पश्चिम बंगाल की रैलियों में उमड़ रही भीड़ वोट किसे देने वाली है?
पश्चिम बंगाल पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिम बजट का जी भर बखान किया - और बताया कि ममता बनर्जी जाने वाली हैं. ठाकुर नगर की रैली में भगदड़ के चलते मोदी को 14 मिनट में ही भाषण खत्म करना पड़ा.
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पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रथयात्रा को कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बताते हुए ममता बनर्जी सरकार ने अनुमति नहीं दी. कोर्ट जाने पर भी बीजेपी को रथयात्रा तो नहीं लेकिन रैलियों की इजाजत जरूर मिल गयी. बीजेपी की रैलियां शुरू को हो चुकी हैं, लेकिन नयी चुनौतियां भी खड़ी हो गयी हैं. हाल ही में अमित शाह के कार्यक्रम में मालदा में हिंसा हुई थी - और फिर 24 परगना पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भी भगदड़ मच गयी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो बीजेपी की रैलियों के दौरान हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज भी कसा - भारी भीड़ से उत्साहित मोदी ने कहा - 'अब समझ आ रहा है दीदी हिंसा पर क्यों उतारू हैं?'
भारी भीड़ का वोट किसके लिए?
अमित शाह के दौरे के बाद भी बीजेपी और तृणमूल कार्यकर्ताओं की झड़प की खबरें तो आई ही थीं, प्रधानमंत्री मोदी की रैली से पहले भी ऐसी घटनाएं दर्ज हुईं. पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना के ठाकुरनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली आयोजित थी.
जब तक प्रधानमंत्री मोदी का भाषण शुरू हुआ रैली स्थल पर भारी भीड़ उमड़ आई थी. अचानक कुछ लोग एक-दूसरे के साथ धक्का-मुक्की करने लगे. मोदी ने बार बार अपील कर लोगों से शांत रहने की अपील की लेकिन कोई असर नहीं हुआ. मुद्दे की बात छोड़ कर मोदी भीड़ को शांत कराने की कोशिश में लग गये. मोदी ने कहा, 'मेरी आपसे विनती है कि मैदान में अब जगह नहीं है. आप ऐसा मत कीजिए. आपका प्यार और उमंग मेरे सिर आंखों पर है. आज ये जगह छोटी पड़ गई, इसके कारण आपको असुविधा हो रही है.'
प्रधानमंत्री मोदी की अपील का कोई असर नहीं पड़ा और देखते ही देखते वहां भगदड़ मच गयी. उस वक्त बाहर खड़े लोग रैली ग्राउंड के अंदर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. फिर समर्थक मंच के सामने खाली जगह में कुर्सियां फेंकने लगे ताकि भीतरी हिस्से में इतनी जगह बन जाये. हालांकि, वो जगह महिलाओ के लिए निर्धारित थी. भगदड़ के चलते प्रधानमंत्री मोदी को 14 मिनट में ही ये कहते हुए भाषण खत्म करना पड़ा कि और भी कार्यक्रमों में जाना है. भगदड़ में कुछ महिलाएं और बच्चे बेहोश हो गये जिन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा. जुलाई, 2018 में भी पश्चिम मिदनापुर जिले में मोदी की रैली का मंच गिर गया था और कई लोग घायल हो गये थे.
PM Modi in Durgapur,West Bengal: There was a lot of enthusiasm during my rally in Thakurnagar, and I think the ground was filled twice its capacity,I would like to apologise for the discomfort the people went through; Visuals of those injured during the rally (Pic 2&3) pic.twitter.com/SlhflpfeDj
— ANI (@ANI) February 2, 2019
प्रधानमंत्री की रैली से पहले पोस्टर वार भी देखा गया. बीजेपी का आरोप रहा कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने मोदी के पोस्टर पर ममता बनर्जी के पोस्टर लगा दिये थे. कई पोस्टर पर काली स्याही भी फेंकी गयी थी.
Heights of indecency portrayed by TMC. Prior to the visit of our honourable PM @narendramodi Ji, his posters are been torn in Durgapur & instead Mamta Banerjee’s posters are being stuck on top of it! TMC goons have attacked BJP Karyakartas. @BJP4India @sambitswaraj @BJP4Bengal pic.twitter.com/77dAGLpw5u
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) February 1, 2019
जैसी भीड़ मोदी की रैली में देखी गयी, करीब करीब ऐसी ही भीड़ जनवरी में हुई ममता बनर्जी की यूनाइटेड इंडिया रैली में भी हुई थी. आखिर ये भीड़ किसे वोट देने वाली है? अमूमन देखा जाता है कि भीड़ भाषण सुनने और नेताओं को देखने आती है, लेकिन वोट डालने की बारी आती है तो मन की बात करती है.
मटुआ समुदाय पर बीजेपी की विशेष नजर
ठाकुर नगर में मोदी ज्यादा देर भाषण तो नहीं दे पाये लेकिन जितना मौका मिला उसी में वो अपनी बात कह चुके थे. ठाकुर नगर मटुआ समुदाय का गढ़ है - और मटुआ समुदाय को लुभाने के लिए ये रैली आयोजित की गयी थी.
30 लाख आबादी वाले मटुआ समुदाय के बीच मोदी
पश्चिम बंगाल में मटुआ समुदाय की आबादी करीब 30 लाख है और ठाकुर नगर में इस समुदाय की धर्मगुरु वीणापाणि देवी रहती हैं. आजादी के वक्त पूर्वी पाकिस्तान से आये लोग ही मटुआ समुदाय के हैं. बीजेपी इस बड़े वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश में है - और नागरिकता संशोधन बिल लाने की बात कर बीजेपी इन्हें रिझाने में जुटी है.
मोदी ने कहा, 'अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से कभी हिंदुओं को, कभी सिखों को, कभी जैनों को, कभी पारसियों को आना पड़ा... समाज के ऐसे लोगों के लिए हिंदुस्तान के सिवा कोई जगह नहीं है. ऐसे लोगों को हिंदुस्तान में सम्मानपूर्वक रहने का अधिकार मिलना चाहिए या नहीं? इसलिए हम नागरिकता कानून लाए हैं.'
फिर मोदी ने बंगाल में सत्ताधारी टीएमसी संसद में नागरिकता कानून के समर्थन की भी अपील की. वैसे नागरिकता संशोधन बिल का पहले से ही असम जैसे राज्यों में विरोध हो रहा है.
मैनिफेस्टो के बाद चुनावी रैली
अगर मौजूदा मोदी सरकार का अंतिम और अंतरिम बजट बीजेपी का चुनाव घोषणा पत्र रहा तो ये उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की पहली चुनावी रैली थी. रैली में मोदी ने बजट का जी भर बखान किया. साथ में ये भी उम्मीद जगायी कि ये तो बस नूमना भर है.
बजट का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, 'ये बजट तो महज ट्रेलर है, असली पिक्चर तो चुनाव के बाद सामने आएगी.'
प्रधानमंत्री मोदी ने बजट की तमाम खूबियों को एक एक करके बारी बारी विस्तार से समझाया. ठाकुर नगर के बाद दुर्गापुर की रैली में भी मोदी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टारगेट करते रहे - और दावा किया कि अब उनके जाने का वक्त आ चुका है. मोदी ने गैर-बीजेपी राज्य सरकारों वाला सदाबहार आरोप भी लगाया - केंद्र की योजनाएं राज्य में लागू नहीं होतीं. वैसे ताजा मिसाल तो आयुष्मान भारत ही है.
प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के लोगों को भी समझाया कि किस तरह बजट के जरिये उनकी सरकार ने किसानों और कामगारों की जिंदगी बदलने की कोशिश की है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी भी सरकार ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना जैसी इतनी बड़ी और लाभकारी योजना नहीं लाई है. सरकार किसानों को 6,000 रुपये की मदद देते हुए हर साल 75,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी जो 7.50 लाख करोड़ होगा. मोदी ने इस तरह बजट के साथ दस साल आगे के सपने भी दिखा दिये.
बजट पर रिएक्शन में कांग्रेस ने किसानों रोज 17 रुपया दिया जाना उनका अपमान बताया था. इसी बात को आधार बताते हुए मोदी ने पलटवार भी किया. कहा - 'मध्य प्रदेश में 13 रुपये की कर्जमाफी हो रही है. ऐसे किसानों की कर्जमाफी हो रही है जिसने कर्ज लिया ही नहीं... राजस्थान में बहाना बनाया जा रहा है कि हमें पता नहीं था कि कर्जमाफी का बोझ इतना बड़ा है... कर्नाटक में किसानों के पीछे पुलिस लगा दी गई है.'
याद कीजिए यूपीए शासन में भी ऐसे ही कभी 5 रुपये की थाली तो कभी 12 रुपये में भर पेट भोजन के दावे किये जाते रहे. लगता है चुनाव आते आते गरीबी हटाओ की नयी पैकेजिंग गरीबों का मजाक उड़ाने का हथियार बन जाएगी.
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