पाक ने मसूद अजहर को छुपाने के लिए बनाया 'एबटाबाद' जैसा ठिकाना
पाकिस्तानी सेना समय-समय पर ये कहती रही है कि वह आतंकवाद का समर्थन नहीं करती है, लेकिन हर बार पाकिस्तानी सरजमीं पर आतंकी ठिकानों का खुलासा होता है. जिस जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है, उसका ठिकाना पाकिस्तान आर्मी बेस के पास ही है.
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जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा था, तो पाकिस्तानी सेना अपने दामन पाक साफ होने का दावा कर रही थी. दावा तो यहां तक किया गया कि लादेन की खबर उन्होंने ही सीआईए को दी थी. अब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ है, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के ही जिहादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. वही जैश-ए-मोहम्मद, जिसके आका मौलाना मसूद अजहर का ठिकाना बहावलपुर के आर्मी बेस कैंप के पास है. पाकिस्तानी सेना समय-समय पर ये कहती रही है कि वह आतंकवाद का समर्थन नहीं करती है, लेकिन आतंकियों को सुरक्षित इलाकों में बसाना उसकी रणनीति का चेहरा उजागर करता है.
जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर बहावलपुर में पाकिस्तानी सेना के बेस से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर है. यानी ये तो साफ है कि पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद कहां से ऑपरेट कर रहा है, ये सब पाकिस्तानी सेना अच्छे से जानती है. ऐसे में ये कहना भी गलत नहीं होगा कि इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी सेना का साथ मिला हुआ है, जिनकी मदद से ही वह भारत में आतंकी हमले कर रहा है.
मसूद अजहर का ठिकाना पाकिस्तानी सेना के बेस से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर है.
दोनों ठिकाने सैन्य बेस के पास
जिस जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है, वह पाकिस्तानी आर्मी बेस से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर है. सैटेलाइट इमेज देखने से साफ होता है कि पाकिस्तानी सेना उस ठिकाने के बारे में अच्छे जानती है. विशेषज्ञों के अनुसार यहां पर एक न्यूक्लियर फैसिलिटी भी है, जहां हो सकता है कि परमाणु हथियार बनाए जाते हों. जिस तरह पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन को पालता-पोषता रहा, उसी तरह अब मसूद अजहर को भी पाल पोष रहा है.
बहावलपुर में पाकिस्तानी सेना के बगल में ही जैश-ए-मोहम्मद का ठिकाना है, जो सैटेलाइट तस्वीर साफ दिखाती है.
ठीक मसूद अजहर की तरह ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर ऐबटाबाद में रहता था. उसके ठिकाने के पास में भी एक पाकिस्तानी आर्मी एकेडमी थी, जिसकी दूरी ओसामा के ठिकाने से महज 1.2 किलोमीटर थी. इतना पास होने के बावजूद पाकिस्तान हमेशा यही कहता रहा कि वह नहीं जानता ओसामा बिन लादेन कहां है. आखिरकार अमेरिका ने 2 मई 2011 को पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया, जिसने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हवाई जहाज से हमला किया था.
ओसामा के ठिकाने से महज 1.2 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तानी सेना की एकेडमी थी.
मस्जिद के नाम पर पैसे जुटाता है मसूद अजहर
हैरान करने की बात ये है कि अजहर के ठिकाने से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर ही एक मस्जिद भी है, जिसे खुद अजहर ने ही बनवाया है. इसी मस्जिद 'द जामिया शुभानअल्लाह' के नाम पर वह लोगों से चंदा भी जुटाता है और उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकी हमलों में करता है. पैसे जुटाने के लिए वह अल-रहमत ट्रस्ट का इस्तेमाल करता है, जिसका जैश-ए-मोहम्मद से गहरा संबंध है. पाकिस्तानी सेना की नाक के नीचे मसूद अजहर अपना ठिकाना बनाए बैठा है और भारत पर हमले कर रहा है और पाकिस्तान उसी का साथ दे रहा है.
आतंकियों का हौंसला बढ़ाने के लिए जैश मुख्यालय के पास लगाई फाइटर जेट की प्रदर्शनी
कश्मीर में पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों में बड़ी तादाद दक्षिण पंजाब से होती है. और यहीं पर ऑपरेट करते हैं मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी सरगना. पाकिस्तान सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी इन आतंकियों और इनके संगठनों को पूरी सहायता मुहैया कराती है, तो ये भारत ही नहीं दुनिया के बाकी हिस्सों में भी आतंक फैला सकें. मसूद अजहर के हेडक्वार्टर से सौ किमी दूर है फरीदकोट. जहां का रहने वाला था अजमल कसाब. पाकस्तान वायु सेना ने आतंकियों का हौंसला बढ़ाने के लिए जैश मुख्यालय के नजदीक चौराहे पर प्रदर्शनी के रूप में F-16 फाइटर जेट रखा हुआ है.
जैश आतंकी मसहूद अजहर के हेडक्वार्टर के पास बहावलपुर में खड़ा किया हुआ F-16 फाइटर प्लेन की प्रतिकृति.
मसूद अजहर का सिर्फ एक मकसद
आतंकी मसूद अजहर का सिर्फ एक मकसद है कि कश्मीर को भारत से अलग किया जाए और उसे पाकिस्तान में मिला लिया जाए. 1994 में जब मसूद कश्मीर आया था तो भारत ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद हरकतुल मुजाहिद्दीन ने उसे छुड़ाने के लिए 24 दिसंबर 1999 को एक भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया. आतंकियों ने 150 यात्रियों की सलामती के बदले आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने की शर्त रखी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मसूद को छोड़ना पड़ा. पाकिस्तान पहुंचते ही 2000 में मसूद ने जैश-ए-मोहम्मद जिहादी संगठन बनाया और 2001 में संसद पर हमला कर दिया. इस हमले के बाद ही अमेरिका ने जैश को आतंकी संगठन की लिस्ट में डाल दिया. पाकिस्तानी सेना ने मसूद को भारत की संसद पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया, लेकिन साल भर में ही छोड़ दिया. अब वही मसूद अजहर खुला घूम रहा है और खुलेआम कह रहा है कि उसने ही पुलवामा में आतंकी हमला कराया, जिसमें 37 जवान शहीद हो गए हैं.
पाकिस्तान शुरू से ही भारत के साथ धोखा करता आया है. सीजफायर उल्लंघन, घुसपैठ और आतंकियों को पनाह देना उसकी फितरत में है. पहले ओसामा बिन लादेन और अब मसूद अजहर. भारत की लाख कोशिशों के बावजूद मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आतंकी घोषित नहीं किया जा पा रहा है, क्योंकि चीन अपनी वीटो पावर लगाकर ऐसा होने नहीं दे रहा. जिस तरह ओसामा के मामले में पाकिस्तान टाल-मटोल करता रहा और एक दिन अमेरिकी सेना ने सीमा में घुसकर लादेन को मारा, यूं लग रहा है कि कुछ वैसा ही अब भारत को भी करना पड़ेगा. पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से कोई बड़ी कार्रवाई तो होना तय है, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि 37 जवानों की मौत का बदला कैसे लिया जाता है.
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