे - और बीजेपी नेतृत्व के उनसे खफा रहने के पीछे सबसे बड़ी वजह भी यही मानी जाती रही. चुनाव प्रचार के दौरान ही मेनका गांधी एक बयान देकर विवादों में फंस गयीं. मेनका गांधी एक मुस्लिम इलाके में बोल गयीं, 'मैं तो चुनाव जीत रहीं हूं, ऐसे में आप हमारा साथ दीजिए वरना कल जब आप काम के लिए हमारे पास आओगे तो समझ लीजिए मैं क्या करूंगी. मैं कोई महात्मा गांधी की छठी औलाद नहीं हूं.'
ये बयान देकर मेनका गांधी ने मुफ्त में मुसीबत मोल ली - नतीजा ये हुआ कि न तो मेनका गांधी को और न ही वरुण गांधी को मोदी कैबिनेट में जगह मिल पायी. ताजा बयान उसी छटपटाहट का नतीजा लगता है जिसके लिए ऐसे ही किसी खास मौके की तलाश रही होगी.
बीजेपी में एक बात तो देखने को मिलती ही है कि गांधी परिवार पर हमले बोल कर भी कुछ नेताओं की दुकानदारी चलती रहती है. गिरिराज सिंह से लेकर साक्षी महाराज तक के बयान इसकी मिसाल हैं. बलिया से विधायक सुरेंद्र सिंह भी इसी रणनीति के तहत बयानबाजी करते रहते हैं.
आम चुनाव के दौरान ही एक बात ये भी समझ में आयी कि मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के खिलाफ एक याचिका दायर कर अपना टिकट बचा लिया था. तब राफेल विवाद सुर्खियों में रहा करता था और राहुल गांधी जहां कहीं भी जाते अपनी रैलियों में एक नारा जरूर लगवाते - चौकीदार चोर है. एक बार राहुल गांधी ने यूं ही सुप्रीम कोर्ट को भी घसीट लिया. मीनाक्षी लेखी की याचिका पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी थी - और तब तक मीनाक्षी लेखी के रास्ते का कांटा निकल चुका था.
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में स्मृति ईरानी को अमेठी से चुनाव हार जाने के बावजूद HRD मंत्रालय जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली, लेकिन अक्सर विवाद होने और अमित शाह के साथ टकराव के चलते उनको हाशिये की तरफ भेज दिया गया. मंत्री तो वो बनी रहीं, लेकिन मुख्यधारा से ओझल होने लगीं. लाइमलाइट में बने रहने के लिए कभी मायावती से जूझना पड़ता तो कभी राहुल गांधी को घेरने के लिए अमेठी का दौरा करना पड़ता.
अमेठी में लगे रहने का फायदा ये हुआ कि दूसरी मोदी लहर में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को गांधी परिवार के गढ़ में ही हरा दिया - और फिर से अपनी खोयी हुई पोजीशन हासिल कर लीं. मेनका गांधी की भी मंशा भी फिलहाल कुछ वैसी ही लगती है.
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