राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत और आप की हार के मायने
आम आदमी पार्टी बेशक अलग-अलग तर्क देकर इस हार को ऊपरी तौर पर ढांपने की कोशिश कर रही हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यह हार आम आदमी पार्टी के लिए एक झटका है.
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राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी अकाली दल ने आम आदमी पार्टी से सीट छीन कर एक संदेश देने की कोशिश की है कि अब आम आदमी पार्टी से लोग उबने लगे हैं. इसी वजह से आम आदमी पार्टी उप चुनाव हार गई है.
बीजेपी का तमाम शीर्ष नेतृत्व इस जीत से काफी उत्साहित है. उनको लगता है कि इस सीट के जीतने से दिल्ली में बीजेपी के पक्ष में एक माहौल बनेगा. जिसका फायदा उन्हें एमसीडी के चुनाव में तो होगा ही, आगे भी इसको भुनाने की कोशिश करेंगे. बीजेपी के नेता इस जीत को आम आदमी पार्टी की नाकामी और उनसे जनता का मोह भंग के तौर पर प्रचारित करने में लगे हैं. ताकि इस जीत से दिल्ली में ऐसा माहौल बनाया जा सके कि अब आम आदमी पार्टी के दिन लद गए हैं.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी और दूसरे तमाम नेता इस जीत को केजरीवाल सरकार पर रेफरेंडम बता रहे हैं. इनका कहना है कि अगर आज विधानसभा के चुनाव हो जाएं तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाएगा. जनता उन को नकार चुकी है. इस जीत से यह बात साबित हो चुकी है.
बीजेपी को यह भी लगता है कि 23 अप्रैल को होने वाले एमसीडी के चुनाव में भी इस जीत का फायदा बीजेपी को मिलेगा और बीजेपी ने यह रणनीति बनाई है कि इस जीत के जश्न को वह दिल्ली के इन तमाम वार्डों में मनाएगी ताकि जीत का सिलसिला एमसीडी के चुनाव से होते हुए दिल्ली के विधानसभा के चुनावों तक जारी रहे.
उधर आम आदमी पार्टी का कहना है कि वह सीट हारे जरूर हैं, लेकिन उस इलाके में लोगों की नाराजगी के चलते ऐसा हुआ है क्योंकि वहां के विधायक रहे जरनैल सिंह पंजाब में चुनाव लड़ने चले गए थे, जिससे लोग नाराज हुए थे. आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि अभी भी दिल्ली में जनता उनके साथ है, जो भी कमियां होगी वह लोगों के बीच जाकर दूर कर देंगे. लोगों को समझाएंगे, उनकी नाराजगी दूर करेंगे, लेकिन इस हार के बावजूद भी एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी ही जीतेगी.
आम आदमी पार्टी बेशक अलग-अलग तर्क देकर इस हार को ऊपरी तौर पर ढांपने की कोशिश कर रही हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यह हार आम आदमी पार्टी के लिए एक झटका है. उनका मानना है कि आम आदमी पार्टी के लिए एमसीडी के चुनाव हों और फिर उसके बाद विधानसभा के चुनाव, इतने आसान नहीं होंगे जितने 2015 के विधानसभा चुनाव थे.
अब एमसीडी के चुनाव जीतना आम आदमी पार्टी के लिए खास महत्व रखते हैं क्योंकि इस हार के झटके से आम आदमी पार्टी तभी उभर सकती है जब एमसीडी के चुनाव में वह जीते. राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि अगर आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन एमसीडी के चुनाव में अच्छा नहीं रहा तो आम आदमी पार्टी के लिए आने वाले समय में राजनीतिक तौर पर काफी दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं.
उधर बीजेपी की कोशिश यही है कि इस जीत के बाद बने माहौल को एमसीडी के चुनाव से होते हुए विधानसभा तक बनाए रखा जाए. बीजेपी के लिए भी एमसीडी के चुनाव जीतना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर राजौरी गार्डन सीट जीतने के बाद बीजेपी एमसीडी में हार गई तो आम आदमी पार्टी को तो राजौरी गार्डन की हार से उभरने का मौका मिलेगा, लेकिन बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित होगा और जो माहौल इस जीत से बीजेपी विधानसभा के चुनाव तक बनाना चाहती है उसमें बीजेपी को फिर से चुनौती होगी.
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