जिसने Delhi Metro को कामयाबी दिलाई उसकी तड़प जायज है, और सलाह भी...
भारत के Metro man यानी E Sreedharan ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार की फ्री Metro योजना को मंजूरी न देने कीअपील की है. वहीं मनीष सिसोदिया के दिए हुए तर्कों ने इस मामले को और विवादित कर दिया है.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब से महिलाओं के लिए Delhi Metro में सफर फ्री करने की घोषणा की, तब से इस मुद्दे पर बहस हो रही है कि महिलाओं के लिए मेट्रो में फ्री सफर कितना फायदेमंद है और मेट्रो के लिए कितना नुकसानदायक. हर किसी के पास अपने-अपने तर्क हैं इसे जायज और नाजायज ठहराने के. लेकिन इस बहस के बीच यहां शख्स की बात पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है जिसकी बदौलत आज भारत में मेट्रो चलती है.
भारत के Metro Man यानी E Sreedharan ने जब से दिल्ली मेट्रो के MD का पद छोड़ा था तब ये निर्णय लिया था कि वो अब कभी भी दिल्ली मेट्रो की कार्यप्रणाली में कोई दखलअंदाजी नहीं करेंगे. लेकिन जब से उन्होंने दिल्ली सरकार की इस येजना के बारे में सुना वो बैचैन थे. इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को इस योजना के संदर्भ में पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई. और दिल्ली सरकार को इसकी मंजूरी न देने के लिए प्रधानमंत्री से अपील की.
ई श्रीधरन ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि दिल्ली सरकार की इस योजना को मंजूरी न दें
श्रीधरन की फिक्र जायज है-
अपने पत्र में श्रीधरन लिखते हैं-
- 'मेट्रो के व्यवस्थित तंत्र को बनाए रखने के लिए 2002 में मेट्रो सेवा शुरू होने के समय ही हमने किसी तरह की सब्सिडी नहीं देने का सैद्धांतिक फैसला किया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसकी प्रशंसा की थी. इतना ही नहीं अटल जी ने भी उद्घाटन के समय खुद टिकट खरीदकर मेट्रो यात्रा कर इस बात का संदेश दिया था कि मेट्रो सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है.
- दिल्ली मेट्रो का स्टाफ, अधिकारी यहां तक कि MD भी जब ड्यूटी पर सफर करते हैं तब भी वो टिकट खरीदते हैं.
- महिलाओं को फ्री सफर करने दिया गया तो देश की बाकी मेट्रो पर भी इसका असर पड़ेगा. अगर एक तबके को सुविधा दी गई तो और जरूरतमंद जैसे विद्यार्थी, विकलांग, और सीनियर सिटीजन भी इस सुविधा की मांग करेंगे. और ये बीमारी की तरह देश के दूसरे मेट्रो तक फैलेगी.
- अगर सरकार वास्तव में किसी को मुफ्त यात्रा सुविधा देने के लिए कोई उपाय करना चाहती है तो इसके लिए मेट्रो की मौजूदा प्रणाली में बदलाव करने की जगह लाभार्थी को लाभ राशि सीधे उसके बैंक खाते में देना (डीबीटी) बेहतर उपाय होगा.
- दिल्ली सरकार का दावा कि DMRC को राजस्व हानि की क्षतिपूर्ति कर दी जाएगी ये बचकाना है. आज इसमें करीब 1000 करोड़ सालाना खर्च आएगा. और मेट्रो बढ़ेगी और किराए बढ़ेंगे तो ये भी बढ़ता जाएगा. सब्सिडी देने से मेट्रो प्रबंधन द्वारा विदेशी एजेंसियों से लिया गया क़र्ज़ अदा करना मुश्किल होगा और दिल्ली सरकार इस सब्सिडी का भुगतान नहीं कर पाएगी.
- दिल्ली मेट्रो भारत सरकार और दिल्ली सरकार दोनों का साझा प्रोजेक्ट था. एक शेयर होल्डर इस तरह का फैसला नहीं ले सकता. इस कदम से दिल्ली मेट्रो अक्षम और कंगाल हो जाएगी.
In a letter to PM Modi, metro man E Sreedharan explains why Delhi govt's proposal to allow free travel to ladies in Delhi metro should be rejected. pic.twitter.com/jk5Xk5yW7w
— Prasar Bharati News Services (@PBNS_India) June 14, 2019
ई श्रीधरन की बात को कोई भी नजरंदाज नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने मेट्रो और इसकी कार्यप्रणाली को जितना करीब से देखा है वो किसी ने नहीं देखा. इसके फायदे और नुक्सान श्रीधरन से ज्यादा बेहतर और कोई नहीं देख सकता. इसलिए उनके इस पत्र के बाद दिल्ली सरकार की इस योजना पर एक बार फिर बवाल हुआ.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने श्रीधरन के पत्र पर दुख जताया है. अपनी योजना का बचाव करते हुए और इसके फायदे गिनवाते हुए उन्होंने श्रीधरन के पत्र का जवाब दिया.
श्रीधरन जी मेट्रो की कुल क्षमता 40 लाख लोगों को प्रतिदिन यात्रा कराने की जबकि 25 लाख लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं महिलाओं की फ़्री यात्रा से लगभग 3 लाख यात्री बढ़ेंगे मेट्रो की आमदनी बढ़ेगी, महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी, ट्राफिक कम होगा प्रदूषण कम होगा फिर ऐसी योजना का विरोध क्यों? pic.twitter.com/U1mwClgJiH
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) June 14, 2019
मनीष सिसोदिया ने तर्क तो दिए लेकिन समझ नहीं आए
मनीष सिसोदिया लिखते हैं-
- मेट्रो का तीसरा चरण पूरा होने के बाद इसकी राइडरशिप प्रतिदिन 40 लाख यात्रियों की होगी लेकिन डीएमआरसी के मुताबिक फिलहाल औसतन राइडरशिप 25 लाख है. दिल्ली मेट्रो अपनी कुल क्षमता से महज 65 फीसदी ही काम कर रही है, जो कि एक कंपनी की गुणवत्ता और परफॉर्मेंस के लिए बेहद खराब है.
- इस प्रस्ताव के बाद मेट्रो में महिला यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे मेट्रो की क्षमता 90 फीसदी तक बढ़ जाएगी. प्रस्ताव के बाद भी दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन की रोजमर्रा की राइडरशिप सिर्फ 3 लाख यात्री प्रतिदिन बढ़ेगी जबकि मेट्रो की डिजाइन क्षमता 40 लाख यात्रियों की है.
- दिल्ली मेट्रो किसी भी सार्वजनिक यातायात माध्यमों में सबसे महंगी है. दिल्ली मेट्रो को जल्द ही दक्षता में सुधार करना होगा और कीमतों में स्पर्धात्मक होना होगा.
- इससे महिलाओं की सुरक्षा बढ़ेगी. और पब्लिक ट्रान्सपोर्ट के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से प्रदूषण से भी बचाव होगा. ये महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम है. इससे महिलाओं के लिए अपार संभावनाएं खुल जाएंगी.
- दिल्ली सरकार DMRC से रोजाना बड़ी संख्या में कूपन खरीदेगी जिसे सफर करने वाली महिलाओं को दिया जाएगा. इससे मेट्रो का राजस्व और सफर करने वालों की संख्या बढ़ेगी और ज्यादा से ज्यादा महिलाएं मेट्रो का इस्तेमाल कर सकेंगी.
दिल्ली सरकार की दलील में ये कमजोरियां दिखाई देती हैं-
मनीष सिसोदिया ने श्रीधरन के पत्र का जवाब तो दिया, लेकिन उनकी चिंताओं को कम नहीं किया. मनीष सिसोदिया के कुछ तर्क समझ से परे हैं, जसका गणित उन्हें विस्तार से समझाना चाहिए था.
- जिस सब्सिडी के बोझ की बात श्रीधरन ने उठाई थी, सिसोदिया ने उसका जवाब ही नहीं दिया. कि आखिर दिल्ली सरकार 1000 करोड़ रुपए सालाना की सब्सिडी का भुगतान किस तरह करेगी?
- मेट्रो में मुफ्त सफर से महिलाएं सुरक्षित कैसे होंगी? फ्री सफर ज्यादा महिलाओं को आकर्षित करेगा, लेकिन इससे वो सुरक्षित कैसे होंगी ये समझ से परे है. क्या फ्री सुविधा मिलने से नारी सशक्तिकरण होता है?
- महिलाओं को फ्री सफर देने के बाद जब बाकी जरूरतमंद भी इसकी मांग करेंगे, तो क्या दिल्ली सरकार उन सभी को यानी विद्यार्थियों, वरिष्ठ नागरिकों और विकलांगों को फ्री सफर मुहैया कराएंगे?
- मेट्रो फ्री करने से अगर 3 लाख महिलाएं ज्यादा यात्रा करेंगी तो राइडरशिप तो बढ़ेगी लेकिन मेट्रो की आमदनी कैसे बढ़ेगी?
- दिल्ली मेट्रो को किसी भी सार्वजनिक यातायात माध्यमों में सबसे महंगा तो मानते हैं लेकिन सभी के लिए किराया कम करने की बात नहीं करते.
- अगर दिल्ली सरकार मेट्रो से कूपन बल्क में खरीदेगी तो उन्हें महिलाओं को बंटवाने के लिए क्या दिल्ली सरकार मेट्रो स्टेशन पर अपने काउंटर लगवाएगी, जहां महिलाएं लाइन बनाकर खड़ी रहेंगी? ये किस तरह संभव होगा, ये भी समझ से परे है.
दिल्ली सरकार की फ्री योजना में काफी झोल हैं
दिल्ली मेट्रो के सलाहकार श्रीधरन ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर आपत्ति यूं ही नहीं जताई. इस योजना में कई बातें इम्प्रैक्टिकल लगती हैं. जिसका जवाब दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से नहीं दे पा रही. महिलाओं को सुविधा देना ही ध्येय है तो श्रीधरन का ये कहना कि लाभ राशि सीधे महिलाओं के बैंक खाते में पहुंचाओ कहां गलत है?
जबकि अगर समानता की दृष्टि से देखा जाए तो ये अच्छा नहीं है. एक महिला होने के नाते, सक्षम होने के नाते अगर मैं फ्री में सफर का आनंद लेती हूं और वहीं एक गरीब या एक विकलांग किराया खर्च करके मेट्रो में सफर करता है तो धिक्कार है ऐसे नारी सशक्तिकरण पर. उस वक्त क्या महिलाओं को महिला होने पर गुरूर होगा या जरूरतमंदों की बेबसी देखकर दुख? कायदा तो ये कहता है कि महिलाओं से ज्यादा जरूरतमंदों के लिए मेट्रो का सफर फ्री होना चाहिए. अगर समर्थ महिलाएं फ्री सफर करेंगी तो ये असमर्थ और जरूरतमंद पुरुषों के साथ ज्यादति होगी.
यदि AAP सच में जनता का हित चाहते है तो मेट्रो महिलाओं के लिए फ्री करने की बजाय
पहले वाला किराया लागू करवाये Max. Rs.30 सबके लिए और ये उपयुक्त भी होगा
अब आपलोग ही बतायें MNC में 80 हजार लेने वाली महिला द्वारिका से बदरपुर फ्री जायेगी
वहीं रेड़ी लगाने वाला 60रू देगा ये जायज है?
— Khalid Salmani ???????? (@khalidsalmani1) June 15, 2019
माना कि महिलाओं को 'फ्री' शब्द बहुत भाता है. लेकिन इस तरह के फैसले जो तार्किक भी नहीं उनपर समर्थ और स्वाभिमानी महिलाएं तो कतई खुश नहीं होंगी. स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों के लिए सफर फ्री कर दें तो शायद आप का भला हो. दिल्ली सरकार को दिल्ली को लुभाने के लिए कुछ और कारगर उपाए अपनाने होंगे. नहीं तो आने वाले चुनावों में दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी को काम काज से ही फ्री न कर दे.
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